सीबीआई ने 19 अगस्त 2022 को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के मामले में 21 जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सहित तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरावा गोपी कृष्ण का परिसर भी सम्मिलित हैं। इस छापेमारी की जानकारी देते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, ‘सीबीआई आई है, उनका स्वागत है, हम कट्टर ईमानदार हैं, लाखों बच्चों का भविष्य बना रहे हैं। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे इसी तरह परेशान किया जाता है। इसीलिए हमारा देश अभी तक नम्बर-1 नहीं बन पाया।’
मनीष सिसोदिया ने एक और ट्वीट में कहा, ‘यह लोग दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य के शानदार काम से परेशान हैं। इसीलिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री को पकड़ा है ताकि शिक्षा स्वास्थ्य के अच्छे काम रोके जा सकें। हम दोनों के ऊपर झूठे आरोप हैं, कोर्ट में सच सामने आ जाएगा। हम सीबीआई का स्वागत करते हैं, जाँच में पूरा सहयोग देंगे ताकि सच जल्द सामने आ सके। अभी तक मुझ पर कई केस किए लेकिन कुछ नहीं निकला, इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा। देश में अच्छी शिक्षा के लिए मेरा काम रोका नहीं जा सकता।’
लेकिन कार्यवाही तो आबकारी नीति के विरोध में है, फिर शिक्षा का बहाना क्यों?
जैसे ही छापे पड़े, वैसे ही आम आदमी पार्टी के सभी नेता सक्रिय हो गए और केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए। यह लोग कहने लगे कि केजरीवाल सरकार की शिक्षा नीति से घबरा कर यह छापे डाले गए हैं, लेकिन कोई भी आबकारी नीति पर बात नहीं कर रहा, कोई भी यह नहीं बता रहा कि यह मामला सीबीआई को देने के तुरंत बाद ही आबकारी नीति को रद्द कर पुरानी को क्यों लागू कर दिया गया?
केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति विवादस्पद है, इसमें कई झोल हैं, और यही कारण है कि इसकी जाँच की जा रही है। केजरीवाल सरकार ने आबकारी नीति तब बनायी थी जब पूरा देश कोरोना से पीड़ित था, दिल्ली में लाखों मामले थे, ऑक्सीजन और दवाओं के लिए हाहाकार मचा हुआ था, और तभी केजरीवाल और मनीष सिसोदिया इस नीति को बना रहे थे। आइये दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की कुछ विवादित बातों को जानें और समझें, इस नीति के अंतर्गत उन्होंने
- लाइसेंस फीस टेंडर के लिए आवेदन करने वाली शराब लॉबी को एकमुश्त 143.46 करोड़ रुपये की छूट दी।
- हवाईअड्डे पर शराब लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ रुपये की छूट दी।
- लाइसेंस शुल्क में चूक के मामले में लाइसेंसधारियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई में छूट दी।
- शराब ठेकेदारों को मिलने वाला कमीशन 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया।
- प्रतिबंधित कंपनी को भी टेंडर दिए गए।
- हर वार्ड में शराब की दुकान खोलने का निर्णय लिया गया, जबकि कई वार्ड में शराब की दुकान खोलने के लिए कमर्शियल स्थान उपलब्ध नहीं था। इस वजह से कई रिहाइशी इलाकों में भी शराब के ठेके खुल गए, जिससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गयी।
- नयी आबकारी नीति बिना कैबिनेट अप्रूवल आबकारी मनीष सिसोदिया ने बनाकर लागू कर डाली।
आम आदमी पार्टी ने आज दिन भर ढेरों प्रेस वार्ताएं की, और उनमे से किसी में भी आबकारी नीति के बारे में कोई बात नहीं की गयी। वह सुबह से यही कह रहे हैं कि उनकी सरकार के चर्चे विदेशों में हो रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स जैसे अखबारों के मुख्यप्रष्ठ पर उनकी सरकार की उपलब्धियों की खबर छप रही है। इस बात में कितनी सच्चाई है, आइये जानते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपना बहुत बड़ी उपलब्धि है या प्रोपेगंडा है?
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई ने यह छापा उसी दिन मारा जिस दिन अमेरिका के अखबार ‘न्यूयार्क टाइम्स‘ में मनीष सिसोदिया के काम की सराहना करते हुए खबर छपी। भाजपा के नेता कपिल मिश्र ने इस खबर को एक ‘पेड न्यूज’ बताया, और कहा कि यही खबर ‘खलीज टाइम्स ‘ में भी छपी है।
कपिल मिश्रा ने ट्वीट में लिखा,”एक है आज का न्यूयॉर्क टाइम्स और एक है खलीज टाइम्स : दोनो में एक ही दिन , एक जैसी खबर , एक ही जैसी फोटो। ये पेड न्यूज है,पैसे देकर छपवाए गए लेख। केजरीवाल की चोरी और झूठ दोनो पकड़े गए।”
इससे पहले एक विडियो पोस्ट करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा था, सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया , अरविंद केजरीवाल तीनों भ्रष्टाचार में जेल जाएंगे। दो के घोटाले पकड़े जा चुके हैं और तीसरा चोर भी बहुत जल्दी पकड़ा जाएगा।”
वहीं भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर लिखा है कि न्यूयॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स के लेख एक जैसे हैं। एक-एक शब्द तक मिलते हैं, एक ही आदमी द्वारा लिखे गए हैं, तस्वीरें भी एक हैं (वह भी एक निजी स्कूल की)। पेड प्रमोशन के मामले में अरविंद केजरीवाल का सानी नहीं है।
लेकिन कहते हैं ना, व्यक्ति चाहे कितना ही होशियार हो, वह कोई ना कोई गलती कर ही देता है। अरविन्द केजरीवाल ने भी प्रेस वार्ता करते हुए एक वाक्य कहा जिसने लोगों को इस खबर के पीछे की कहानी के बारे में एक संकेत जरूर दे दिया। केजरीवाल ने कहा कि “न्यूयॉर्क टाइम्स में समाचार प्रकाशित करवाना आसान नहीं है।”
यह खबर एक विज्ञापन है, जो न्यूयॉर्क टाइम्स ने पैसे लेकर छापा है। यह किसी भी अखबार के लिए एक सामान्य बात है, वह इस तरह के लेख और विज्ञापन छापते हैं और उसके बदले में एक तय राशि भी वसूलते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स तो कुछ लाख रूपए में किसी भी तरह का विज्ञापन देने को तैयार रहता है। आप उनकी वेबसाइट पर जा कर उनके नियम पढ़ सकते हैं, यह अखबार अपने ग्राहकों से अच्छा कहा पैसा वसूलता है, ताकि उनके छवि अच्छी बना सके, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उनकी बात पंहुचा सके।
कौन है इस विज्ञापन का लेखक करण दीप सिंह?
इस लेख को लिखा है करण दीप सिंह ने, जो दिल्ली के ही रहने वाले पत्रकार हैं। करण दीप सिंह कहने के लिए तो पत्रकार हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। इनके लेख न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबारों में छपते ही रहते हैं। करण दीप सिंह एक निर्माता और छायाकार हैं, जिन्होंने श्रीलंका में आतंकवादी हमलों, कश्मीर में सेना की ‘मासूम मुसलमानों’ पर कार्रवाई, और म्यांमार की सेना के रोहिंग्यों के विरुद्ध सैन्य अभियान को कवर किया है, जिसके कारण लाखों रोहिंग्या पड़ोसी बांग्लादेश और भारत में अवैध तरीके से घुसपैठ कर चुके हैं।
करण ख़ास तरह की खोजी पत्रकारी परियोजनाओं के विशेषज्ञ हैं, उन्होंने कुछ समय पहले एक वीडियो बनाया था, जिसमे भारत के पूर्वोत्तर प्रदेशों में मुस्लिम विरोधी अभियान का खुलासा हुआ था। इस वीडियो के लिए उन्हें 2020 में राष्ट्रीय एमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। करण उस दल का भाग थे जिसे खोजी रिपोर्टिंग में 2020 पुलित्जर पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट नामित किया गया था। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि करण की छवि एक सेक्युलर और हिन्दू विरोधी पत्रकार की रही है।
इस ट्वीट से उनका आम आदमी पार्टी के प्रति प्रेम देखा जा सकता है। ऐसे पत्रकार से आप किस तरह के लेख की आशा कर सकते हैं?
करण दीप सिंह और उनके देश विरोधी साथी, एक बड़ा षड्यंत्र
करण दीप सिंह ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में लिखा है, लेकिन वह भारत विरोधी लेख लिखने के लिए जाने जाते हैं । कोरोना की दूसरी लहर के समय करण ने भारत सरकार के क़दमों पर प्रश्न उठाते हुए एक लेख लिखा था, उसमे उन्होंने भारतीय सरकार की बुराई की थी, हालांकि उनके लेख में किसी भी तरह के तथ्य नहीं थे, बस अंधविरोध था।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह योगेश जैन कौन है जो करण दीप सिंह के लेख का समर्थन कर रहा है। योगेश जैन कुख्यात मोदी विरोधी और सोनिआ गाँधी के निकट सहयोगी हर्ष मंदार के मित्र हैं। यह एक पूरा संगठन है जिसमे मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़ जैसे भारत विरोधी लोग हैं, जो भिन्न भिन्न प्रकार के संगठन चलाते हैं, लेकिन इनका ध्येय एक ही है, भारत विरोधी प्रचार करना।
दुर्भाग्य की बात है कि इन लोगो की पैठ पश्चिमी वामपंथी पारिस्थितिक तंत्र में है, और यही कारण है कि यह लोग पश्चिमी अखबारों में अपने अजेंडे के हिसाब से लेख लिखवाते हैं। यही कारण है कि आपको न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, खलीज टाइम्स जैसे अखबारों में आपको भारत विरोधी खबरें मिलेंगी, वहीं केजरीवाल के शिक्षा मॉडल, स्वस्थ्य मॉडल, मोहल्ला क्लिनिक के बारे में ढेरों खबरें मिल जाएंगी।
यह देश विरोधी वामपंथी तंत्र है, जिसकी ताकत हम रोजाना ही देखते हैं। प्रश्न यह है कि क्या देश के लोग इनके कार्यकलापों को समझ पा रहे हैं? क्या आप इस षड्यंत्र को समझ पा रहे हैं? इसे समझना बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा आप को यह देश विरोधी तत्व ऐसे ही भ्रमित करते रहेंगे।