दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, इन दिनों प्रभु श्री राम के भक्त बने हुए हैं और वह और उनकी टीम इन दिनों अयोध्या जी के चक्कर लगाते हुए हिन्दू हितों के सरदार बन रहे हैं और यह प्रमाणित करने का बार बार प्रयास कर रहे हैं कि वही हैं जो हिन्दुओं का कल्याण कर सकते हैं। चुनाव आने पर हनुमान भक्त बनने के बाद अब वह उत्तर प्रदेश में चुनावों की आहट पर “राम-भक्त” बने हुए हैं।
यद्यपि राम मंदिर के विषय में वह पहले यह कह चुके हैं कि उनकी नानी किसी भी ऐसे राम मंदिर को स्वीकार नहीं करतीं, जिसे मस्जिद तोड़कर बनाया गया है। पर अब अपनी नानी की सलाह न मानते हुए अरविन्द केजरीवाल राम मंदिर जा रहे हैं। और उन्होंने उत्तर प्रदेश वालों को यह वचन दिया है कि यदि उनकी पार्टी चुनकर आती है तो वह निशुल्क तीर्थयात्रा कराएंगे।
खैर, यह तो रही चुनावों वाले राज्य उत्तर प्रदेश की बात। पर जब दिल्ली में आते हैं, तो पाते हैं कि प्रदूषण के नाम पर सारे नाटक करने वाली दिल्ली सरकार प्रभु श्री राम के अयोध्या वापसी के अवसर पर मनाई जाने वाली दीपावली पर ग्रीन क्रैकर्स भी नहीं चलाने दे रही है। कई अध्ययन इस बात का दावा कर चुके हैं कि पटाखे प्रदूषण के शीर्ष कारणों में से एक भी नहीं हैं, फिर भी दिल्ली की रामभक्त सरकार ने दीपावली पर ग्रीन क्रैकर्स भी प्रतिबंधित कर दिए हैं।
इतना ही नहीं रामभक्त अरविन्द केजरीवाल की सरकार में पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों को बिजली भी नहीं मिल रही है। पता नहीं केंद्र सरकार की हर बात पर, हर असहयोग पर आलोचना करने वाले “हिन्दू” और “रामभक्त” अरविन्द केजरीवाल क्यों इन हिन्दुओं के लिए सरकार से प्रश्न नहीं कर सकते?
पर शायद यह अरविन्द केजरीवाल की प्राथमिकता में नहीं है। या कहें संभवतया हिन्दू ही किसी सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
दीपावली में विशेष फीचर के माध्यम से पूजा का लाइव टेलीकास्ट कराने वाले अरविन्द केजरीवाल, जो अभी उत्तर प्रदेश में हिन्दू बने हुए हैं, और स्वयं को सबसे बड़ा हिन्दू हितैषी घोषित कर रहे हैं, उनकी दिल्ली में हिन्दू कब अपनी जमीन से हाथ धो बैठेंगे, उन्हें नहीं पता। दरअसल वक्फ बोर्ड की जमीन के बहाने अमानातुल्ला खान स्थानीय नागरिकों की जमीन छीन रहे हैं, ऐसा “कथित” आरोप दिल्ली के ही कुछ नागरिकों ने लगाया है।
“राम भक्त” अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली में रामनगर कॉलोनी के निवासियों ने कथित रूप से यह आरोप लगाया है कि उन्हें आठ दशकों से अधिक यहाँ रहने के बाद मकान खाली करने के नोटिस भेजे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूरी दिल्ली में ऐसे नोटिस जानबूझकर अमानातुल्ला खान के आदमियों द्वारा भेजे जा रहे हैं।
निवासियों के अनुसार यह दावे किए जा रहे हैं कि जहाँ पर उनके घर बने हुए हैं, वह वक्फ बोर्ड की भूमि है। परन्तु “राम भक्त” अरविन्द केजरीवाल के पास इतना समय नहीं है कि वह इन मामलों को देख सकें।
और हिन्दू हृदय सम्राट और “रामभक्त” प्रमाणित होने के लिए विवश हो रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की ही पार्टी की संलिप्तता दिल्ली में हुए उन दंगों में पाई गयी थी, जिसने न जाने कितने हिन्दुओं की जान ले ली थी। आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन ने स्वयं यह माना था कि उसने दंगों को इसलिए भड़काया जिससे हिन्दुओं को सबक सिखाया जा सके।
आम आदमी पार्टी ने दीपावली जैसी राजनीति हालांकि छठ के साथ भी खेलना आरम्भ किया था, परन्तु चूंकि छठ का पर्व ऐसा पर्व है, जिसके आधार पर वोट मिलते हैं और राजनीति भी उस पर्व के आसपास होती है, तो छठ पूजा न कराए जाने पर राजनीति आरम्भ हो गयी और भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को लपक लिया, प्रदर्शन किया और मनोज तिवारी चोटिल भी हुए, और अंतत: वह दीपावली के जैसे राजनीतिक शिकार नहीं बनी और छठ अब कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर मनाई जा सकेगी।
परन्तु राम भक्ति में डूबे अरविन्द केजरीवाल जब उत्तर प्रदेश में उन निवासियों को फ्री में तीर्थयात्रा का झांसा दे रहे थे, जिन्हें उन्होंने एक जानबूझकर लॉक डाउन में भगा दिया था, तब उनके यहाँ दिल्ली में एक परिवार केवल इसीलिए पुलिस के चक्कर काट रहा था कि उसे उसके घर के भीतर शंख तक बजाने की आजादी नहीं है। यह आजादी क्यों नहीं है? प्रश्न उठ सकते हैं क्योंकि अरविन्द केजरीवाल तो हर प्रकार की आजादी के प्रशंसक हैं। दिल्ली में दिल्ली जलाने की आजादी है, पर दीपावली पर पटाखे चलाने की नहीं और न ही कालिंदी कुञ्ज थाना क्षेत्र में रोशन पाठक को अपने घर पर शंख बजाने की है। कालिंदी कुञ्ज थाना क्षेत्र में रहने वाले रोशन पाठक अपने घर में दानिश, और उसके परिवार वालों एवं मोहल्ले के अन्य मुस्लिम पड़ोसियों के कारण पूजा नहीं कर सकते हैं।
अरविन्द केजरीवाल अपने प्रदेश में हिन्दुओं को पूजा करने का सुरक्षित अधिकार नहीं दे पाते हैं, हिन्दुओं के त्योहारों पर प्रतिबन्ध लगाते हैं और विश्व कप में भारत पर पाकिस्तान की विजय पर चलने वाले पटाखों पर कोई भी दंड नहीं लगाते हैं, पर उत्तर प्रदेश में चुनावों की आहट के कारण वहां पर “राम-भक्त” होने के राजनीतिक पर्यटन के लिए अवश्य ही पहुँच गए हैं!