आज का बांग्लादेश 1947 तक भारत का भाग हुआ करता था, विभाजन के पश्चात यह मुस्लिम बहुल बंगाल प्रांत पूर्वी पाकिस्तान बन गया था । चूंकि यहाँ मुस्लिम जनसंख्या अधिक थी, हिन्दुओ और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ यहाँ हमेशा से ही अत्याचार होता रहा है। 1971 के युद्ध का मुख्य कारण यह नस्लीय अत्याचार ही था, जिसके कारण लाखों हिन्दुओं और बंगाली मुस्लिमो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
जैसा कि हर मुस्लिम बहुल देश में होता है, बांग्लादेश में भी सरकार से लेकर व्यापार और यहाँ तक कि खेलों में भी मुस्लिमों का प्रभुत्व है। देश की क्रिकेट टीम में भी अधिकाँश मुस्लिम खिलाड़ी ही हैं, हालांकि कुछ हिन्दू खिलाड़ियों को भी कभी कभी खेलने का अवसर मिलता है। बांग्लादेश की क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज सौम्य सरकार और विकेटकीपर लिटन दास ही हिंदू हैं। दोनों ही खिलाड़ी काफी अच्छे माने जाते हैं, और अपने डीएम पर कई मैच बांग्लादेश को जिता भी चुके हैं।
सोशल मीडिया पर इन दिनोंस एक वीडियो बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो बांग्लादेश का बताया जा रहा है, और इसे ‘वॉइस ऑफ बांग्लादेशी हिंदू’ नामक ट्विटर हैंडल ने शेयर किया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक अवयस्क बच्चा सिर्फ इसलिए बांग्लादेशी क्रिकेटर सौम्य सरकार से नहीं मिलना चाहता है, क्योंकि वह एक हिंदू है।
इस वीडियो में दिख रहा बच्चा बांग्लादेश के एक मदरसे में पढ़ता है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि जब पत्रकार बच्चे से पूछता है कि वह किस क्रिकेटर से मिलना चहता है? इसका जवाब देते हुए कहता है, “मैं मुश्फिकुर, मुस्तफिजुर रहमान, तासकीन अहमद और सैरिफुल से मिलना चाहता हूँ।” पत्रकार जब बच्चे से सौम्य सरकार के बार में पूछता है, तब बच्चा कहता है, “सौम्य सरकार तो हिंदू क्रिकेटर है। मैं उससे नहीं मिलना चाहता।”
हालांकि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं, क्योंकि मदरसों में मुस्लिम बच्चों को यही शिक्षा दी जाती है। उन्हें बचपन से ही काफिरों से द्वेष रखना सिखाया जाता है, उन्हें यही समझाया जाता है कि काफिर उनके मजहब के दुश्मन हैं, और उन्हें या तो धर्मांतरित कर लेना चाहिए, अन्यथा मार देना चाहिए। जब बचपन से ही ऐसी सीख मिलेगी, तो कोई मुस्लिम बच्चा किसी हिन्दू के प्रति द्वेष भाव क्यों नहीं रखेगा?
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले होना एक आम बात
बांग्लादेश एक इस्लामिक देश है, वहाँ की सरकार कितना ही लोकतंत्र का हल्ला मचाये, लेकिन सत्य यही है कि वहाँ गैर मुस्लिमो को एक सामान्य नागरिक के अधिकार नहीं मिले हुए हैं। काफिरों को मजहबी हमलों का शिकार बनना पड़ता है, उन्हें धार्मिक गतिविधि करने पर हिंसा का सामना करना पड़ता है। हमने देखा है पिछले कुछ समय में कैसे हिन्दुओं के मंदिरों को तोडा गया है, उनके घर जलाये गए हैं, यहाँ तक कि इस्कॉन जैसे हिन्दुओं के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक संगठन पर भी हिंसक हमले किये गए हैं।
यहाँ तक कि सोशल मीडिया पर भी हिन्दुओं को मुस्लिमो के क्रोध का शिकार होना पड़ता है। बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाडी लिटन दास ने पिछले दिनों जन्माष्टमी की बधाई देते हुए एक पोस्ट किया था, उस पर जिहादी मानसिकता के मुस्लिमों ने उन्हें बहुत भला बुरा कहा। दूसरी तरह सौम्य सरकार के पोस्ट पर भी उन्हें ऐसा अनुभव हुआ। और यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, यह हमेशा ही होता आया है, और भविष्य में भी होता रहेगा।
बांग्लादेश की एशिया कप टीम में सौम्य-लिटन नहीं
लिटन दास को चोट की वजह से एशिया कप में भाग लेने का अवसर नहीं मिल रहा। हालांकि इस वर्ष वह बाबर आजम के बाद अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। वहीं सौम्य सरकार को इस साल कोई भी अंतराष्ट्रीय मैच खेलने का अवसर नहीं मिला है, वह इस समय वेस्टइंडीज ए के खिलाफ बांग्लादेश ए के लिए मुकाबले खेल रहे हैं।
Just see! How deep-routed the Hinduphobic stance prevails in Bangladesh! It is a shame to humanity that mankind is discriminated on the basis of religion, that a person is hated because he belongs to another religion.