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Tuesday, March 19, 2024

बांग्लादेश में नहीं रुक रहे हिन्दुओं पर अत्याचार – कहीं हो रहे हैं हमले, कहीं हो रहे हैं बलात्कार

कुछ ही दिनों में भारत विजय दिवस मना रहा होगा, जब उसकी सेनाओं ने पूर्वी पाकिस्तान को जीता था और बांग्लादेश नामक नए देश का जन्म हुआ था। लेकिन क्या स्थितियां हिन्दुओं के लिए बेहतर हुईं या उससे कहीं अधिक बदतर हो गयी हैं? ऐसा दिख रहा है कि वहां पर काफिरों के साथ वैसे ही अत्याचार होते हैं, जैसे पाकिस्तानी सेना बंगाली मुसलमानों पर करती थी।

तीन जिहादियों ने एक हिन्दू महिला के साथ बलात्कार किया

पिछले कुछ वर्षों में हिन्दुओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसी ही एक घटना 20 नवम्बर को हुई, जब तीन जिहादियों – असद मिया, मिलन मिया और कुलु मिया ने एक हिंदू गृहिणी, 2 बच्चों की मां, को रजाई सिलने के बहाने बुलाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। बंगाली भाषा के राष्ट्रीय दैनिक दैनिक जनकंथा ने 20 नवंबर को बताया कि उत्तरी बांग्लादेश में लालमोनिरहाट जिले के अदितमारी उपजिला में यह जघन्य घटना हुई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बलात्कारियों ने अपने अपराध का एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया था। फिर उन्होंने पीड़िता के बड़े बेटे को वीडियो भेज दिया, और धमकी दी कि अगर उनके विरुद्ध कोई कानूनी शिकायत दर्ज की गई तो इस वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देंगे। हालांकि, पीड़िता के पति ने उसी रात स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में स्थानीय लोगों का सहयोग भी मिला, जिन्होंने पुलिस पर शिकायत दर्ज कराने का दबाव बनाया और बलात्कारियों को उचित दंड देने की मांग भी की।

हालांकि घटना के इतने दिनों पश्चात भी पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है। चूंकि आरोपी मुसलमान हैं, इसलिए उन्हें प्रशासन से अघोषित संरक्षण मिलने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त आरोपी पीड़ित परिवार को डराने धमकाने का प्रयास भी कर रहे हैं। पीड़ित परिवार ने बताया कि उनके घर पर रोजाना ईंटें फेंकी जा रही हैं। बेबस हिंदू परिवार ने अब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से हस्तक्षेप की मांग की है।

दो हिन्दू बहनों पर जिहादियों ने हमला किया

ऐसे ही एक अन्य घटना घटना दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश के बगेरहाट जिले के मोंगला उपजिला (उप-जिला) में घटित हुई। दो हिंदू बहनों, 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली बोशाखी स्वर्णोकर और 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली श्राबोंती स्वर्णोकर पर शिहाब हॉवेलर, रसेल हाउलेडर और 3-4 अन्य मुस्लिम युवकों द्वारा निर्दयता से हमला किया गया। घटना के समय दोनों बहनें एक स्थानीय चर्च के मैदान में बैडमिंटन खेल रही थीं। इस घटना को बांग्लादेश के बंगाली भाषा के राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र “मनोबकांठा” ने रिपोर्ट किया था।

युवतियों के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, दोनों बहनें बैडमिंटन खेल रही थीं। तभी लगभग 5-6 मुस्लिम युवकों के एक गिरोह ने शहीदुल हाव्लादर के बेटे रसेल हाउलाडर और उसी क्षेत्र के मृतक बिलायत हावलाडर के बेटे शिहाब हावलादर के नेतृत्व में दोनों युवतियों पर हमला कर दिया। हमलावरों ने उन दोनों के बाल पकड़कर उन्हें खेल के मैदान से खींचकर सड़क पर गिरा दिया और फिर उन्हें निर्दयता से पीटा।

मीडिया के अनुसार दोनों बहनों को इतनी निर्दयता से प्रताड़ित किया गया था कि वह दोनों अभी तक चलने फिरने में सक्षम नहीं हैं। शुरू में उनका उपचार उपजिला स्वास्थ्य परिसर में किया गया था, लेकिन अस्पताल में ‘बेड उपलब्ध नहीं’ होने के कारण उन्हें उनके घर में स्थानांतरित करना पड़ा। पीड़ित परिवार ने उसी रात स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन घटना के 24 घंटे बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई करने में विफल रही है।

दोनों बहनों की चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोग दौड़ पड़े, लेकिन जिहादी हमलावरों के डर से किसी ने बीच-बचाव करने का प्रयास नहीं किया। स्थानीय लोगों के अनुसार क्षेत्र के कई हिन्दू परिवार इन लोगों द्वारा प्रताड़ित किये जा चुके हैं, लेकिन आज तक किसी को भी न्याय नहीं मिला है, और ना ही स्थानीय प्रशासन ने किसी हिन्दू परिवार की सहायता की है।

पीड़ित परिवार के अनुसार आरोपियों ने उन्हें कई बार धमकी भी दी है, और शिकायत वापस लेने का दबाव भी डाला जा रहा है। वहीं इस हमले के कारण दोनों बहनें अपनी वार्षिक परीक्षा भी नहीं दे पायीं हैं, इस कारण उनका पूरा स्कूली वर्ष भी निष्फल हो सकता है। पीड़ित परिवार सरकार से सहायता का आग्रह कर चुका है, लेकिन अभी तक उनकी समुचित सहायता नहीं की गयी है।

इन घटनाओं से यही कहीं न कहीं प्रमाणित होता है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं की स्थिति बड़ी ही दयनीय है। बांग्लादेश एक इस्लामिक मुल्क है, और वहां के नागरिक भी वही आचार व्यवहार करते हैं जो अन्य इस्लामिक मुल्क के लोग करते हैं, उनकी सोच भी ‘काफिरों’ के लिए वही है जो उनकी मजहबी किताबों में लिखा है।

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