बिहार में जब से निशीत कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन करके सरकार बनायी है, राज्य की कानून व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। गरीब, पिछड़ों, किसानों और बेरोजगारों के साथ न्याय करने के दावों के साथ बनी इस सरकार ने पहले ही दिन से इन सभी वर्गों पर मात्र अत्याचार ही किया है। कभी नौकरी मांगने आये बेरोजगार युवकों की पुलिस पिटाई करती है, कभी किसानों पर अत्याचार होता है।
ताजा मामला बिहार के बक्सर जिले का है, जहां थर्मल पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के विषय पर किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस द्वारा पिटाई किये जाने से क्रुद्ध ग्रामीण किसान बुधवार सुबह लाठी-डंडे लेकर पुलिस और पावर प्लांट पर टूट पड़े और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ कर उनमें आग लगा दी। उन्होंने वहां उपस्थित एंबुलेंस, फायरब्रिगेड समेत 13 गाड़ियां फूंक दीं और प्लांट के द्वार पर भी आगजनी की गई।
पुलिस ने हवाई फायरिंग करके भीड़ को खदेड़ने का प्रयास किया, जिससे किसान और भड़के और उन्होंने भी पत्थरबाजी की। इस घटनाक्रम में चार पुलिसकर्मी और कुछ किसान भी घायल हुए हैं। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और पावर प्लांट का कार्य भी बाधित हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार किसान 85 दिन से इस पावर प्लांट का विरोध कर रहे हैं। सरकार की अकर्मण्यता से क्षुब्ध किसानों ने मंगलवार को प्लांट के मुख्य द्वारा पर ताला लगा दिया और धरने पर बैठ गए। उस समय तो पुलिस ने कुछ नहीं किया, लेकिन रात को पुलिस ने बनारपुर गांव में घुसकर स्थानीय किसानों के साथ मारपीट की और चार लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया। पुलिस ने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा था जिससे ग्रामीण लोगों का गुस्सा बुधवार सुबह फूट पड़ा। ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर प्लांट पर पहुंच गए और उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बक्सर के मुफस्सिल थाने के चौसा में बनारपुर गांव के पास एक थर्मल पावर प्लांट लगाया जा रहा है। जिला भू-अर्जन कार्यालय के अनुसार चौसा क्षेत्र के चौदह गांवों के मौजे के 137.0077 एकड़ जमीन पर रेल कॉरिडोर बनना है। इसके लिए 55.445 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की जाएगी। इसमें कई गांव के मौजे के तहत कुल 309 किसानों की भूमि की अधिसूचना निकाली गई है।
सरकार किसानों की जमीन का अधिग्रहण कर रही है तो वहीं किसान इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। यह समस्या पिछले कुछ महीनों से चल रही है और सरकार और किसानों के बीच एक अवरोध सा बन गया था। इस विषय पर सरकार और पुलिस को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी, लेकिन हुआ इसका एकदम उलट ही।
मंगलवार रात 11:30 बजे पुलिस ने एकाएक गांव में धावा बोल दिया और घर में सो रहे किसानों के दरवाजे को जोर-जोर से पीटने लगी। कुछ किसानों ने तो अपना दरवाजा ही नहीं खोला, लेकिन जिन किसानों ने अपना दरवाजा खोला, उन पर पुलिस टूट पड़ी। ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान महिलाओं और बच्चों को भी पुलिस ने नहीं छोड़ा। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस नरेंद्र तिवारी के साथ चार लोगों को गिरफ्तार कर के ले गई है।
बेरोजगारों को नौकरी देने का वादा करने बनी सरकार ही कर रही है उन पर सबसे ज्यादा अत्याचार
पिछले महीने 13 दिसंबर को पटना में बिहार पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर जमकर लाठियां भांजी थी। यह युवा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) की परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवार थे, और यह अपनी भर्ती जल्दी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
पुलिस के लाठीचार्ज से जुड़े कई वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर सामने आए थे। इनमें देखा जा सकता है कि पुलिस किस तरह से युवाओं को लाठियों से पीट रही है। पुलिस की लाठी चलते ही भीड़ तितर-बितर हो जाती है और सैकड़ों युवा सड़क किनारे की दुकानों पर खड़े होकर पिटाई से बचने का प्रयास करते दिखते हैं।
इसी प्रकार पिछले वर्ष 22 अगस्त को करीब 5 हजार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) पास युवक डाक बंगला चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे थे, तभी उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। पटना के एडीएम केके सिंह ने तिरंगा लिए एक प्रदर्शनकारी छात्र पर जमकर लाठी बरसाई। उसे इतनी लाठियां मारी गयी कि उसका खून भी बहने लगा।
बाद में एक पुलिसकर्मी ने प्रदर्शनकारी से तिरंगा छीन लिया था और उसकी पिटाई भी की। बता दें एडीएम की पिटाई से एक अभ्यर्थी अनिशु का जबड़ा टूट गया था, जिसका इलाज करने के पश्चात उसे उसके पैतृक घर दरभंगा भेजा गया था। वहीं एक अन्य घायल धीरज को फर्स्ट एड देकर हॉस्पिटल से छोड़ दिया गया था।