आज सुबह अफगानिस्तान में काबुल में एक गुरुद्वारे में आईएसआईएस द्वारा किये गए हमले का समाचार आया। इस हमले में 2 लोगों की मृत्यु हो गयी एवं कई घायल हैं। इस हमले को लेकर भारत सरकार ने चिंता व्यक्त की है तथा साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री सहित कई लोगों ने इस हमले को लेकर चिंता व्यक्त की है।
हमला उस समय हुआ जब वहां पर सिख समुदाय के लोग अरदास के लिए एकत्र हुए थे। डॉ एस जयशंकर ने कहा कि गुरुद्वारा कारते परवान पर हुए हमले की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए। हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
लोगों ने वहां के वीडियो साझा किये
वहीं इस समाचार के आते ही कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होनें यह कहना आरम्भ कर दिया कि उन निहंग सिखों को जो भारत में सिगरेट पीने वाले युवाओं और गुरुद्वारे से रोटी चुराने वाले लोगों को मारते रहते हैं, उन्हें तत्काल ही अफगानिस्तान भेजा जाए
क्या यह ये मामले?
दरअसल कल ही दिल्ली से यह समाचार आया था कि दो निहंगों ने एक युवक की मात्र इसलिए हत्या कर दी थी क्योंकि उसकी सिगरेट का धुंआ उन तक आ रहा था। मृतक एक ज़ोमैटो का डिलीवरी बॉय था। सागर की उम्र 29 वर्ष की थी और रात को साढ़े बारह बजे जब वह अपना आर्डर डिलीवर करने जा रहा था, तो एक जगह वह सिगरेट पी रहा था। वहीं पर दो निहंग खड़े थे, सिगरेट का धुआं उन तक गया, तो उन्होंने सागर को सिगरेट पीने को लेकर कुछ अपशब्द कहे। जब सागर ने कहा कि वह तो खुले में सिगरेट पी रहा है, तो उन्होंने सागर पर हमला कर दिया और प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार उसे ईंटें भी मारीं।
एक और डिलीवरी बॉय आसिफ, वहां से गुजर रहा था, तो उसने पुलिस को सूचना दी और आसिफ ने कहा कि वह इस घटना के पंद्रह मिनट के बाद वहां पर आया था, अगर वह पहले आया होता तो वह सागर को शायद बचा सकता था।
पुलिस ने जब एक आरोपी को पकड़ा तो उसके अनुसार सागर ने उनका रास्ता रोका था, और विरोध करने कर बदतमीजी की थी। इसलिए झगड़ा हुआ।
अब लोग और भी प्रश्न पूछ रहे हैं कि निहंग क्यों नहीं जाते उधर? इसी पर कश्मीर फाइल्स बनाने वाले विवेक अग्निहोत्री ने भी लिखा कि सबका टाइम आएगा?
दरअसल कश्मीर फाइल्स का विरोध खालिस्तानी विचारों वाले सिख वर्ग ने किया था। और आज जिस प्रकार से धमकी दी गई कि सिख या तो सुन्नी मुसलमान बनें या अफगानिस्तान छोड़ें, तो उन्होंने विरोध वाली और आज वाली तस्वीर लगाते हुए कहा कि सबका टाइम आएगा!
यह भी याद रखा जाए कि एक बहुत बड़ा सिखों का वर्ग था जिसने कश्मीर फाइल्स फिल्म का विरोध किया था। एक और बड़ा वर्ग था जिसने नागरिकता संशोधन अधिनियम का भी विरोध किया था। यहाँ तक कि अकाल तख़्त तक उन हिन्दुओं और सिखों, जैन, बौद्ध आदि अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए बने इस क़ानून के खिलाफ खड़ा हो गया था।
और एआईएमआईएम के सरदार डीएस बिंद्रा ने तो फ़्लैट भी बेच दिया था, जिससे वह शाहीन बाग़ के आन्दोलनकारियों के लिए लंगर चला सकें
इतना ही नहीं, भारत में कुछ सरदार हैं वह गुस्ताखे नबी की सजा, और सिर तन से जुदा के नारे भी नुपुर शर्मा के विरोध में लगा रहे थे
तालिबान सरकार ने गुरुद्वारे को हिन्दू धार्मिक स्थल कहा
तालिबान ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि वह हिन्दू मंदिर पर हुए इस हमले की निंदा करते हैं और अफगानिस्तान के दुश्मनों ने यह हमले किए हैं।
पूरा गुरुद्वारा खंडहर में बदल गया है
लोग अब इस बात पर प्रश्न उठा रहे हैं कि खालिस्तानी कभी उन सिखों के विषय में बात क्यों नहीं करते जो अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान कट्टर इस्लाम के हाथों पीड़ित हो रहे हैं, बल्कि वह बार बार मात्र हिन्दू और सिखों को अलग करने पर सारा ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, जबकि कट्टर इस्लामिक आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार हिन्दू समाज ही है।
देखना होगा कि क्या खालिस्तानी सिख इसकी निंदा करते हैं या नहीं या फिर उनका निशाना भारत सरकार ही है!