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Saturday, April 20, 2024

सेक्युलर नेता, व्यापारी और खान मार्किट गैंग: मिल कर करें ऑक्सीजन की कालाबाज़ारी

दिल्ली में ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले में पिछले कुछ दोनों में पुलिस ने लुटियंस दिल्ली के केंद्र खान मार्किट इलाके के कुछ सर्वोत्कृष्ट रेस्टोरेंट तथा एक फार्म-हाउस से कुल 524 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किए हैं। इस मामले में दो नाम आगे आए हैं – खान मार्किट के लोकप्रिय रेस्टोरेंट ‘खान चाचा’ के मालिक नवनीत कालरा, जो अभी फरार हैं, तथा सेक्टर 54, गुरुग्राम के निवासी गौरव खन्ना, जो मैट्रिक्स सेल्युलर सर्विसेज लिमिटेड के सीईओ हैं, जिन्हें शुक्रवार रात को हिरासत में ले लिया गया है।

‘खान चाचा’ रेस्टोरेंट में दिल्ली पुलिस के छापे का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। पुलिस ने बताया कि पहले चार लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्होंने बताया कि खान मार्केट में कुछ रेस्टोरेंट में ऑक्सीजन  कंसन्ट्रेटर्स रखे हुए हैं। पुलिस के अनुसार मैट्रिक्स सेल्युलर के पास 650 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स का कंसाइन्मेंट आया था, जिसमें से 524 जब्त किए जा चुके हैं।

दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को नवनीत कालरा की कई संपत्तियों पर छापा मारा था, जैसे नेगे जू रेस्टोरेंट एंड बार एवं टाउनहाल रेस्टोरेंट एंड बार और साथ ही प्रसिद्ध खान चाचा रेस्टोरेंट एंड बार पर भी।  रिपोर्ट के अनुसार नवनीत कालरा के पास ऑर्डर्स ऑनलाइन पोर्टल्स तथा व्हाट्सएप से आ रहे थे। जब पुलिस ने नेगे जु रेस्टोरेंट एंड बार पर छापा मारा तो एक व्यक्ति वहां पर लैपटॉप लेकर बैठा हुआ था और वह ऑनलाइन ऑर्डर्स ले रहा था।

दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि वह मैट्रिक्स सेल्युलर के मालिक गगन दुग्गल की भी भूमिका की जांच कर रही है। मैट्रिक्स सेल्युलर सिम और कालिंग कार्ड्स में काम करने वाली कंपनी है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुलिस के स्रोतों का यह कहना है कि यह दुग्गल ही है जिसने मशीनों को आयात किया और फिर कालरा से खान मार्किट और लोधी रोड में अपने रेस्टोरेंट में रखने में मदद की।

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार हर मशीन को 16,000 से 20,000 रूपए की लागत से आयात किया गया था और उन्हें 70,000 से 80,000 की कीमत पर बेचा जा रहा था। और उन्होंने यह भी कहा कि सभी मशीनों को मैट्रिक्स सेल्युलर के नाम पर आयात किया जा रहा था और उन्हें एयरपोर्ट से इसी दावे के साथ एकत्र किया गया था कि इन्हें अस्पताल भेजना है। पुलिस का यह भी कहना है कि नवनीत कालरा व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बनाकर ऐसे ऑर्डर्स लेता था और वही इस पूरे खेल का मास्टर माइंड है।

मगर एक प्रश्न यह उठता है कि दिल्ली सरकार के नाक के नीचे इतना बड़ा कालाबाजारी का गोरखधंधा चल रहा था और समझ में नहीं आया।  पुलिस की नजर में यह गोरखधंधा तब आया जब गश्त लगाने के दौरान पुलिस ने नेगे जू रेस्टोरेंट एंड बार को खुला देखा और तलाशी ली। और इस प्रकार इस पूरे खेल का पता चला।

हालांकि इस घटना के बाद से नवनीत कालरा फरार है, परन्तु वह कई प्रश्न पीछे छोड़े हुए है। सबसे पहला प्रश्न तो यही है कि क्या यही एकमात्र उसका अवैध कारोबार है? या कुछ और भी वह अवैध कारोबार करता है, क्योंकि कुछ सूत्रों की मानें तो पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेसी नेता मुहम्मद अज़हरुद्दीन के साथ भी उसकी व्यवसाय में भागीदारी है, तथा क्रिकेट सट्टेबाजी से भी उसके जुड़े होने की आशंका है। जो भी हो एक बात सत्य है कि वह मीडिया का भी दुलारा है। पेज थ्री पर अक्सर उसकी तस्वीरें हुआ करती थीं। और मीडिया का तो इस वजह से भी दुलारा था कि उसकी पत्नी किट्टी कालरा मुस्लिम हैं और वह और नवनीत कालरा दीपावली की तरह ईद भी उतने ही प्यार से मनाते हैं।

हालांकि किट्टी कालरा एक माना हुआ नाम हैं एवं यह भी कहा जाता है कि वह एक अमीर मुस्लिम पिता एवं हिन्दू माँ की पुत्री हैं। यही कारण है कि कथित गंगा जमुनी तहजीब के कारण लिबरल मीडिया के प्रिय हैं।

परन्तु कहा जाता है कि लुटियंस मीडिया किसी का सगा नहीं होता और विशेषकर गंगा जमुना तहजीब का झंडा उठाने वालों में केवल मजहबी वालों का सगा होता है। जैसे ही खान चाचा रेस्टोरेंट के मालिक की बात चलने लगी वैसे ही सबसे पहले लिब्रल्स की यह प्रतिक्रया आने लगी कि केवल रेस्टोरेंट का नाम ‘खान चाचा’ है, जबकि मालिक नवनीत कालरा है।

सेक्युलर एवं गंगा जमुना तहजीब का झंडा उठाने वाली कुख्यात पत्रकार रोहिणी सिंह ने भी ‘खान चाचा’ नाम को बचाने के इरादे से ट्वीट किया कि “नवनीत कालरा ने खान मार्केट में काफी संपत्ति बनाई हुई है और नई दिल्ली में उसके कई रेस्टोरेंट हैं और उसकी दयाल ऑप्टिकल चेन भी है। फिर भी उसने इस महामारी का इस्तेमाल पैसे कमाने में किया। कितना दुष्ट व्यक्ति है!

पर कई यूजर्स ने प्रश्न किये कि क्या नवनीत कालरा ने यह अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए मंगाए थे या फिर बेचने के लिए या जमाखोरी के लिए? और फिर एक यूजर ने स्क्रीन शॉट साझा किया जिसमें इस पूरी गतिविधि को सेवा बताया गया था

जिसमें लिखा है कि नवनीत कालरा सेवा के लिए ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स आयात कर रहे हैं। और इसके लिए हम आभारी हैं! नवनीत कालरा के कारण ही उसे ऑक्सीजन मिली।

ऐसा ही एक तर्क किसी और यूजर ने दिया कि यदि उसने आयात किये थे बेचने के लिए तो वह बेच सकता है। हालांकि यह तर्क कहीं नहीं टिकता है, जब आप विवश लोगों को बाज़ार से अधिक मूल्य पर बेचें, एवं यह भी प्रश्न उठता है कि रेस्टोरेंट चलाने वाले के पास क्या ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स बेचने और रेस्टोरेंट में जमा करने का लाइसेंस था? कुछ सूत्रों के अनुसार कालरा के नेगे जू रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन सिलिंडर भी बरामत हुए।

ऐसे में उसे पुलिस के आरोप पढने चाहिए कि गगन दुग्गल ने आयात किये थे, अस्पतालों में डिलीवरी देने के नाम पर और वह इन्हें व्यक्तिगत दाम बढ़ाकर नहीं बेच सकता। परन्तु उसने यह किया, क्या अपने राजनीतिक और मीडिया के संपर्कों के कारण।  क्योंकि राजनेताओं के साथ नवनीत कालरा के काफी घनिष्ठ सम्बन्ध थे और विशेषकर अरविन्द केजरीवाल सरकार के साथ। अरविन्द केजरीवाल ने जब तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो कुछ विशेष नागरिकों को आमंत्रित किया गया था, जिन्हें दिल्ली के निर्माता का नाम दिया गया था। और उनमें नवनीत कालरा का भी नाम सम्मिलित था।

क्या इसी प्रकार दिल्ली का निर्माण हो रहा था?  इतना ही नहीं यह भी चर्चा है कि कालरा लुटियंस के कई प्रभावशाली हस्तियों एवं कांग्रेस का भी नज़दीकी है।

वैसे कांग्रेस का एक नेता हरियाणा में ऑक्सीजन सिलिंडर की काला बाजारी करते हुए पकड़ा गया है। फरीदाबाद में क्राइम ब्रांच सेक्टर 17 की टीम ने ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी करते हुए बिजेंद्र मावी को 50 ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ हिरासत में लिया था।  पुलिस के अनुसार उन्होंने खुफिया जानकारी पर कदम उठाया और जब उससे सिलिंडर आपूर्ति का लाइसेंस माँगा गया तो वह कोई भी दस्तावेज़ नहीं दे सका। वह पहले प्राइवेट कंपनी में सिलिंडर आपूर्ति का कार्य करता था, परन्तु कोरोना काल में वह इन सिलिंडरों को निजी अस्पतालों में देने लगा।

पुलिस ने कहा कि जब वह सिलिंडर लेकर आता था तो वह उन सिलिंडर में से कुछ न कुछ गैस निकाल लेता था और फिर महंगे दामों पर जरूरत मंद लोगों को बेच देता था। गिरफ्तार व्यक्ति बिजेंद्र मावी का सम्बन्ध कांग्रेस से जुड़ा हुआ बताया जाता है।

ऐसे में प्रश्न उठता है क्या नेता और व्यापारी, ख़त्म करेंगे ऑक्सीजन की कालाबाजारी?


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