ईर्ष्या व्यक्ति से क्या क्या नहीं करवा देती, पुडुचेरी के शहर कराईकल में ऐसा ही विचलित कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक 42 वर्षीय ईसाई महिला जे. सगयारानी विक्टोरिया ने अपनी बेटी के 13 वर्षीय सहपाठी को मार डाला। उसने बच्ची के हिन्दू सहपाठी को कोल्ड ड्रिंक में जहर मिलाकर पिला दिया। सबसे ज्यादा आश्चर्जनक बात यह है कि महिला ने बच्चे को सिर्फ इसलिए मार दिया क्योंकि वह उसकी बेटी का प्रतिद्वंदी था और हमेशा कक्षा में प्रथम आया करता था, जबकि उसकी बेटी द्वितीय स्थान पर आया करती थी।
कराईकल के एसएसपी आर लोकेश्वरन के अनुसार मृतक 13 वर्षीय बालमणिकंदन और विक्टोरिया की बेटी आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। महिला को ईर्ष्या थी कि बालमणिकंदन क्यों उसकी बेटी से अच्छे अंक लाता था। शुक्रवार 2 सितम्बर को, स्कूल के वार्षिक दिवस समारोह के समय, महिला ने एक चौकीदार को बताया कि वह मणिकंदन की मां है, और उसे अपने बेटे को कुछ सामान देना है। उसने दो शीतल पेय की बोतलें चौकीदार को दी, और उसे कहा कि यह बोतलें उसके कथित बेटे को सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद दे दी जाये।
पुलिस के अनुसार बालमणिकंदन ने वह शीतल पेय पी लिया, और घर पहुंचते ही उल्टी करने लगा। उसके माता-पिता उसे एक निजी अस्पताल में ले गए जहां उसका इलाज हुआ और घर लौट आया। शनिवार को वह फिर से बीमार हो गया और उसे कराईकल के सरकारी सामान्य अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां शनिवार की रात उसकी मृत्यु हो गई। मरने से पहले मणिकंदन ने अपनी मां से कहा था कि चौकीदार के द्वारा भेजे गए शीतल पेय के सेवन से वह बीमार पड़ गया।
लड़के की मां को यह घटना संदिग्ध लगी और उसने कराईकल टाउन पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। विद्यालय प्रशासन ने बताया कि चौकीदार द्वारा पेय पदार्थ बाला को दिया गया, वहीं माता पिता ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे के लिए कोई पेय पदार्थ नहीं भेजा था। जब चौकीदार से पूछ ताछ हुई तो उसने बताया कि एक महिला ने बाला की माँ होने का दावा कर यह पेय पदार्थ भिजवाया था। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि पेय पदार्थ में जहर मिला हुआ था, जो जानबूझकर बालामणिगंदन को मारने के लिए दिया गया था।
पुलिस ने सागयारानी को गिरफ्तार कर लिया, पूछताछ करने पर ज्ञात हुआ कि ने शीतल पेय में एक पारंपरिक दवा मिलाई थी, जिससे लड़के को डायरिया हो जाता और उसकी मृत्यु के पश्चात किसी को संशय नहीं होता। अगर बाला ने अपनी माँ को पेय पदार्थ के बारे में नहीं बताया होता, तो शायद इस षड्यंत्र के बारे में किसी को पता ही नहीं होता और उसकी मौत प्राकृतिक ही मानी जाती। साक्ष्य मिलने के पश्चात पुलिस ने विक्टोरिया सहयारानी को गिरफ्तार कर लिया और उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहाँ से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
क्या यह मात्र ईर्ष्या थी या रिलीजियस उत्तरदायित्व था?
यूँ तो कहने के लिए यह एक ईर्ष्या जनित अपराध है, लेकिन इसका एक और पक्ष है जो हमे देखना चाहिए। मिशनरी और चर्च द्वारा गैर-विश्वासियों को ‘गुमराह भेड़’ के रूप में माना जाता है, और ईसाई बच्चों को यह पढ़ाया जाता है कि हिंदू बच्चे हीन होते हैं और उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। इस मामले में भी विक्टोरिया की मणिकंदन के प्रति ईर्ष्या के पीछे यही कारण हो सकता था। उसे यह पचा नहीं कि कैसे एक हिन्दू बालक उसकी बेटी से अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
यहाँ आप एक पादरी का वीडियो देख सकते हैं, जिसमें वह छोटे बच्चों को “पिता, माता, भाई या बहन होने पर भी दुश्मनों पर हमला करने” की सलाह दे रहा है ताकि “भगवान के घर” को खराब होने से बचाया जा सके। वीडियो में पादरी साधु सेल्वराज है, जो हिन्दुओं से घृणा करते हैं, और जिन्होंने अपने अनुयायियों को कोविड -19 वैक्सीन के बारे में भी भ्रमित किया था, उन्हें शैतान द्वारा संक्रमित बताया था।
ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जहाँ यह देखा गया है कि ईसाई बच्चों में हिन्दुओ के प्रति इस तरह के झूठ और घृणा के विचार रखने के लिए उकसाया जाता है। यही घृणा के विचार भविष्य में हिंसक घटनाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। हिन्दुओं के लिए इस जाल को समझने का समय है!