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Saturday, April 20, 2024

अयोध्या यात्रा की बात करने पर केरल के ब्लॉगर को मिल रही हैं धमकियां?

सुजीत भाक्थं केरल के एक बहुत बड़े एवं प्रख्यात ब्लॉगर है और इन दिनों उन्हें धमकियां मिल रही हैं। उनके चैनल पर 20 लाख सब्स्क्राइबर हैं, जो उनके ट्रेवल ब्लॉग को पसंद करते हैं। मगर इन दिनों उन्हें धमकियां मिल रही हैं और वह भी क्यों? क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वीडियो पोस्ट करने का अपराध कर बैठे हैं।

सुजीत इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं और वह उत्तर प्रदेश भी पहुंचे। वह उत्तर प्रदेश के कई शहरों में गए और और उन्होंने कई वीडियो पोस्ट किये। फिर वह अयोध्या पहुंचे और उन्होनें अयोध्या का भी वीडियो बनाकर पोस्ट कर दिया।

अयोध्या के वीडियो ने धर्म निरपेक्षता एवं उदारता के झंडाबरदार उखड़ गए और देखते ही देखते उनका यूट्यूब एवं फेसबुक प्रोफाइल घृणा से भरी टिप्पणियों, साइबर गुंडागर्दी और मौत की धमकियों से भर गया। इतना ही नहीं उनकी प्रोफाइल को इस्लामिक समूहों के साथ साझा कर दिया गया और साथ ही उनके खिलाफ घृणा से भरा हुआ अभियान चलाया गया।

हालांकि इतना सब होने के बाद भी उनके समर्थन में उदारता का दम भरने वालों में से कोई नहीं आया और फिर उनका साथ देने के लिए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के सुरेन्द्रन आए।

यह स्थिति बताती है कि आखिर केरल में स्थितियां कहाँ तक बिगड़ चुकी हैं। वहां पर प्रभु श्री राम की मंदिर में जाने की बात करना ही अपराध हो गया है। राज्य किस सीमा तक कट्टरपंथियों की जकड में चला गया है। इसके बाद इस घटना से आहत होकर सुजित ने पोस्ट लिखा। उन्होंने लिखा कि

“मैं एक घुमक्कड़ हूं और पिछले 6 महीनों से कार से पूरे भारत में घूमा हूं, अलग-अलग जगहों का दौरा किया है। मैंने हिंदू मंदिरों, बौद्ध मंदिरों, मुस्लिम मस्जिदों, सिख गुरुद्वारों और ईसाई चर्चों को कवर किया है। हालाँकि अन्य धर्मों के बारे में मेरा ज्ञान सीमित है, फिर भी मैं जितना हो सके जाने की कोशिश करता हूँ। कुछ जगहों (पूजा के) में हमें प्रवेश की अनुमति नहीं है। हम जहां भी अनुमति है वहां जाते हैं।

पिछले छह महीनों में, हमने 24 भारतीय राज्यों की यात्रा की। अब हम उत्तर प्रदेश (यूपी) में हैं, और यूपी में ज्यादातर हिंदू तीर्थ स्थल हैं। चूंकि मेरे साथ मेरे बुजुर्ग पिता और माता हैं और हिंदू धर्म में विश्वास करते हैं, इसलिए हम ऐसी जगहों (हिंदू मंदिरों) में जाते हैं।

‘संवेदनशील’ अयोध्या जाने से पहले ही मुझे पता था कि ऐसा कुछ (आक्षेप) होगा। इसलिए, मेरे वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं था जो उक्त स्थान (अयोध्या) के बारे में विवाद खड़ा कर सके। मेरा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।

मैं इस वीडियो के कमेंट बॉक्स को प्रतिबंधित कर रहा हूं क्योंकि लोगों को आपस में लड़ते हुए देखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरे कारण कोई न लड़े। हर कोई दावा करता है कि मैं एक विशेष राजनीतिक दल (बीजेपी) से संबंधित हूं क्योंकि मैं एक हिंदू हूं और मेरे नाम में भक्त जुड़ा हुआ है। मुझे उनसे केवल एक ही बात कहनी है। मैं मनुष्य हूँ और भारत में रहने वाला मनुष्य हूँ।“

यह भी तब हुआ जब सुरेन्द्रन ने हस्तक्षेप किया।

सुंदरन ने फेसबुक पर लिखा कि

पिनाराई विजयन और उनके सहयोगी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में जमकर उपदेश देते हैं लेकिन मजहबी कट्टरपंथियों के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि केरल एक खतरनाक रास्ते की ओर बढ़ रहा है जहां कट्टरपंथी इस्लामवादी तय करते हैं कि किसे क्या कहना चाहिए, क्या पेश करना है (सोशल मीडिया पर), क्या खाना है, क्या लिखना है और कहां जाना है। उन्होंने कहा कि इसका ताजा उदाहरण सोशल मीडिया पर विख्यात ट्रैवल इन्फ्लुएंसर सुजीत भक्तन के खिलाफ जिहादी साइबर हमला है।

सुजीत ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि की अपनी यात्रा का एक वीडियो पोस्ट किया, जिससे शिक्षित प्रदेश केरल में धार्मिक संप्रदायों में आक्रोश फैल गया। अयोध्या हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, और भगवान राम की पूजा होती हैं। साइबर जिहादियों ने सुजीत से सवाल किया कि वह वहां क्यों गए। यह तालिबानवाद (केरल में) है, जहां कट्टरपंथी तय करते हैं कि आप कहां जाएं और क्या देखें।

अंत में, युवा यूट्यूबर को सभी घृणित टिप्पणियों को हटाना पड़ा और अपनी धर्मनिरपेक्षता को साबित करते हुए एक टिप्पणी पोस्ट करनी पड़ी। यह मुख्यमंत्री (विजयन) की भूमि है, जो नागरिकों को लगातार याद दिलाते हैं कि यह ‘केरल’ है। यह एक ऐसी भूमि है जहां इस्लामवादियों की स्वीकृति के बिना कुछ नहीं होता है।

वामपंथी सरकार उन लोगों के पीछे पड़ी है जिन्होनें एक स्कूल में देशभक्ति वाली भावनाओं का प्रदर्शन किया। केरल की आज की दुखद तस्वीर इस बात से जाहिर होती है कि उस कला समूह के संयोजक को अपनी जान का खतरा है और उसने सरकार से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है।

सुरेंद्रन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, कांग्रेस और विजयन के दामाद पीए मोहम्मद रियास के नेतृत्व वाले कई कम्युनिस्टों का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने एक थिएटर ग्रुप पर आपत्ति जताई थी, जिसने एक नाटक का मंचन किया था, जिसमें हाल ही में कैप्टन विक्रम मैदान, कोझीकोड में आयोजित केरल स्कूल कला महोत्सव में मुसलमानों को चरमपंथी के रूप में दिखाया गया था। इस नृत्य नाटिका में दिखाया गया था कि सैनिकों ने ओसामा बिन लादेन जैसे कट्टरपंथियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली टोपी और पोशाक पहने एक आतंकवादी पर काबू पा लिया था।

रियास ने कट्टरपंथी इस्लामवादियों को उकसाया जब उन्होंने कहा कि देश में एक विशेष समुदाय को चरमपंथी के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के मंत्री रियास ने कहा कि नाटक का निर्देशन करने वाले पेरम्बरा स्थित माथा कलाकेंद्र के पदाधिकारी कनकदास की संघ परिवार के साथ कथित संबंधों की जांच की जानी चाहिए!

सुरेंद्रन ने कहा कि हाल ही में, पझायिदम जैसे वरिष्ठ शेफ को धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से एक सार्वजनिक कार्यक्रम से हटना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि मंत्री मोहम्मद रियाज जैसा मंत्री सीधे तौर पर इस तरह के इस्लामीकरण का नेतृत्व कर रहा है। मैं मंत्री जी और उनके दल को याद दिला दूं कि इस देश में हर कोई जिहादियों के वर्चस्ववादी रवैये को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

उपर्युक्त युवा उत्सव में शाकाहारी भोजन परोसने के लिए प्रसिद्ध रसोइया पझायिदम मोहनन नंबूदरी को लेकर विवाद हुआ था और उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। ग्रीन कम्युनिस्टों ने ‘ब्राह्मणवादी आधिपत्य’ का दावा किया और वह इस उत्सव में मांसाहारी भोजन (हलाल मांस) परोसना चाहते थे, जो कि 1956 में शुरू होने के बाद से राज्य स्कूल कला महोत्सव में नहीं हुआ था।

पझायिदम ने स्पष्ट किया कि सरकार ने शाकाहारी भोजन के लिए कहा है और जो व्यक्ति सबसे कम बोली प्रदान करेगा, उसे कार्यक्रम में भोजन प्रदान करने का ठेका दिया जाएगा। वह सिर्फ उन निर्देशों का पालन करने वाला ठेकेदार था।

धमकियां इस सीमा तक दी गयी थीं कि जहां खाना बनाया जा रहा था, उसके चारों ओर पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए। केरल के सबसे प्रसिद्ध शेफ को अपनी रसोई को विशेष सुरक्षा देनी पड़ी और उसे तोड़फोड़ से बचाने के लिए रात भर जागना पड़ा। उन्होंने पझायिदम में यही दोष देखा था कि वह उच्च जाति के ब्राह्मण थे।

जब पझायिदम ने देखा कि कैसे बच्चों के आहार में भी सांप्रदायिकता और जातिवाद के जहरीले बीज बोए जा रहे हैं too उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। मनोवैज्ञानिक लड़ाई जीतने के बाद, रियास ने घोषणा की कि अगले कला कार्यक्रम में मांसाहारी भोजन शामिल होगा।

हालांकि कई हिंदू संगठनों ने चेतावनी दी है कि उपरोक्त घटनाएं का ही दूसरा रूप हैं, परन्तु लोगों को इसकी चिंता नहीं है विशेषकर तथाकथित ‘धर्मनिरपेक्ष’ हिंदुओं को। यहां तक कि केरल के हिंदुओं के मूलभूत मानवाधिकारों का भी हनन किया जा रहा है, और कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर रहा है।

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