भारतीय जनता पार्टी का ध्यान इन दिनों अपनी पार्टी के सदस्यों के विस्तार पर है और वह पसमांदा समुदाय को जोड़ने के लिए एवं उनके उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही है। यद्यपि यह एक उचित कदम लगता है और किसी भी देश का कोई भी समुदाय विकास पथ से वंचित रहे, यह भी नहीं उचित प्रतीत नहीं होता है। परन्तु इस सम्बन्ध में कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए कि कहीं अल्पसंख्यकों के नाम पर भारतीय जनता पार्टी में कट्टरपंथी तत्व ही तो सिर नहीं उठा रहे हैं या फिर उन संगठनों के विरुद्ध तो विमर्श नहीं तैयार हो रहा है, जिन्होनें भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने में बार बार वैचारिक सहायता की है?
यह प्रश्न इसलिए आज फिर से उभर कर आया क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अपने एक लेख में विश्व हिन्दू परिषद की आलोचना करते हुए उन्हें ऐसा ठहराया है जैसे कि विश्व हिन्दू परिषद भाजपा का विरोध करती है। मामला बिलकिस बानो के बलात्कार वाला है। जिसे लेकर हंगामा मचा हुआ है। मामला न्यायालय में है, और जो निर्णय आएगा, वह सभी को पता चल ही जाएगा। परन्तु जिस प्रकार से इसे लेकर हिन्दू धर्म के लोगों को घेरा जा रहा है, वह अक्षम्य है एवं वह कहीं न कहीं हिन्दुओं के प्रति घृणा को ही दिखाता है।
इस लेख में बिलकिस बानों वाले मामले में गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार का बचाव करते हुए शाजिया ने लिखा है कि
भेदभाव के आरोप बकवास है। सरकार ने उन लोगों की रिहाई के लिए कोई भी विशेष अभियान तमिलनाडु सरकार के जैसे नहीं चलाए जैसा उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की ह्त्या में दोषी लोगों की रिहाई के लिए चलाया था।
फिर शाजिया लिखती हैं कि “यह तीसरे बिन्दु की ओर भी ध्यानाकर्षित करता है। विहिप के सदस्यों द्वारा दोषमुक्त किए गए दोषियों का अभिनंदन। इसका श्रेय भाजपा को देना विशेष रूप से अजीब है और वह भी यह देखते हुए कि कि गुजरात भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं विश्व हिन्दू परिषद के मध्य तीखी नोंक झोंक होती रही है। विहिप, खुलकर पीएम मोदी के खिलाफ बदनामी और मानहानि का अभियान चला रही है और यह कह रही है कि यह भरतीय जनता पार्टी है जो हिन्दुओं की स्ट्रीट पावर को समाप्त कर रही है! उन्हें यह अहसास नहीं है कि भाजपा कानून और व्यवस्था के मामलों में प्रधानमंत्री मोदी के गैर पक्षपाती आचरण को अनदेखा कर रहे हैं । यह सही है कि इस सम्मान से बचा जा सकता था, लेकिन सवाल यह है कि दोनों संगठनों के बीच कटुता के इतिहास को देखते हुए इसका भाजपा से क्या लेना-देना है?

अर्थात भारतीय जनता पार्टी की नेता ने उस संगठन को भारतीय जनता पार्टी से दूर करने का प्रयास किया है, जिन्होनें साथ मिलकर राम मंदिर का आन्दोलन लड़ा था। इस लेख को लेकर विश्व हिन्दू परिषद से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है जिसमें उन्होंने कहा है कि शाज़िया इल्मी ने जिस प्रकार से इन्डियन एक्सप्रेस में लिखा है, वह तथ्यों को जांचे बिना लिखा है और यह हिन्दू समाज और हिन्दू समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन के प्रति उनकी सोच बताता है, यह न केवल विश्व हिन्दू परिषद के लिए बल्कि भारतीय जनता पार्टी के लिए भी अपमानजनक है!
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस विषय में स्पष्ट करना चाहिए!
परन्तु ऐसा तो नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी के मुस्लिम नेता ने पहली बार किसी हिन्दू विरोधी मानसिकता का परिचय दिया हो, कहीं न कहीं ऐसे लोग भारतीय जनता पार्टी में मुस्लिमों को नजदीक लाने के नाम पर सम्मिलित हो रहे हैं, जिनका एजेंडा कुछ और ही है या फिर जिनकी सोच कुछ और ही है।
जैसे उदयपुर में कन्हैयालाल के हत्यारों की भी तस्वीरें सामने निकलकर आई थीं कि कैसे उन्होंने भारतीय जनता अल्पसंख्यक मोर्चे का लाभ उठाने का प्रयास किया था
इस बात की सहज कल्पना ही नहीं की जा सकती है कि इतने कट्टरपंथी तत्व भारतीय जनता पार्टी, जिसे कट्टर हिन्दुओं की पार्टी कहा जाता है, उसमें प्रवेश करने का एवं नेताओं के साथ फोटो खिंचाने का प्रयास कर सकते हैं?
इतना ही नहीं जुलाई में लश्कर का एक आतंकी तालिब हुसैन शाह पकड़ा गया था, जिसकी तस्वीरें भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं के साथ पाई गईं थीं यहाँ तक कि वह अमित शाह जी के पीछे खड़ा हुआ था। हालांकि वह कुछ ही दिन पार्टी में रहा, परन्तु फिर भी यह घटना यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि कैसे ऐसे कट्टरपंथी तत्व भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश पाजाते हैं!

जम्मू कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविन्द्र रैना ने कहा था कि वह मीडिया का व्यक्ति बनकर मिलने आता था:
जब कर्नाटक में हिजाब को लेकर आन्दोलन चल रहा था तो उस समय भारतीय जनता पार्टी के नेता हिलाल जन ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लामिक मत का हिस्सा है और जिन लोगों ने मुस्कान को भगवा शाल पहनकर रोकने का प्रयास किया है, उन पर कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं से देश का नाम बाहर खराब होता है।
अब इसमें यह नहीं समझ आया कि क्या भारत का नाम तब खराब नहीं होता है जब भारत का एक बड़ा वर्ग अपनी अलग मजहबी पहचान के लिए समान नागरिकता के रूप में रहने से इंकार कर देता है?
वहीं जम्मू और कश्मीर की भाजपा नेता मीर शफीका ने तो यहाँ तक अनुरोध कर दिया था कि मुस्लिम और शेष भारत के मुस्लिम हिन्दुओं के खिलाफ हो जाए क्योंकि हम मूर्तियों की पूजा करते हैं और हमें मारा ही जाना चाहिए
यहाँ तक कि नुपुर शर्मा के मामले में भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंखक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा उठाए गए कदम पर कहा था कि खुशी हुई कि भारतीय जनता पार्टी ने नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कदम उठाया! अर्थात नुपुर शर्मा को, जिन्हें अभी तक न्यायालय ने दोषी नहीं ठहराया है, उन्हें लेकर भी ऐसे बोल बोले गए थे!

अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल की एक नेता नाजिया इलाही खान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने दुर्गापूजा को 250 करोड़ रूपए क्यों दिए,
और वहीं पश्चिम बंगाल में ही एक और नेता जो अल्पसंख्यक मोर्चे के न होकर बर्द्धमान सदर जिला के अध्यक्ष हैं, जिनका नाम अविजित ता है, उन्होंने पार्टी के किसान मोर्चा द्वारा आयोजित बैठक में प्रभु श्री कृष्ण के बड़े भाई एवं शेषनाग के अवतार बलराम देव के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया, जिसे लेकर बजरंग दल ने आपत्ति दर्ज की एवं पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

ऐसे तमाम उदाहरण पार्टी में अब देखे जा रहे हैं जिनमें हिन्दुओं के प्रति एक घृणा का स्वर देखा जा रहा है? क्या भारतीय जनता पार्टी को कोई विचार हाईजैक कर रहा है या फिर जैसा लोग आरोप लगाते हैं कि वह हिन्दुओं के समर्थन को अनदेखा कर रही है? क्या वास्तव में ही अल्पसंख्यक विमर्श के नाम पर ऐसे तत्व पार्टी की विचारधारा को अपने अनुसार तोड़ मरोड़ रहे हैं, जो बहुसंख्यक वर्ग की भावना को नहीं समझ रहे हैं? ऐसे तमाम प्रश्न भारतीय जनता पार्टी के समर्थक कर रहे हैं, परन्तु हाल फिलहाल उत्तर नहीं मिल रहा है!
आखिर ऐसा क्या कारण है कि कट्टरपंथी इस्लामिक तत्व एवं हिन्दू विरोधी तत्व या कहें हिन्दू संगठन विरोधी स्वर भारतीय जनता पार्टी में सिर उठा रहे हैं और जिनके कारण उसका मतदाता खुद को ठगा अनुभव कर रहा है!