उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक बहुत ही हैरान करने वाला मामला सामने आ रहा है। वहां पर एक हिन्दू परिवार के बच्चे ने अपने ही आप धर्म बदल लिया है और अपने आप ही नमाज पढनी आरम्भ कर दी। समाचार यह है कि हनुमंत विहार थाना क्षेत्र स्थित संजय गांधी नगर के निवासी राकेश कुमार, जो भाजपा के नेता भी हैं, उनके बेटा कक्षा 11 का छात्र है। वह मदर टेरेसा स्कूल में पढता है।
परिवार वालों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से उनके बेटे के स्वभाव में परिवर्तन आ रहा था। वह चुप चुप रहता था। वह कमरे से कम निकलता था। परिवार के अनुसार एक दिन उन्होंने उसे अकेले में नमाज पढ़ते हुए देख लिया और इसके बाद उनके होश उड़ गए। उन्होंने बेटे को डांटा तो वह घरसे निकल गया।
परिवार वालों ने उस बच्चे के साथ पढने वाले छात्रों पर अपने बेटे का ब्रेनवाश करने का आरोप लगाया है। माँ का आरोप है कि उनका बेटा कई साल से उसी स्कूल में पढ़ रहा है, लेकिन बीते दो से ढाई महीनों में उसके उसके अंदर बदलाव आया है। दूसरे समुदाय के प्रति उसकी रुचि बढ़ी थी, जिसका असर साफ देखने को मिल रहा था। छात्र की मां का आरोप है कि बेटे की क्लास में पढ़ने वाले तीन छात्र दूसरे समुदाय हैं। उन्होने ही उसका ब्रेनवॉश किया है।
पीड़ित परिवार का यह भी कहना है कि छात्र ने अपनी कॉपी में अकबर, जहांगीर समेत अन्य मुग़ल बादशाहों की तारीफ़ में पन्ने भर दिए थे। इसके साथ ही कॉपी में हजरत अली, अल्लाह हू अकबर भी लिखा मिला था।
अमर उजाला के अनुसार
एसीपी गोविंद नगर विकास कुमार पांडेय ने बताया कि तहकीकात की गई तो सामने आया कि अलग-अलग सोशल मीडिया पर इस्लाम संबंधी फिल्में, वीडियो आदि छात्र देखता था। उसी से वह प्रभावित हुआ।
खुद ही नमाज पढ़ने जाने लगा। उसने मन्नत मांगी थी कि परीक्षा में अच्छे नंबर आए तो वह अजमेर जाएगा। इस दौरान वह पढ़ाई भी करता रहा, नंबर भी बढ़िया आ गए तो उसका विश्वास और बढ़ गया। जब डांट पड़ी तो वह अजमेर के लिए निकल गया।
पुलिस ने छात्र को मथुरा से बरामद कर लिया था। लड़के को वापस घर लाया है, वहीं किसी भी मौलाना की अभी तक संलिप्तता नहीं पाई गयी है।
इस छात्र का मामला पूरी तरह से कहीं न कहीं उसी कहानी के जैसे है जैसी हमने पहले आपके साथ साझा की थी।
वह कहानी श्रुति की थी, जो इस्लाम के इस जाल से बाहर आ गयी है, जो अपने साथ पढ़ाई करने वालों के कारण उनके जीवन को कस चुका था।

केरल में रहने वाली श्रुति ने विस्तार से बताया है कि कैसे वह धीरे धीरे इस्लाम की तरफ मुडती गईं थीं। और उन्होंने बताया भी था कि कैसे जब कुछ प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते हैं तो तब अपने धर्म से विमुखता बहुत आम हो जाती है, क्योंकि हिन्दुओं का धार्मिक अध्ययन शून्य होता है।
यह कहा जा सकता है कि चूंकि हिन्दू बच्चों का धार्मिक अध्ययन नहीं होता है तो वे कोरी स्लेट की तरह होते हैं, उन पर कोई भी कुछ लिख देता है।
पाठ्यपुस्तकों में अनावश्यक रूप से मुगलों का महिमामंडन है एवं हिन्दू धर्म का अपमान है
हमने बार बार कई लेखों में यह लिखा है कि पाठ्यपुस्तकों में बच्चों के सामने जिस प्रकार से मुगलों का महिमामंडन किया जाता है, उसने कही न कहीं बच्चों के मस्तिष्क से वह शत्रुबोध समाप्त ही कर दिया है, जो कट्टर इस्लाम को लेकर होना चाहिए। अकबर को इतिहास का सबसे महान शासक घोषित कर दिया गया है, और साथ ही हिन्दू धार्मिक ग्रंथों को बहुत ही अजीब दृष्टि से दिखाया गया है। एक ओर उन्हें मिथक भी बताया गया है तो दूसरी ओर उपहास उड़ाने के लिए उनका प्रयोग किया जाता है।,
कक्षा 11 में तो अभी तक उस एम एफ हुसैन के प्रति सहानुभूति भरने वाली किताब ही पाठ्यक्रम का हिस्सा है और साथ ही राजनीतिक तौर पर हिन्दुओं को नीचा दिखाने वाली पुस्तकें भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
बच्चों के दिलों में हमारे पर्वों के विषय में खतरनाक बातें भरी जाती हैं, जैसे पटाखों को प्रदूषण का स्रोत बताते हुए कहीं न कहीं उनके पर्व के प्रति अरुचि भरी जाती है।
पाठ्यपुस्तकें हो या साहित्य, कहीं न कहीं हमारे बच्चों के मन में अपने अस्तित्व को लेकर घृणा एवं प्रश्न उत्पन्न कर रहा है एवं उधर के शाहरुख़ आदि के लिए प्रेम! फ़िल्में भी शाहरुख, सलमान एवं सैफ आदि को महिमामंडित करती ही हैं, ऐसे में बच्चों को इस सोफिस्टीकेटेड जिहाद से बचा पाना बहुत ही कठिन है।
श्रुति एवं इस बच्चे जैसे मामले सामने संभवतया आते ही रहेंगे,