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Friday, March 29, 2024

उत्तरप्रदेश में आगरा में 38 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए, उनके पास पासपोर्ट जैसे आवश्यक दस्तावेज भी थे

उत्तर प्रदेश के आगरा में सिकंदरा से एक दो नहीं बल्कि लगभग 40 बांग्लादेशी नागरिक पकडे हैं, जो गैर कानूनी रूप से भारत में रह रहे थे और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज थे। यह सभी बांग्लादेशी आवास विकास कॉलोनी, सेक्टर 14 में खाली पड़ी जमीन पर झुग्गी डालकर रह रहे थे।

नागरिकों ने इन अवैध नागरिकों के रहने की शिकायत पुलिस से की थी और पुलिस ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि हमें अवैध रूप से ऐसे लोगों के रहने की जानकारी मिली थी जो भारत के नहीं है और फिर उन्होंने तलाश करनी आरम्भ कर दी थी। रविवार को इन बांग्लादेशी नागरिकों के स्थान के विषय में सही जानकारी प्राप्त हुई और फिर पुलिस ने कार्यवाही शुरू की।

यह एक सुनियोजित रैकेट है, जिसके माध्यम से भारत में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ कराई जाती है। न तो उनके पास वीसा होता है और न ही पासपोर्ट, मगर उनके पास भारत आते ही सारे दस्तावेज बन जाते हैं और ऐसा ही प्रमाणित किया जाता है कि वह भारत के ही नागरिक हैं। उन्हें यहाँ पर नौकरी मिलती है और कभी कभी वह अपराध करके भाग जाते हैं।

पुलिस ने इस कार्यवाही के विषय में बताते हुए कहा कि इस मौके से 15 पुरुष, 13 महिलाएं और12 बच्चों सहित कुल 40 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए। साथ ही पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आखिर इतनी संख्या में लोग कैसे आए और उन्हें अगर झुग्गी झोपडी बनाने के लिए जो जमीन दी गयी थी, उसका किराया कौन ले रहा था?

अमर उजाला के अनुसार बांग्लादेशी नागरिक हालिम ने अपना ठिकाना आगरा बनाया था, मगर वह बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में बसाने का कार्य कर रहा था। वह घुसपैठ से प्राप्त हुई राशि को पश्चिम बंगाल के अपने एजेंट के माध्यम से अपने देश भेजता था। उसने नवम्बर और दिसंबर 2022 में ही डेढ़-डेढ़ लाख रूपा भेजे थे।

हालांकि दिखाने के लिए वह अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट उठाने का कार्य करता था। इस काम के लिए उसे महीने के 18,000/- रूपए मिलते थे। मगर उसका असली काम केवल और केवल बांग्लादेशियों को भारत में लाकर बसाना था।

हालिम ने अपनी बीवी मरियम का पासपोर्ट और वीजा भी बनवा लिया था। उसके पूरे परिवार का वीजा बना हुआ है। वहीं उसके पास बैंक पासबुक से लेकर आधार कार्ड बने हुए थे, जिनका प्रयोग वह मोहल्ले में कमरा किराए पर लेने के लिए करता था।

उत्तर प्रदेश में जहां यह पूरा रैकेट पकड़ा जा रहा है, तो वहीं कर्नाटक में एक और बहुत ही हैरान करने वाला और डराने वाला मामला सामने आया था, जिसमें एक 22 वर्ष की महिला के क़त्ल की गुत्थी सुलझाते हुए पुलिस ने एक और ही चौंकाने वाला खुलासा किया था।

नए शादीशुदा जोड़े में नासिर हुसैन को अपनी बीवी के चाल चलन पर शक था, इसलिए उसने अपनी बीवी का क़त्ल कर दिया था।

जब पुलिस ने इस मामले की जांच की और जब पुलिस बंगाल पहुँची तो उसे पता चला कि जिसे भारतीय बंगाली मुसलमान समझा जा रहा है, दरअसल वह बांग्लादेशी नागरिक है।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार हुसैन गैर कानूनी रूप से भारत में वर्ष 2014-15 में घुसा था और उसके आपस कोई भी डिग्री नहीं थी, वह बस काम करने लगा था और धीरे धीरे उसमें स्किल्स आ गयी थीं।

नाज़ के परिवार वालों को भी यह नहीं पता था कि हुसैन भारतीय बंगाली मुसलमान न होकर बांग्लादेशी मुसलमान है। उन्हें यही पता था कि वह पश्चिम बंगाल से कोई अनाथ इंसान है। हुसैन की हाल ही में शादी हुई थी और शादी के बाद से ही उसे लगता था कि उसकी बीवी का चालचलन ठीक नहीं है और इसी कारण उसने 15 जनवरी को उसका क़त्ल कर दिया और फिर भाग गया था।

आगरा से बांग्लादेशी मुस्लिमों का पकड़ा जाना हो या फिर बंगलुरू में नाज़ का क़त्ल और हुसैन का बांग्लादेशी निकलना यह बताता है कि भारत में बांग्लादेशी अवैध मुस्लिम अब उन सभी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, जो केवल भारतीयों के लिए है। जिन पर मात्र भारतीयों का अधिकार है, वह उन संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं, जिन पर मात्र हिन्दू ही अधिकार जता सकते हैं।

इतना ही नहीं जब आगरा में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया, तो उससे एक दिन पहले ही स्थानीय इंटेलिजेंस यूनिट और सेना की ओर से सूचना के आधार पर मथुरा के कोतवाली थाना क्षेत्र से बांग्लादेश का कमरुल पकड़ा गया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। उसने पुलिस को बताया था कि वह भारत में घुसपैठ में सहायता करता है।

कमरुल के हिरासत में लिए जाने का समाचार फैलते ही उसके संपर्क में जितने भी स्थानीय रूप से टिके हुए बांग्लादेशी थे, वह कहीं छिप गए हैं, पुलिस उनकी तलाश कर रही है!

ऐसी तमाम घटनाएं बताती हैं कि नागरिकता संशोधन अधिनियम कितना आवश्यक है और ऐसी तमाम घटनाएं यह भी बताती हैं कि भारत पर खतरे कितने हैं और जब इन अवैध लोगों को इनके अपने देश भेजा जाता है तो तमाम इंसानियत के पैरोकार सामने आ जाते हैं, परन्तु उन्हीं के अनुसार बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति भारत से कहीं बेहतर है और वहां पर हिन्दुओं के अतिरिक्त और किसी का शोषण नहीं होता है तो फिर आर्थिक रूप से समृद्ध मुस्लिम देश के नागरिकों को उनके समृद्ध देश में भेजने पर यह लॉबी बिलबिला क्यों जाती है?

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