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Friday, April 19, 2024

कैसे अंधविरोध और वैश्विक दुष्प्रचार हिन्दू समुदाय को एकत्रित करने में सहायता ही कर रहा है

हिंदू धर्म मूल रूप से शांतिपूर्ण है, हिन्दू आम तौर पर जियो और जीने दो की विचारधारा में विश्वास रखते हैं । लेकिन एक छद्म दुष्प्रचार और सैकड़ों वर्षों के शोषण के पश्चात वह शायद यह भूल गए हैं कि हिन्दू महान योद्धा भी होते हैं। हिन्दू कभी किसी को उकसाते नहीं हैं, वह सहनशील होते हैं, लेकिन एक सीमा से अधिक अगर उन्हें उकसाया जाता है तो वह तीक्ष्ण प्रतिरोध भी करते हैं। इतिहास में ऐसे ढेरों प्रसंग हैं जब हिन्दुओं ने अपनी शूरवीरता दिखाई है और आक्रांताओं को पराजित भी किया है।

2014 में जब से भाजपा को सत्ता मिली है, हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को लेकर पूरी दुनिया में अवधारणा में बदलाव आने लगा है। अगर हम देश की बात करें, तो हमने देश के बारे में आधारभूत परिवर्तन होते देखे हैं। अब भारत पहले की तरह रक्षात्मक या दुर्बल नहीं हैं, हम आर्थिक, कूटनीतिक या सैन्य रूप से सुदृढ़ हुए हैं । इतना ही नहीं, दुनिया भर में प्रवासी भारतीय अब पहले से कहीं अधिक देश के प्रति सजग और गौरवान्वित महसूस करने लगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के साथ-साथ विदेशों में भी सभी भारतीयों की कल्पना पर एकाधिकार सा कर लिया है, और भारत तथा हिन्दू धर्म के सबसे विराट प्रतीक के रूप में उभरे हैं।

जब मैं अपने पीएम नरेंद्र मोदी पर एक किताब लिख रहा था, अपने शोध के दौरान, मैं उनके सभी भाषणों और बहसों को सुन रहा था। मैंने उनके साक्षात्कार देखे और उनमे उन्होंने ऐसा कुछ कहा जो मेरे मनमस्तिष्क में हमेशा के लिए ठहर गया था। जब साक्षात्कार करने वाले ने उनसे पूछा कि इतने बड़े राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या थी, तो उनका उत्तर इतना अलग और इतना गहरा था, जिसकी उस समय कई लोगों ने उचित रूप से व्याख्या तक नहीं की होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘एक सौ तीस करोड़ लोगों की सोच को बदलना ही मेरी सबसे बड़ी चुनौती है’

यह बहुत ही सामान्य लेकिन अत्यंत गूढ़ कथन था। क्या आप इस कथन की गहराई को समझ सकते हैं? और क्या वह पिछले सात या आठ वर्षों में, इस चुनौती को पूरा करने में सक्षम हुए हैं?

उन्होंने सबसे गरीब लोगों के लिए बैंक खाते खोलकर उन लोगों की जमीनी स्तर पर समस्याओं का समाधान किया है, जिन्होंने कभी बैंक में प्रवेश नहीं किया था। मैं उनके नेतृत्व के अंतर्गत प्राप्त की गयी हर उपलब्धि को तो सूचीबद्ध नहीं कर सकता, लेकिन यह निश्चित रूप से सत्य है कि उनके प्रयासों से राष्ट्र्र का और नागरिकों का व्यवहार बदल रहा है। उनके प्रयासों में आपको समावेशी नीतियों की झलक दिखाई देगी, लेकिन वहीं बहुत से लोगों को उनके नीतियां उचित नहीं लगती, लेकिन अंततः उनके प्रयास ‘राष्ट्र हित” को साधने में सफल ही रहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी जन्म से हिंदू हैं, और अपने धर्म का पालन करने के मामले में वह अग्रणी हैं। वह कोई पाखंड नहीं करते, बस एक सौम्य और उचित व्यवहार करते हैं, जैसा किसी भी आम हिंदी को करना चाहिए। वह देश विदेश के हिन्दू मंदिरों में जाते हैं, केदारनाथ की गुफा में एक योगी की तरह पूजा करते हैं, वाराणसी भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर का उद्घाटन कर उसमे पूजा पाठ करते हैं। वह बिना किसी हिचक के अपने धर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन करते हैं। वहीं उनकी नीतियों में बिना किसी जातिगत द्वेष, बिना रंगभेद, या धार्मिक भेद को नेपथ्य में रख कर समाज के सभी वर्गों को लाभ दिया जाता है। वह एक ही विचार को पोषित करते हैं- ‘सबका साथ, सबका विश्वास‘।

वैसे दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष अपने धर्मों के प्रति आचरण को दिखाने के लिए ऐसा ही करते हैं। परंपरा के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते समय अपना दाहिना हाथ उठाते हैं और बाएं हाथ को बाइबिल पर रखते हैं। यहां तक ​​​​कि इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने औपचारिक रूप से इजरायल के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और 107 साल पुरानी बाइबिल पर शपथ ली।

ऐसा में आप के मन में प्रश्न उठ सकता है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी अपने धर्म और आचरण का सार्वजनिक प्रदर्शन करते हैं तो इसमें नया क्या है?

अगर आप भारत के राजनीतिक विपक्ष, मीडिया में उनके समर्थक, शिक्षाविद, कुछ उद्योगपतियों, और बेरोजगार आन्दोलनजीवियों को देखें तो आप पाएंगे कि उनके जीवन का एक ही उद्देश्य है, कैसे भाजपा में कोई भी दोष खोजा जाए। यह लोग दिन रात प्रयास करते हैं कि किसी प्रकार का कोई आर्थिक घोटाला मिल जाए, कोई सामाजिक द्वेष उत्पन्न कर दिया जाए । ताकि देश में केंद्र सरकार के प्रति माहौल बदल दिया जाए, लेकिन उनके दुर्भाग्य से ऐसा कुछ होता नहीं है।

जब सब प्रकार के षड्यंत्र विफल हो गए, तब विपक्ष के पास ले देकर एक ही हथकंडा बचा, हिन्दू और हिंदुत्व पर लक्षित आक्रमण करना। यह लोग षड्यंत्र करते हैं येन केन प्रकारेण हिन्दुओं पर प्रहार करते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा कर के वह लोग प्रधानमंत्री मोदी और उभरते भारत की छवि को हानि पहुंचा सकते हैं। इसलिए वे आइवी लीग कॉलेजों या यूरोप के बड़े विश्वविद्यालयों में बैठे तथाकथित बुद्धिजीवियों को भारत पर निशाना साधने के लिए कहते हैं।

यह लोग भारत की किसी भी उपलब्धि को पचा नहीं पाते हैं। अगर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनता है, तो यह लो दूसरे प्रतिमानों पर बहस कर भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति को नीचे दिखाते हैं। हमे पश्चिमी रणनीतिकारों की सराहना करनी पड़ेगी, क्योंकि वह हमारे इतिहास और हमारे समाज में व्याप्त वृहद् मतभेदों को हमसे बेहतर समझते हैं। वह जानते हैं कि हमारे बीच ‘जयचंद’ जैसे लोग हैं, जो तुच्छ लाभ के लिए अपनी आत्मा, अपनी मातृभूमि और जरूरत पड़ने पर अपनी माताओं को भी बेच देंगे।

कुछ तुच्छ लाभ, धन लाभ और अनुग्रह से ही हमारे समाज के जयचंद अपनी विचारधारा को बदल लेते हैं और शत्रु खेमे में जा मिलते हैं । यही कारण है कि पश्चिमी शत्रुओं के लिए अपने ही देश के विरोध करने वाले बड़े अर्थशास्त्रियों, प्रोफेसरों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में मिला लेने में कोई समस्या नहीं आती।

इसे आप ऐसे समझ सकते हैं, कि क्या आपने भारत में बैठे किसी अमेरिकी को अमेरिका के बारे में तुच्छ वक्तव्य देते सुना है? क्या किसी ब्रिटिश को ब्रिटेन को इतनी बेशर्मी से, खुले तौर पर गाली देते हुए सुना है? शायद नहीं क्योंकि वह लोग अपने देश के विरुद्ध नहीं बोलते, और ना ही शत्रु खेमे में जा मिलते हैं। मैं यह उल्लेख करना नहीं भूलता कि जापान या रूस के हिंदुओं और शायद अफ्रीका के कई देशों (वहां 54 देश हैं) में हिंदुओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार का षड्यंत्र होते हुए नहीं पाते हैं। आपको मंथन करना चाहिए कि ऐसा क्यों है ?

हिन्दुओं के विरुद्ध लक्षित हमलों ने किया हिन्दू समाज को एकत्रित

जैसा कि मैंने कहा, हिंदू मूल रूप से शांतिपूर्ण प्राणी हैं और जब तक अत्यंत आवश्यक ना हो, वह जवाबी कार्रवाई नहीं करते हैं। लेकिन यह लोग हिन्दुओं के विरुद्ध दुष्प्रचार करते हैं और उन्हें आक्रामक समाज के रूप में प्रेषित करते हैं । देश में हुई किसी भी घटना के लिए वह हिन्दुओं को दोष दे देते हैं। वह किसी भी घटना के लिए भाजपा, आरएसएस और समस्त हिन्दू समाज को दोष दे देते हैं, और फिर दुनिया भर में ढिंढोरा पीटते रहते हैं।

लेकिन इन षड्यंत्रों का एक विपरीत प्रभाव भी पड़ने लगा है। इस तरह के लक्षित हमलों से हिन्दू समाज एक होने लगा है। वह समाज जो अल्पज्ञान, जानकारी की कमी और शत्रु संज्ञान से वंचित रहता था, अब इस तरह के षड्यंत्रों से उसे समझ आने लगा है कि उनके शत्रु कौन हैं, और वह क्यों उन पर आक्रमण कर रहे हैं।

मुझे अपनी बात समझाने के लिए एक सादृश्य देना चाहिए। जब एडोल्फ हिटलर ने जर्मनी को दुनिया जीतने के लिए तैयार किया, तब उसने समस्त यूरोप और रूस पर कब्ज़ा करने का अभियान चलाया। उस समय उसके मनमस्तिष्क में कहीं भी अमेरिका नहीं होगा, और ना ही उसने ऐसा सोचा होगा कि कोई बाहरी देश आ कर विश्वयुद्ध समाप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा। वहीं अमेरिकियों को भी इस युद्ध में सम्मिलित होने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह लोग अपनी अर्थव्यवस्था और उद्योगों को सुदृढ़ करने में व्यस्त थे, ताकि हर अमेरिकी के जीवन स्तर को सुधारा जा सके।

लेकिन तभी पर्ल हार्बर पर हमला होता है, जो विश्व युद्ध को बदल कर रख देता है

इंपीरियल जापानी नौसेना द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका पर होनोलूलू में पर्ल हार्बर में नौसेना बेस के खिलाफ 7 दिसंबर, 1941 को सुबह 8:00 बजे एक आश्चर्यजनक सैन्य हमला किया गया था। हमले से पहले तक संयुक्त राज्य अमेरिका एक तटस्थ देश था, लेकिन इसके पश्चात द्वितीय विश्व युद्ध में इसकी औपचारिक प्रविष्टि हुई। सात घंटों के दौरान, अमेरिका के कब्जे वाले फिलीपींस, गुआम और वेक आइलैंड और मलाया, सिंगापुर और हांगकांग में ब्रिटिश साम्राज्य पर समन्वित जापानी हमले हुए।

जापान ने यह हमला संयुक्त राज्य प्रशांत बेड़े को यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेशी क्षेत्रों के विरुद्ध दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी नियोजित सैन्य कार्रवाइयों में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए एक निवारक कार्रवाई के रूप में किया था। उन्होंने यह भी मान लिया था कि अमेरिका जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, लेकिन वह गलत थे। अमेरिका ने पलटवार किया, और बहुत ही बड़े स्तर पर किया, जिसने इस विश्वयुद्ध के परिणामों को बदल कर रख दिया था।

इसके पश्चात मित्र देशों ने एकजुट हो कर आक्रमण किया और जर्मनी को हरा दिया। वहीं अमेरिका ने जापान के दो प्रमुख शहरों- हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों से बमबारी की, जिससे जापान को घातक झटका लगा, जिसमें लाखों निर्दोष जापानी मारे गए।

इसी प्रकार हिंदुओं को दीवार पर धकेल कर आप भारत और हिंदू समुदाय की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं। आप एक अव्यवस्थित और विभाजित समुदाय को एकजुट होने में मदद कर रहे हैं। आपके हर षड्यंत्र को हिंदू बड़े ध्यान से देख रहे हैं। इससे अंततः भारत, भाजपा और पीएम मोदी को ही फायदा होगा।

(यह लेख 6 अक्टूबर, 2022 को opindia.com पर प्रकाशित हुआ था, और इसे यहां हिंदूपोस्ट स्टाइल-गाइड के अनुरूप मामूली संपादन के साथ पुन: प्रस्तुत किया गया है।)

English to Hindi Translation- Manish Sharma

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