हम सभी ने देखा था कि 8 दिसंबर को हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस रावत के असमय देहांत पर कैसे एक वर्ग ने उल्लास मनाया था और उसके बाद तरह तरह के षड्यंत्र की कहानियाँ सामने आने लगी थीं। हाल ही में राजस्थान के कांग्रेस विधायक ने दावा किया था कि जनरल रावत की मृत्यु चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक षड्यंत्र था।
मगर इतना ही नहीं, जो लोग दिवंगत हुए, उनके परिवार वालों को भी एजेंडे का शिकार बनाया गया। कुछ ने कहा कि अब उनके परिवार को अकेला छोड़ दिया जाना चाहिए। मगर एक ओर उन्हें अकेला छोड़े जाने की अपील की जा रही थी, तो दूसरी ओर वही वर्ग उन परिजनों का प्रयोग अपनी वैचारिक कुंठा को निकालने के लिए कर रहा था, जो अपने गम से उबरे भी नहीं थे।
ब्रिगेडियर लिद्दर की बेटी के बहाने साधा था हिंदुत्ववादियों पर निशाना
ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिद्दर भी उस दिन सीडीएस रावत जी के साथ थे। उनका भी देहांत उसी दुर्घटना में हो गया था। पूरे विश्व ने देखा था उनकी पत्नी और उनकी बेटी का साहस। सभी इस साहस को देखकर दंग रह गए थे। उनके अंतिम संस्कार पर उनकी बेटी आशना लिद्दर ने जिस मानसिक साहस का परिचय दिया था, उसकी सराहना पूरे राष्ट्र ने की थी। सभी उस बच्ची के साथ थे क्योंकि देश के सैनिक के साथ देश का हर व्यक्ति होता है।
परन्तु एक ऐसा भी वर्ग है जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिन्दुओं से घृणा करते हुए मानसिक कुंठा की सीमा पार कर गया है। या फिर राजनीतिक विरोध में वह हर सीमा पार कर गया है।
ब्रिगेडियर लिद्दर की बेटी आशना लिद्दर, जो अभी मात्र 17 वर्ष की हैं और इस वर्ष की हर युवा लड़की की भांति अपने विचार रखती हैं। उसने कुछ विचार योगी सरकार के विषय में भी रखे थे। इस कारण उसे कुछ दक्षिणपंथियों ने “woke” कहा था। उसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं कहा था। मात्र एक शब्द के आधार पर इन एजेंडावादियों ने यह कहना आरम्भ कर दिया था कि दक्षिणपंथियों ने आशना को ट्रोल किया था, जिस कारण उसने अपना twitter अकाउंट डीएक्टिव कर दिया,
नेताओं और पत्रकारों ने चलाया था एजेंडा
प्रियंका चतुर्वेदी से लेकर जमानत पर बाहर चल रहे कीर्ति चिदंबरम ने ट्वीट किया था, प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया था कि एक 17 वर्ष की लड़की जिसने अपने पिता को हाल ही में खोया है, उसे अपना twitter खाता केवल इसलिए डीएक्टिव करना पडा क्योंकि उसके विचार इस समय की राजनीति से मेल नहीं खाते हैं, उसे उसके वोकिज्म के लिए ट्रोल किया गया।
वहीं कीर्ति चिदाम्बरम ने लिखा था कि
झूठे देशभक्त और राष्ट्रवादियों को खुद पर शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने एक युवा और शिक्षित लड़की को ट्रोल किया
एनडीटीवी सहित कई मीडिया ने इस झूठ को चलाया था
डिजिटल मीडिया में जहाँ एनडीटीवी ने इस समाचार को चलाया था तो वहीं डेक्कनहेराल्ड ने अपनी खबर में लिखा था कि दक्षिणपंथी ट्रोलर्स ने ब्रिगेडियर लिद्दर की बेटी को ट्रोल किया और उसने भी टेलीग्राफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा था कि ट्रोल करने वालों ने आशना को “वोक”, “मिलिट्री ब्रैट” और “अगली गुलमोहर कौर” कहा था।

क्या वास्तव में ट्रोल किया था?
यह सही है कि कुछ लोगों ने उसकी टाइम लाइन देखकर यह कहा था कि वह “वोक” है, परन्तु साथ ही यह भी कहा था कि वह बच्ची है अभी। वह एक सामान्य बात थी, कहीं भी उस बच्ची को मेंशन करते हुए कुछ नहीं था और न ही अपशब्द थे, जैसा इनमें दावा किया गया था।


यदि वोक कहना किसी को गाली देने के समान है तो हिन्दुओं को भक्त कहकर चिढाना या उन्हें तमाम उपमाओं से नवाजना ट्रोल करना नहीं है?
आशना लिद्दर ने परिवार के साथ रहने के लिए किया था अकाउंट डीएक्टिव
कल आशना लिद्दर ट्विट्टर पर वापस आईं और उन्होंने लिखा कि
“मेरे परिवार के साथ खड़ा होने के लिए धन्यवाद, मैं पूरे देश का धन्यवाद करती हूँ क्योंकि वह इस शोक में हमारे साथ था। जो मुझे सबसे बड़ी सांत्वना मिली वह था कि यह मेरी हानि नहीं बल्कि हमारी हानि थी।
मैंने अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए और किसी भी तरह मन न भटके, इसलिए अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया था
आशना की प्रोफाइल पर लगभग सभी दलों की बुराइयां हैं, उसमें किसी को वोकिज्म दिख सकता है, किसी को टुकड़े टुकड़े गैंग का विरोध भी दिख सकता है।
परन्तु इस झूठ की पोल खुल गयी कि उसे दक्षिणपंथियों की धमकी के चलते अपना अकाउंट डिलीट करना पड़ा था, जैसा कई लोगों ने दावा किया था। अब प्रश्न यह है कि जब कुछ लोग अपनी वैचारिक लड़ाई अपने आप नहीं लड़ पाते हैं, तब वह बच्चों का कंधा खोजते हैं और ऐसे बच्चों का, जिसके परिवार का लोग आदर करते हैं।
जैसा आशना के मामले में करने का प्रयास किया, जो बुरी तरह से विफल हुआ है! पर वह लोग फिर से किसी और एजेंडे और शिकार को खोजने निकल जाएंगे!