दिल्ली सरकार की नयी आबकारी नीति के अंतर्गत हुए शराब घोटाले के मामले में उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया अब बुरी तरह से घिरते जा रहे हैं। 19 अगस्त को उनके घर पर सीबीआई ने छापा मारा, इस दौरान सीबीआई उनका फोन और लैपटॉप जब्त कर ले गईं वहीं उनका ईमेल डेटा भी संकलित कर लिया गया है। उनके बारे में समाचार आ रहा है कि सरकार ने उनके विरुद्ध लुक-आउट सर्कुलर जारी हो गया है, वहीं उन पर ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया जा सकता है। ऐसा बताया जा रहा है कि सीबीआई ने शराब घोटाले से संबंधित सभी तरह के दस्तावेज प्रवर्तन निदेशालय को दे दिए हैं।
22 अगस्त को दिन भर एक खबर घूमती रही कि मनीष सिसोदिया के विरुद्ध सीबीआई ने लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। इस कार्यवाही से मनीष सिसोदिया तिलमिला गए और उन्होंने ट्वीट किया, मेरे खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। मुझे आश्चर्य हुआ, 14 घंटे की रेड में मेरे खिलाफ कुछ नहीं निकला। मैं तो घर पर बैठा हूं बताओ कहां आना है?
मनीष सिसोदिया का गुस्सा फूटा प्रधानमन्त्री मोदी के विरुद्ध
मनीष सिसोदिया बड़े ही क्षुब्ध हैं और उनका गुस्सा केंद्र सरकार और प्रधानमन्त्री मोदी पर निकल रहा है। सिसोदिया कहते हैं कि लोग अब इस बात को समझ रहे हैं कि इनकी नीयत यही है कि 2024 में अरविंद केजरीवाल एक ऐसे चेहरे के रूप में उभर रहे हैं। जो नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते हैं, इनकी नीयत इसी से रोकने की है। प्रधानमंत्री जिस सड़क पर पैदल चल कर फोटो खिंचवा कर आए वह सड़क देश की बेइज्जती करवा रही है। घोटाले का संकेत दे रही है लेकिन उसमें कोई जांच नहीं हो रही। लेकिन कोशिश यह हो रही है कि अरविंद केजरीवाल को कैसे रोका जाए। हमें प्रधानमंत्री पर भरोसा है कि वह 24 घंटे इसके बारे में ही सोच रहे होंगे कि इनको अरेस्ट करना है। इनको डर है कि अगर गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार आ गई तो इन शराब घोटाले की जांच होगी और सब पकड़े जाएंगे।
आम आदमी पार्टी बता रही है मनीष सिसोदिया को महाराणा प्रताप का वंशज
मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी के संस्थापक हैं और अरविन्द केजरीवाल के मित्र भी हैं, इसलिए पूरी पार्टी उन्हें बचाने के लिए उठ खड़ी हो गयी है। हालांकि उन्होंने अपने नेता के लिए सहानुभूति बटोरने के प्रयास में मनीष सिसोदिया को महाराणा प्रताप का वंशज ही बता दिया। यह बड़ी ही अजीब बात है कि कैसे राजनीतिक लाभ लेने के लिए एक घोटालेबाज मंत्री का नाम देश के महान राजा से जोड़ा जा रहा है। यहाँ, आम आदमी पार्टी और उनके नेता केजरीवाल से और कोई आशा भी नहीं की जा सकती है।
क्या किसी अपराधी को इस तरह हमारे देश और समाज के महानायकों का नाम अपने अपराधों को छुपाने के लिए करने देना चाहिए?
आम आदमी पार्टी की आईटी सेल हुई सक्रिय, मनीष सिसोदिया को बताया महान
जैसा की आशा थी, आम आदमी पार्टी की आईटी सेल सक्रिय हो गयी है और मनीष सिसोदिया की छवि को बदलने का प्रयास शुरू हो गया है। यहां हैरानी वाली बात यह है कि आम आदमी पार्टी आबकारी नीति पर कोई बात नहीं कर रही है, वह बस अनर्गल आरोप लगा रहे हैं या फिर मनीष सिसोदिया के भिन्न भिन्न चित्र बना कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
सिसोदिया अपनी विवादित आबकारी नीति और शराब घोटाले पर चुप क्यों हैं ?
सीबीआई ने जिन 9 नामों का उल्लेख किया है उनमें सनी मारवाह के अलावा सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा, शराब बनाने वाली कंपनी पेरनार्ड रिचर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, इंडो स्पिरिट ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर समीर महेंद्रू, ब्रिंडको सेल्स के निदेशक अमनदीप धाल, इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ओनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ और आम आदमी पार्टी के साथ कई वर्षों से काम करने वाले विजय नायर, बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अमित अरोड़ा सम्मिलित हैं।
इसी बीच सीबीआई ने आबकारी नीति में व्याप्त भ्रस्टाचार के मामले में कई निजी प्रतिष्ठानों और लोगों से पूछताछ की। इन सभी आरोपियों का नाम सीबीआई द्वारा प्रेषित एफआईआर में उल्लेखित है। इनमे से एक का सम्बन्ध पोंटी चड्ढा से भी बताया जा रहा है। सीबीआई के अनुसार चड्ढा के प्रतिष्ठानों को संभालने वाले सनी मारवाह को एल-1 का लाइसेंस दिल्ली सरकार द्वारा दिया गया था। सूत्रों के अनुसार सनी मारवाह ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ काम करता था और उन्हें नियमिति रूप से रिश्वत दिया करता था।
मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी इधर उधर की बातें कर रहे हैं, जनता को भ्रमित कर रहे हैं, लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि आबकारी नीति द्वारा कुछ व्यवसाइयों को आर्थिक लाभ क्यों दिया गया? क्यों यह नीति बिना दिल्ली सरकार की कैबिनेट की अनुमति के बिना लागू कर दी गयी? क्यों मनीष सिसोदिया और उनके साथी शराब व्यवसाइयों से होटल में मिला करते थे? क्यों शराब लाइसेंस देने में नियमों का उल्लंघन किया गया? क्यों प्रतिबंधित प्रतिष्ठानों को लाइसेंस बांटे गए ?
अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि मीडिया और जनता का पूरा ध्यान उनके शिक्षा के क्षेत्र में किये गए कार्यों पर रहे और आबकारी नीति पर कोई जवाब ना देना पड़े। उन्होंने विज्ञापन के बहाने मीडिया को भी प्रभावित कर रखा है, लेकिन जब बाते तथ्यों की होगी, विधि सम्मत तरीके से होगी, तो उन्हें जवाब तो देना ही पड़ेगा।