स्वतंत्र पत्रकार एमी वेक जिन्होनें हाल ही में एक लेख लिखकर यह बताया है कि कैसे ग्रेट ब्रिटेन का इस्लामीकरण हो गया है और अब वहां से वापसी नहीं है, ने कई ऐसे ट्वीट साझा किए जो क्रिसमस को लेकर मुस्लिम इमामों की सोच का प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने अपने लेख में परत दर परत, चरण दर चरण यह बताया है कि कैसे इस्लाम धार्मिक क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाता जा रहा है।
इसमें उन्होंने लिखा है कि कैसे ईसाई धर्म अतीत का अंग बनता जा रहा है।और इस्लाम भविष्य का मजहब बनने जा रहा है। उन्होंने यह भी लिखा था कि यूके में आधी मस्जिदें देवबंदी हैं तो कुछ हनाफी हैं, जिस विचार ने अफगानिस्तान में तालिबान का निर्माण किया है। एमी वेक ने जो ट्वीट साझा किए हैं, वह यह बताने के लिए पर्याप्त है कि जरा सी आलोचना पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने वाली तमाम लॉबी इन सभी भड़काऊ बयानों पर कैसे चुप रहती है।
एमी वेक ने कनाडा के इमाम का वीडियो साझा करते हुए लिखा कि इमाम बता रहे हैं कि मुस्लिमों को क्रिसमस की बधाई नहीं देनी चाहिए और यह क़त्ल, व्याभिचार आदि से भी बड़ा पाप है
उन्होंने लेबनीज़ और अमेरिकी इमाम अबू मुसैब वजदी अक्करी का वीडियो साझा किया और लिखा कि वह क्या कह रहे हैं। उसके अनुसार क्रिसमस की शुभकामनाएँ देकर आप एक शैतान की छुट्टी की पुष्टि कर रहे हैं। आपका पूरा रिलिजन मजाक है, मेरा नहीं!
उनके इन सभी ट्वीट्स पर तमाम हिन्दुओं की कई प्रतिक्रियाएं हैं। परन्तु भारत में यह बहुत ही बड़ी विडंबना है कि मुस्लिम एवं ईसाई दोनों ही अब्राह्मिक रिलिजन एवं मजहब मिलकर हिन्दुओं के प्रति हमलावर रहते हैं। बहुसंख्यक हिन्दुओं को मात्र अपने अपने मतों में मतांतरित करने के लिए तरह तरह की चाल चली जा रही हैं। जहां पश्चिम में इस्लाम के मौलवी एवं मुस्लिम महिलाएं क्रिसमस के खिलाफ बोल रही हैं तो वहीं भारत में ईसाई रिलीजियस संगठन क्रिसमस का प्रयोग हिन्दुओं के ईसाई मत में मतांतरण के लिए करते हैं। यही कारण हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ को यह तक कहना पड़ा कि
सभी धर्मगुरुओं के साथ संवाद बनाते हुए शांतिपूर्ण माहौल के बीच क्रिसमस आयोजन मनाने की व्यवस्था हो।
यह सुनिश्चित किया जाए, कहीं भी धर्मांतरण की घटना न होने पाए।
भारत में क्रिसमस के अवसर पर हिन्दुओं के धर्मांतरण की घटनाएं आम हैं। हिन्दू धर्म जो जीसस क्या किसी भी दूसरे मत के किसी भी महापुरुष के प्रति कटुता नहीं रखता है एवं वह आदर ही देता है, उसके विरुद्ध लगभग हर मत के कट्टरपंथी लोग कुछ न कुछ कदम उठाते रहते हैं। जैसा क्रिसमस के दौरान हुआ। उत्तराखंड में उत्तरकाशी के पुरोला में बड़े स्तर पर सामूहिक “रिलिजनकरण” का आरोप लगाते हुए हिन्दू संगठनों ने हंगामा किया।
यह बहुत बड़ी विडंबना है कि जहाँ एक ओर मुस्लिम कट्टरपंथी क्रिसमस मनाने को लेकर धमकाते हुए दिखाई देते हैं, तो वहीं भारत में कट्टर ईसाई संगठन हिन्दुओं के प्रति विष घोलते हुए दिखाई देते हैं। वह कोई भी अवसर नहीं छोड़ते हैं हिन्दुओं को मतांतरित करने में। जहाँ यूरोप में इस्लामी कट्टरपंथी उलेमा क्रिसमस के खिलाफ विष उगल रहे हैं तो भारत में आंध्र प्रदेश में लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने चर्च पर यह आरोप लगाया है कि उसने बच्चों का धर्म बदलने के लिए नशीली वस्तुओं जैसे शराब आदि का भी सहारा लिया।
यह चौंकाने वाली घटना आंध्र प्रदेश में पेनुकोंडा मंडल की रामापुरम पंचायत के मार्वपल्ली गाँव से है। जहाँ पर गाँव वालों ने एवं हिन्दू संगठनों ने चर्च के पास्टर का विरोध किया, जब उन्हें यह पता चला कि हिन्दू बच्चों को उन्होंने बहकाया है।
एक स्थानीय चैनल निजाम टुडे के अनुसार “चर्च ने नाबालिग बच्चों को अपने धर्म परिवर्तन के एजेंडे के लिए प्रयोग किया और चर्च ने पहले उन्हें चॉकलेट का लालच दिया और फिर उन्हें शराब आदि देकर लुभाया।
इस चैनल ने बताया कि कैसे हिन्दू बच्चों को चर्च में उनके अभिभावकों की जानकारी के बिना ले जाया गया और फिर बच्चों को पहले चॉकलेट, बिस्किट और दूसरी चीजों का लालच दिया, तो वहीं गाँव वालों को जब यह पता चला तो उन्होंने पास्टर से यह घटना न दोहराने के लिए कहा।
मगर चर्च ने अपने मार्ग को नहीं बदला क्योंकि वह हर कीमत पर हिन्दुओं को ईसाई बनाना चाहता है। पास्टर उन्हें चर्च ले गया और फिर उन्हें चॉकलेट, बिस्किट और केक दिए और जिनके साथ कथित रूप से शराब भी थी। उन्हें स्थानीय नागरिकों और कार्यकर्ताओं ने रंगे हाथों पकड़ा लिया जब वह बच्चों को यह नशीली चीजें खिलाने जा रहे थे। बोतल और छोटे छोटे गिलास पुलिस को सौंप दिए गए हैं। यह घटना हालांकि दिसंबर के आरम्भ में हुई थी, मगर ऐसा हर रोज होता है।
और यही हिन्दुओं का दुर्भाग्य है कि उन्हें या तो ईसाई बनाने के लिए चर्च एवं कट्टर रिलीजियस संगठन लगे हुए हैं या मुस्लिम बनाने के लिए कट्टर जिहादी तत्व सक्रिय हैं। और यूरोप में यह दोनों परस्पर एक दूसरे को लक्षित कर रहे हैं।
एमी वेक के इन ट्वीट्स पर कुछ हिन्दुओं ने भी अपनी बात की है। एक ने लिखा है कि क्या भारत में ईसाई हिन्दुओं के साथ खड़े होने के स्थान पर मुस्लिमों का अंध समर्थन बंद करेंगे, क्या वह जागेंगे कम से कम?
यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसका उत्तर किसी के पास नहीं है, और न ही इस बात का उत्तर कि सर्व धर्म समभाव का भाव रखने वाले एवं हर मत के महापुरुष को महान मानने वाले एवं आदर करने वाले हिन्दुओं को ही अंतत: असहिष्णु ठहरा क्यों दिया जाता है जबकि मजहबी कट्टरता के विरोध को इस्लामोफोबिया कहकर दबा दिया जाता है!