कनाडा में ट्रक चालकों का आन्दोलन हो रहा है, प्रधानमंत्री आवास को बीस हजार ट्रकों के घेर लिया है और प्रधानमंत्री अपने परिवार सहित कहीं सुरक्षित अज्ञात स्थान पर चले गए हैं। इस मामले पर भारत में तीव्र प्रतिक्रिया हो रही है और लोग इसे जस्टिन ट्रूडो के कर्मों का फल बता रहे हैं। सोशल प्लेटफोर्म पर हर ओर यह बात हो रही है कि जस्टिन ट्रूडो के साथ सही हो रहा है।
दरअसल लोगों के मन में गुस्सा भरा हुआ है। पूरे भारत ने देखा था कि कैसे जब भारत में कुछ किसानों ने रास्ते जाम करके कृषि कानूनों का विरोध करना आरम्भ किया था, तब भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करते हैं और भारत में ऐसे प्रदर्शनों के पक्ष में अपनी राय रखते रहेंगे।
हालांकि उस समय भी उनके इस वक्तव्य का विरोध हुआ था। भारत सरकार सहित कांग्रेस की प्रवक्ता ने भी इस बात का विरोध किया था कि आखिर जस्टिन ट्रूडो ने भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप क्यों किया। इतना ही नहीं वहां के नेताओं ने भी किसान आन्दोलन को समर्थन देने की होड़ लगा दी थी।
ऐसे ही वहां के नेता जगमीत सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नो फार्मर-नो फ़ूड, और किसान आन्दोलन का समर्थन किया था और उसे एक कम्युनिटी का आन्दोलन बताया था।
परन्तु भारत में अराजकता को एक कम्युनिटी का अधिकार बताने वाले जगमीत सिंह अब कनाडा में हो रहे आन्दोलन से दुखी हैं और कह रहे हैं कि यह वह कनाडा नहीं है, जहाँ पर उनके बच्चे बड़े होने चाहिए। उन्होंने कहा हमें ऐसे होने की अनुमति नहीं देनी चाहिए
कई नेताओं ने समर्थन दिया था कि किसी भी लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन जनता का मूलभूत अधिकार है
इतना ही नहीं दिल्ली में जब लाल किले पर जो कुछ भी हुआ था, उसे भी पूरे विश्व ने देखा था। परन्तु कहा जाता है कि कनाडा की ओर से भारत के इस आन्दोलन में समर्थन जारी रहा था। यह कहा जाता रहा था कि कनाडा की भूमि का प्रयोग भारत के विरुद्ध किया जा रहा है। अब जब यही अराजकता वहां पर हो रही है, और आन्दोलनकारी “अनिवार्य वैक्सीन” पर एवं कोरोना को लेकर लगाए गए कई प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए आजादी का आह्वान कर रहे हैं, तो वहां पर दूसरा ही दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।
इतना ही नहीं, ट्रक चालक इस बात का विरोध कर रहे हैं कि जो अमेरिका की सीमा पार कर आएँगे उनके लिए वैक्सीन अनिवार्य है।
दरअसल इन ट्रक चालकों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि जस्टिन ट्रुडो ने ट्रक चालकों को फ्रिंज माइनोरिटी या कहें ऐसे मुट्ठी भर लोग कह दिया था जिनका महत्व नहीं है। इस बात पर ट्रक चालक भड़क गए और उन्होंने सत्तर मीटर लंबा जाम लगा दिया।
जस्टिन ट्रुडो ने कहा था कि ओटावा के रास्ते में कुछ मुट्ठी भर लोग हैं, जो ऐसे विचार कह रहे हैं, जिनका समर्थन नहीं किया जा सकता है और वह कनाडा वासियों के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। और उन्होंने कहा कि 90% ट्रक चालक वैक्सीन लगवा चुके हैं।
मीडिया के अनुसार ट्रक कॉन्वॉय के आयोजकों के अनुसार जो भी हिंसा कर रहे हैं, वह उनके सदस्य नहीं हैं। वह तो ओटावा के रास्ते तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम यह जोर देकर कहना चाहेंगे कि कॉन्वॉय में से कोई भी न ही हिंसा फैला रहा है और न ही धमकी दे रहा है। हम यह सब नहीं कर रहे हैं।
वहीं कनाडा के सीडीएस ने अपने देश में इस आन्दोलन के चलते वार मेमोरियल के अपमान पर क्रोध व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा कि उन्हें यह देखकर दुःख हुआ कि कैसे कुछ आन्दोलनकारी अज्ञात सैनिक की कब्र पर डांस कर रहे थे और साथ ही वह राष्ट्रीय वार मेमोरियल को नष्ट कर रहे थे। कनाडा की पीढ़ियों ने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई की है और अपने प्राण दिए हैं। जो लोग भी इसमें शामिल हैं, उन्हें अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए।
वहां पर यूजर्स ने बताया कि वार मेमोरियल पर उन्होंने प्रदर्शन ही नहीं किए, बल्कि पेशाब भी की
परन्तु लोगों का कहना है कि कुछ लोग आजादी के लिए मरे और सरकार उनकी ही आजादी पर प्रतिबन्ध लगा रही है और उन्हें जबरन इंजेक्शन लेने के लिए बाध्य कर रही है। और लोग कह रहे हैं कि यह कॉन्वॉय इस समय दुनिया में हो रहा सबसे खूबसूरत आन्दोलन है। यह देश आजादी के लिए बहुत बड़ा उदाहरण है और आपकी सरकार का प्रोपोगैंडा डराने वाला है। आपको एक होने की आवश्यकता है!
सबसे अधिक रोचक यही बात है कि जैसे भारत में किसान आन्दोलन को फौजियों के साथ जोड़ा जा रहा था और कहा जा रहा था कि हर फ़ौजी किसी न किसी किसान का बेटा है, वहां पर भी इस ट्रक आन्दोलन से जुड़े लोग कह रहे हैं कि ट्रक चालक पूर्व सैनिक ही हैं, इसलिए अपना फालतू एजेंडा अपने ही पास रखो
एक यूजर ने प्रश्न किया कि यह देखना रोचक है कि कैसे “लिबरल सरकारें” किसी लोकप्रिय आन्दोलन से घबरा जाती हैं, और सारे स्मारक खतरे में आ जाते हैं, जब पिछले वर्ष पूरे कनाडा में वामपंथी मूर्तियाँ तोड़ रहे थे, तब आप कहाँ थे?
दरअसल जब ब्लैक लाइव्स मैटर्स का मामला चल रहा था, उस समय कई आन्दोलनकारियों ने कई प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त की थीं।
जैसे भारत में किसान आन्दोलन के समय थैंक फार्मर का अभियान चलाया था, पोस्टर बनाए गए थे, अब कनाडा में भी ऐसा हो रहा है
कुल मिलाकर भारत में लोग सोशल मीडिया पर यह कह रहे हैं कि कनाडा ने जो जहर भारत में घोलने का प्रयास किया था, अब वह स्वयं उसकी चपेट में आ रहा है, परन्तु हाँ, भारत में कोई भी नेता किसी आन्दोलन से घबरा कर अज्ञात स्थान पर नहीं गया था।
देखना होगा कि कनाडा में इस आन्दोलन का परिणाम क्या होता है क्योंकि इस आन्दोलन के समर्थन में अब ब्राजील के भी ट्रक चालक आ रहे हैं और साथ ही यह भी देखा गया है कि इस प्रकार के आन्दोलन में असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं, जैसा हमने किसान आन्दोलन में भी देखा था।
इतना ही नहीं, अनिवार्य वैक्सीन को लेकर ऑस्ट्रेलिया में भी लोग और ट्रक चालक संसद भवन के आगे एकत्र होने लगे हैं:
लोग इस भ्रष्ट सरकार के जाने की मांग कर रहे हैं और आन्दोलनकारी ट्रक चालकों का कहना है कि वह तब तक यहाँ से नहीं जाएंगे जब तक यह भ्रष्ट सरकार इस्तीफ़ा नहीं देती है