बंदना कालिता को ६ दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। अब प्रश्न उठता है कि कौन बंदना कालिता? कौन है वह जिसे ६ दिन की रिमांड पर भेजा गया है? और क्या किया था उसने? क्योंकि भारत में न्यायपालिका एवं सम्पूर्ण विमर्श में महिलाओं को लेकर जो सॉफ्टकार्नर है, उसके चलते यह कुछ कठिन सी बात लगती है, परन्तु यह सत्य है कि बंदना को ६ दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।
बंदना कालिता ने जो किया है, वह महिला क्या पुरुष के लिए भी करना दुरूह कार्य है और उसे करते हुए कठोर से कठोर हृदय वाला भी एक बार सोचे, परन्तु बंदना ने वह किया।
असम की बंदना कालिता ने 26 जुलाई और 17 अगस्त 2022 को अपने पति और सास की हत्या अपने दो साथियों अरूप देका एवं धन्ती कालिता के साथ मिलकर की थी। इतना ही नहीं उसने ऐसा जाल बुना कि सात महीने पहले किए गए कत्लों का अब आकर हिसाब मिला।
मीडिया के अनुसार धन्ती कालिता उसका आशिक है।
अर्थात अब आकर पता चला कि उसने ही अपने पति और सास की हत्या की थी और उनके शवों को असम से मेघालय जाकर फेंक दिए।
सामान्य जीवन जीती रही
आवेग में आकर अपराध करना अलग बात है, परन्तु जो अपराध बंदना कालिता ने किया, वह जघन्य प्रवृत्ति का तो था ही, साथ ही यह कहीं से भी आवेग में उठाया गया कदम नहीं था बल्कि सोचा समझा षड्यंत्र था क्योंकि वह उसके बाद भी सामान्य जीवन जीती रही।
जैसा श्रद्धा और आफताब वाले मामले में था कि आफताब को इस बात का कोई अफ़सोस नहीं था कि उसने श्रद्धा को मारा क्योंकि उसे हूरें मिलनी थीं, ऐसा ही शायद पति से इस सीमा तक घृणा या कहें आजादी से जीवन जीने की कामना के चलते बंदना कालिता को भी इस बात का तनिक भी पछतावा नहीं था कि उसने अपने पति और सास की हत्या कर दी है।
मीडिया के अनुसार इन दोनों जीवन को लीलने के बाद बंदना ने नारेंगी में उसी घर में सत्यनारायण भगवान की कथा भी कराई और सबसे हैरान करने वाला तथ्य तो यह है कि इस पूजा में उसके मायकेवाले भी सम्मिलित हुए थे।
इतना ही नहीं वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय थी।
पुलिस के अनुसार कि बंदना ने पहले अपनी सास की ह्त्या की। उसने 26 जुलाई को गुवाहाटी के चंदमारी क्षेत्र में रहने वाली अपनी सास्ल शंकरी की तकिये से गला दबाकर हत्या की और फिर उनके सिर पर भारी वस्तु से प्रहार किया। फिर उन्होंने उनके शरीर के टुकड़े किए और उन्हें पोलीथिन के थैले में भरा।
जब यह किया जा रहा था तो धन्ती बाहर खड़ा था।
फिर वह लोग मेघालय में चेरापूंजी गए और उन टुकड़ों को गड्ढे में डाल दिया।
उसके बाद इसी तरीके से उन्होंने अमरज्योति अर्थात बंदना कालिता के पति की ह्त्या की। 17 अगस्त को उन्होंने अमरज्योति के सिर पर लोहे की भारी वस्तु से प्रहार किया और फिर अमरज्योति की लाश के भी टुकड़े किए और फिर हत्या के अगले दिन दावकी रोड पर गहरे गड्ढे में उन्हें दबा दिया।
कैसे फंसी बंदना?
पुलिस के पास बंदना ने अपने पति और सास के लापता होने की शिकायत दर्ज की। 21 नवम्बर को बंदना की सास के एक रिश्तेदार ने यह शिकायत दर्ज कराई कि उनकी गुमशुदा आंटी के बैंक खाते से कोई पैसे निकाल रहा है, और इस पर बंदना ने भी यह शिकायत दर्ज कराई कि उसकी सास के भाई उसकी सास के बैंक खाते से पैसे निकाल रहे हैं।
पुलिस को अब यह विश्वास हो गया था कि बंदना झूठ बोल रही है और बाद में जब बंदना इस का पता लगाने के लिए पुलिस के पास आई तो उन्हें पता चला कि वह खुद ही पैसे निकाल रही थी।
यह 14 फरवरी की बात थी, उसके बाद जब बंदना से पुलिस ने कड़ाई से बात की तो उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और उसके दो साथियों को भी तिनसुकिया और गुवाहाटी से हिरासत में ले लिया।
पुलिस का कहना है कि अमरज्योति नशे का आदी था और उसकी कई महिला मित्र थीं और इसी कारण उसके और बंदना के बीच झगड़े होते थे और अमरज्योति के उसकी माँ के साथ भी सम्बन्ध अच्छे नहीं थे।
हालांकि पुलिस का कहना है कि अभी वह हत्या के असली कारणों का पता लगा रही है।
वहीं पुलिस के अनुसार शंकरी देवी और उनके बेटे के नाम पर गुवाहाटी में कई प्रोपर्टी और अपार्टमेन्ट थे, जिनके किराए से हर महीने उन्हें पर्याप्त पैसा मिल जाता था। पुलिस का कहना है कि हो सकता है कि अपने पति के हाथों जो बंदना को परेशानी झेलनी पड़ती थी उससे छुटकारा पाने के लिए और इन दोनों की संपत्ति पर अधिकार जमाने के लिए उसने यह कदम उठाया हो, हालांकि अभी कुछ निश्चित पता नहीं चला है।
मीडिया से यह घटना सिरे से गायब है। यह घटना इसलिए और भी भयभीत करने वाली है कि क्योंकि यह दिखा रही है कि महिलाओं में अपराधों की प्रवृत्ति ही नहीं बढ़ रही है बल्कि इस प्रकार के जघन्य अपराध करने के बाद सामान्य भी रह जाने की विकृति बढ़ रही है।
मीडिया द्वारा ऐसे अपराधों पर चर्चा नहीं होती है तो इसके चलते भी यह अपराध सामने नहीं आ पाते हैं। महिलाओं के भीतर आपराधिक प्रवृत्ति का इस प्रकार बढ़ते जाना किसी भी समाज के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि समाज और सभ्यता को आगे ले जाने का उत्तरदायित्व कहीं न कहीं उसकी स्त्रियों पर अधिक है।
और एक प्रश्न और उठता है कि क्या अमरज्योति और उसकी माँ की इस प्रकार जघन्य हत्या पर इसलिए चर्चा नहीं होनी चाहिए क्योंकि बंदना कालिता एक महिला है?
क्या बढ़ते आपराधिक युग में जब महिलाओं द्वारा भी निरंतर अपराधों की संख्या में वृद्धि दिख रही है तो क्या लिंग निरपेक्ष क़ानून की मांग नहीं की जानी चाहिए?
महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों को क्या मात्र इसलिए विमर्श में नहीं लाना चाहिए कि उन्हें महिला ने किया है? महिलाओं के भीतर इस आपराधिक प्रवृत्ति पर चर्चा होनी अत्यंत आवश्यक है जिससे यह पता लगाया जा सके कि क़ानून के प्रति इतनी निडरता कैसे आ जाती है? इन कारणों पर भी बात होनी ही चाहिए कि आखिर वह कौन से कारक हैं जो समाज के प्रति, परिवार के प्रति हमारी महिलाओं को इतना क्रूर बना रहे हैं?