बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध हुई हिंसा के आरोपी की पहचान कर ली है। पुलिस के अनुसार इकबाल हुसैन नामक एक व्यक्ति ने कुमिला में एक दुर्गा पूजा के पंडाल में हनुमान जी की मूर्ति के हाथ से गदा ले लिया और कुरआन को रख दिया था। इस के कारण पूरे बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा का ऐसा नंगा नाच हुआ, जिसे देखकर पूरा विश्व अचंभित हो गया और दर्द से भर गया।
पुलिस के अनुसार वहां की सीसीटीवी फुटेज की जांच करने पर यह पता चला है कि हुसैन कुमिला शहर में रहने वाला है और नूर अहमद का बेटा है। अहमद ने बांग्लादेशी न्यूज़ आउटलेट प्रोथोम आलो से बुधवार शाम को बात करते हुए कहा कि इकबाल हुसैन को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी जारी है।
यह पूरे विश्व ने देखा था कि कैसे कुरआन रखने की घटना को सोशल मीडिया पर दिखाया गया और फिर पलक झपकते ही पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं के प्रति ऐसी संगठित हिंसा हुई जिसे देखकर किसी को विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है? दुर्गा पूजा, जब पूरे विश्व में हिन्दू अपनी दुर्गा माँ का स्वागत करते हैं और फिर नौ दिन बाद विदाई देते हैं, वह इस वर्ष पूरे हिन्दू समाज के लिए बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हुई इस सुनियोजित हिंसा के कारण पीड़ा में बदल गयी।
एक फेसबुक पोस्ट में कुमिला के ही एक नागरिक ने यह बताया था कि उसने देखा कि कैसे कुछ असामाजिक तत्वों ने कुरआन शरीफ को हनुमान जी की मूर्ति के पास रख दिया था, और पंडित ने उन्हें रुकने के लिए और इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ को हटाने के लिए कहा था, पर तब तक देर हो चुकी थी
इकबाल हुसैन ने कुरआन रखी थी और आरोप लगा हिन्दुओं पर। इकबाल हुसैन तो पकड़ा जाएगा, हो सकता है उसे सजा भी हो जाए, पर हिन्दुओं के साथ जो कुछ वहां इतने बड़े पैमाने पर हुआ, और जिस प्रकार संगठित रूप से हिन्दुओं पर हमले किए गए, उनके घरों को तोडा गया, और मंदिरों को तोडा गया, हिन्दुओं को मारा गया और आज तक हिंसा जारी है, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा, हिन्दुओं के हृदय में यह सदा के लिए अंकित घाव हैं! ऐसा भी नहीं है कि दुर्गा पूजा से आरम्भ हुआ हिंसा का यह दौर थम गया है, यह अभी भी चल रहा है!
आज भी चिटगोंग में घोशैलदंग में हिन्दुओं पर हमले हुए हैं, इस स्थान को एक विशाल दुर्गा पूजा के लिए जाना जाता था। दंगाइयों ने उस प्लास्टिक को जला दिया, जिसे मंदिर को वर्षा से बचाने के लिए लगाया गया था। और फिर उसके बाद पत्थरबाजी शुरू की गयी।
उन्होंने आने वाली काली पूजा के लिए आधे बने हुए पंडाल को भी जला दिया। यह जगह वहां के समुद्र तट के पास है और व्यापारिक क्षेत्र है। हालांकि पुलिस वहां पर मदद के लिए नहीं आई, स्थानीय बैंक के सुरक्षा गार्ड्स ने उनकी सहायता की।
अभी तक वहां पर हिंसा का दौर थमा नहीं है। बांग्लादेश के हिन्दुओं के घावों का भरना संभव नहीं है, यह घाव हर हिन्दू के हैं, यह घाव पूरी मानवता के हैं। परन्तु इन सभी के बीच सबसे हैरान करने वाला वक्तव्य भारत के आईएफएस अधिकारी दिनेश पटनायक की ओर से आया है, जो वर्तमान में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महा निदेशक हैं। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हुए इस नरसंहार को एक छोटी घटना बताते हुए कहा कि
“भारत और बांग्लादेश के बीच राजनायिक संबंधों की वृहद तस्वीर में ऐसी छोटी घटनाएं बहुत अंतर नहीं करती हैं, और दोनों ही देशों का नेतृत्व बहुत ही परिपक्व है।यह भारत और बांग्लादेश के राजनायिक संबंधों का पचासवाँ वर्ष है!”
इस ट्वीट की भाषा में जो संवेदनहीनता दिखाई दी, वह अनापेक्षित थी, भारत में रहने वाला हिन्दू कम से कम इस सरकार में किसी भी अधिकारी से हिन्दुओं के सुनियोजित नरसंहार के प्रति इस प्रकार की भाषा की अपेक्षा नहीं कर रहा था और इस ट्वीट के बाद लोग क्षोभ और क्रोध में भर गए और उन्होंने इस संवेदनहीनता पर प्रश्न उठाए।
बांग्लादेश में हिन्दुओं के इस नरसंहार को लेकर जहां लोग क्रोध में हैं तो वहीं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा बांग्लादेश की कलाकार रोकैया की कला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इसे लेकर लोगों में आक्रोश है। आईसीसीआर ने पहले इस प्रदर्शनी का ट्वीट किया था, परन्तु लोगों के आक्रोश के चलते वह ट्वीट डिलीट कर दिया गया।
भारत ने बांग्लादेश के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाए रखने के लिए और शेख हसीना सरकार का विरोध कहीं न हो जाए, इस डर के चलते अब तक इस मामले पर नर्म रुख रखा है। जहाँ एक ओर हिन्दुओं में इस बात को लेकर नाराजगी है तो वहीं ऐसा बताया जा रहा है कि भारत ऐसा कोई सार्वजनिक बयान नहीं देना चाहता है, जिससे बांग्लादेश सरकार की सरकार को शर्मिंदा होना पड़े।
बीबीसी के अनुसार पूर्व भारतीय राजनायिक पिनाकरंजन चक्रवर्ती के अनुसार यह शेख हसीना सरकार के खिलाफ एक साजिश का हिस्सा है और ऐसे में भारत शेख हसीना के साथ खड़ा है। उनका कहना है कि भारत इस बात को जानता है कि यह शेख हसीना के खिलाफ साजिश है और इसका उद्देश्य साम्प्रदायिक कार्ड खेलते हुए शेख हसीना को कमजोर करना है। अब ऐसे में भारत अगर ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए बयान जारी करता है तो वह हसीना सरकार की निंदा होगी मगर इससे भारत का कोई भी उद्देश्य सफल नहीं होगा!” पर वह यह भी कहते हैं कि भारत को शेख हसीना को यह सन्देश देना होगा कि वह हालातों पर जल्द काबू पाएं!
यह तो नहीं पता कि भारत शेख हसीना को क्या सन्देश देता है, परन्तु शेख हसीना ने जरूर अपने भाषण के माध्यम से भारत को चेताया कि वह अपने देश में कोई भी ऐसा काम न होने दे, जिसका प्रभाव उनके देश और अंतत: वहां के हिन्दुओं पर पड़े!
अर्थात शेख हसीना ने जो कहा वह कहीं न कहीं विभाजन के समय की बंधक सिद्धांत वाली ही बात थी, जिसमें यह साफ़ धमकी सी है कि बांग्लादेश में हिन्दू बंधक हैं, और भारत में घटी घटनाओं का उन पर असर होगा। परन्तु वह यह नहीं बताती हैं, कि आखिर वह कैसी घटनाएं हैं, जिनके कारण बांग्लादेश के हिन्दुओं पर कोई असर न हो? क्योंकि जब इसी वर्ष भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की आधिकारिक यात्रा पर गए थे, तो उनके वहां से लौटते ही वहां पर हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा आरम्भ हो गयी थी! तब क्या कारण था?
अब प्रश्न यह उठता है कि जहाँ बांग्लादेश जैसा देश भी अपने दृष्टिकोण के प्रति सजग है, पूर्णतया स्पष्ट है, तो हिन्दुओं के प्रति जो यह संगठित हिंसा हुई है, उसके विरोध में भारत सरकार द्वारा लचीला और नर्म दृष्टिकोण कहीं से भी उचित नहीं है।
वैसे तो बांग्लादेश में पूजा के पंडाल में तोड़फोड़ आम है और हमेशा छुट पुट घटनाएं होती रहती थीं, पर इस बार जैसी सुनियोजित और संगठित हिंसा हाल फिलहाल नहीं देखी गयी थी। ऐसे में हिन्दू भारत सरकार से हिन्दुओं के प्रति हुई इस संगठित हिंसा जिसमें दस साल की बच्ची तक को नहीं छोड़ा गया, उसके साथ भी बलात्कार किया गया, इस्कॉन के मंदिर को जला दिया गया, पुजारियों को मार दिया गया. और न जाने कितने हिंदुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया, के प्रति संवेदनशील स्वर चाहता है!
जिस स्तर की हिंसा बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हुई है, उसे आधिकारिक रूप से छोटी घटना कहना हिन्दुओं के प्रति बहुत बड़ी शाब्दिक हिंसा है!