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Sunday, October 1, 2023

केंद्र सरकार का आतंकवाद पर कड़ा प्रहार, पीएफआई और 8 अन्य सहयोगी संगठनों पर यूएपीए कानून के अंतर्गत लगाया 5 वर्ष का प्रतिबन्ध

केंद्र सरकार ने अंतत: आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को यूएपीए कानून के अंतर्गत एक गैरकानूनी संस्था घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार ने पीएफआई और उसके 8 सहयोगी संगठनों पर अगले पांच वर्षों की अवधि के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस प्रतिबन्ध के साथ ही संस्था के सभी सहयोगियों को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।

पीएफआई के देश विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित होने का की बात पिछले कई वर्षों से उठती रही है, और यही कारण है कि पिछले कई दिनों से सरकारी एजेंसियों ने संस्था पर नकेल कसी हुई थी। एनआईए और ईडी ने देश भर में इस आतंकी संस्था के प्रतिष्ठानों पर छापे मारे, जिसको लेकर बड़े स्तर पर विरोध भी देखने को मिला।

मंगलवार को भी सरकार की ओर से पीएफआई के विरुद्ध कार्रवाई की गयी थी। कल सात राज्यों में स्थानीय पुलिस और आतंकरोधी दस्ते ने पीएफआइ से जुड़े ठिकानों पर छापा मारा और इससे जुड़े 170 से अधिक लोगों को हिरासत में भी लिया था। प्राथमिक पूछताछ के पश्चात कई आतंकियों और संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया गया है। इससे पहले पिछले 22 सितम्बर को एनआइए के नेतृत्व में 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापेमारी हुई थी, जिसमे सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

ऐसा बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस‘ के दौरान एनआईए, ईडी, एटीएस और राज्यों की पुलिस को पीएफआई के ‘मिशन 2047′ से जुड़े कई गंभीर साक्ष्य भी मिले हैं, जो इस आतंकी संस्था पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए उपयुक्त थे। सूत्रों के अनुसार इनमें, भारत को गृह युद्ध में झोंकना, 2047 तक ऑपरेशन गजवा-ए-हिंद को पूरा कर लेना और देश में इस्लामिक शासन लागू करना, यह तीन षड़यंत्र पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनो पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए पर्याप्त थे।

पीएफआई पर प्रतिबन्ध लगाने के महत्वपूर्ण कारण

केंद्र सरकार पिछले कुछ वर्हों से पीएफआई पर कड़ी नज़र रख रही थी, उसके क्रियाकलापों को खंगाला जा रहा था, और जब इनसे विरुद्ध कठोर साक्ष्य मिल गए तो पहले तो देश भर में इसके काडर और नेतृत्व को गिरफ्तार किया गया, तत्पश्चात इस पर प्रतिबन्ध भी लगाया गया है।

आतंकी फंडिंग – केंद्र सरकार को पीएफआई को मिलने वाले धन के स्त्रोत का पता चला है, ऐसा बताया जा रहा है कि पीएफआई को खाड़ी देशों, जैसे क़तर, कुवैत, बहरीन और तुर्की से हर वर्ष करोड़ों रूपए सहायता के नाम पर मिलते हैं । खाड़ी देशों में पीएफआई के लिए पैसा इकठ्ठा किया जाता है, जो कई तरह के हवाला चैनलों का उपयोग कर भारत तक पहुंचाया जाता है। कर्नाटक औऱ केरल पीएफआई के लिए स्थानीय धन स्त्रोत का काम करते थे, जहां से यह पैसा पूरे देश में वितरित किया जाता था।

हवाला का पैसा आतंकवादी घटनाओं के लिए वितरित करना – जांच में यह भी पता चला है कि पीएफआई हवाला के रास्ते आए धन को खातों में वितरित करने के लिए स्थानीय लोगों के नाम का फर्जी इस्तेमाल करता है। यानी जो पैसे खाड़ी से आते थे उन्हें स्थानीय चंदे के तौर पर दिखाया जाता था, और जब जांच एजेंसियों ने जब चंदे देने वालों के पतों को जांचा तो सारी पोल खुल गई। रिहैब इंडिया फाउंडेशन एक चैरिटी संस्था मानी जाती है लेकिन जांच में पता चला है कि यही रिहैब इंडिया फाउंडेशन पीएफ़आई के लिए चंदा उगाही करती है और खाड़ी देशो से इसे हर वर्ष करोड़ों रूपए मिलते हैं।

भारत विरोधी षड्यंत्र करना – ख़ुफ़िया एजेंसियों के सूत्रों के सबसे चौंकाने वाला खुलासा तो ये है कि पीएफआई और एसडीपीआई के कई वरिष्ठ नेता कुछ गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर तुर्की और अन्य इस्लामिक देशो की यात्रा करते थे, जहाँ यह लोग भारत विरोधी षड्यंत्र बनाया करते थे। पीएफआई के लोग तुर्की में टेरर-फंडिंग करने वाले कई प्रतिबंधित संगठनों से भी मिला करते थे, और योजना बना कर भारत में आतंकी घटनाएं करते थे।

भारत के विरुद्ध गृह युद्ध छेड़ना – खुफिया एजेंसियों के पास पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े औऱ इनसे प्रभावित हुए ऐसे कई लोगों की सूची है जो इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए देश छोड़ गए और सीरिया में जा कर लड़ाई लड़ रहे है। सूत्रों के अनुसार पीएफआई देशभर में नरसंहार करना चाहती थी और गृह युद्ध छेड़ने के प्रयासों में लिप्त थी। लेकिन ऑपरेशन ऑक्टोपस ने इन आतंकी संगठनो के षड्यंत्र को निष्फल कर दिया है।

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