देहरादून से एक बहुत ही हैरान करने वाली और चौंकाने के साथ-साथ डराने वाला समाचार आया है। देहरादून के एक सैन्य अधिकारी ने अपनी बेटी के यौन शोषण को लेकर जो शिकायत दर्ज कराई है, वह स्तब्ध कर देने वाली है, वह सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्यों के छीजने से लेकर माँ और स्त्री के उस कथित थोपे हुए संघर्ष की कहानी है, जिसे वामपंथी फेमिनिज्म कथित आजादी के नाम पर फैलाता रहता है।
देहरादून के एक सैन्य अधिकारी ने बिहार के एक मुस्लिम युवक पर आरोप लगाया कि उसने उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया है और साथ ही बेटे का भी यौन शोषण किया है।
परन्तु प्रश्न यह भी उठता है कि ऐसा कैसे हुआ कि सेना के अधिकारी की बेटी उस जाल का शिकार हो गयी? मात्र 15 वर्ष की उनकी बेटी है और 11 वर्ष का उनका बेटा है।
उनकी पत्नी ने अप्रेल 2022 में एक सिंगिंग एप मोबाइल में डाउनलोड किया और इसी एप के माध्यम से उनकी पत्नी का तनवीर आलम से संपर्क हुआ, जो इस्लाम कॉलोनी छपरा बिहार का रहने वाला था। यह भी उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी और तनवीर के बीच अश्लील बातें होती रहती थी।
सैन्य अधिकारी के अनुसार वह कोर्स के लिए जब महाराष्ट्र चले गए थे तो इसका फायदा उठाते हुए उनकी पत्नी ने तनवीर को उनके सरकारी आवास में बुलाया, और बेटी ने उन्हें फोन पर बताया कि तनवीर और उसकी माँ को उसने अश्लील हरकतें करते हुए देखा।
तनवीर ने उनकी बेटी और बेटे का यौन शोषण किया
तनवीर ने उनकी 15 वर्षीय बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाया। एक दिन वह टीवी देख रही थी तो वह तनवीर उसके सामने बैठ गया और फिर उसके साथ गलत हरकत की। और इतना ही नहीं तनवीर ने उनके बेटे के साथ भी कुकर्म किया।
मीडिया के अनुसार सैन्य अधिकारी के वैवाहिक सम्बन्ध उनकी पत्नी के साथ मधुर नहीं है।
अब प्रश्न यहाँ पर यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या कारण था कि पति के साथ सम्बन्ध मधुर न होने के चलते वह अपने पति के ही आधिकारिक निवास में तनवीर के साथ रहने लगी और अपनी ही बेटी को तनवीर के सामने परोस दिया?
सैन्य अधिकारी के अनुसार बेटी जब रोती हुई अपनी माँ के पास गयी थी तो उसकी माँ ने कहा था कि तनवीर उसके पिता के समान है और तनवीर किसी भी समय गलत हरकत कर लेता था।
कैंट कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक विनय कुमार के अनुसार इस मामले में आरोपी पर केस दर्ज कर लिया है। उसकी तलाश की जा रही है।
तनवीर गिरफ्तार होगा और हो सकता है कि उसे सजा भी हो, परन्तु जो बात सबसे खतरनाक है वह है बेटियों पर विश्वास न करके ऐसे इंसान पर विश्वास करना जो शरीर के आधार पर किसी महिला के साथ है।
देह की आजादी और पति जरूरी नहीं के विमर्श का परिणाम?
पिछले कई वर्षों से पहले फिल्मों एवं अब ओटीटी के माध्यम से एक ऐसा विमर्श उत्पन्न किया जा रहा है कि प्रौढ़ उम्र की हिन्दू महिलाएं शारीरिक रूप से संतुष्ट नहीं हैं और कहीं न कहीं वह अपने सपने छोड़कर ही शादी में फंसी पड़ी हैं। उनके सपनों को तोड़ने वाला और कोई नहीं बल्कि मात्र उनके समाज का पुरुष है, जिसने उन पर सदियों से अत्याचार किए हैं।
कई ओटीटी श्रृंखलाओं ने बार-बार यह प्रमाणित किया है कि शादी के बाद भी न केवल बाहरी संबंध सामान्य हैं अपितु शादी के बाद भी पति के अतिरिक्त लिव-इन सामान्य है और कुछ भी बुरा होने पर पति या दूसरे पुरुष को दोषी ठहराया जा सकता है, जबकि कई बार उच्च न्यायालयों ने यह बात स्पष्ट की है कि यदि विवाहित महिला अपनी वैवाहिक स्थिति के बाद भी किसी और पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाती है तो दूसरा पुरुष किसी भी प्रकार से बलात्कार के आरोप में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, यदि उसने अपनी मर्जी से संबंध बनाए हैं।
परन्तु कथित आजादी का राग इस सीमा तक महिलाओं के मन में भर दिया गया है कि वह जिहादियों के जाल में खुद तो फंसती ही हैं, साथ ही अपनी संतानों को भी इस जाल में फंसा देती हैं।
मेरठ की एक युवती की हत्या भी उसकी बेटी के ही साथ एक जिहादी ने कर दी थी, ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आते हैं, जिनमें जिहादी कट्टरपंथी सोच से भरे लिए लोग महिलाओं को ही नहीं बल्कि उनकी बेटियों पर भी निशाना साधते हैं, तो ऐसे में महिलाओं को यह समझ नहीं आता कि कि उनके लिए खतरा क्या है और कौन है?
विमर्श इस बात पर अब बहुत ही तेज होना चाहिए कि आजादी का यह आन्दोलन हिन्दू महिलाओं को हर प्रकार से जिहादी तत्वों की ओर तो नहीं धकेल रहा है?
और उन आंकड़ों पर भी विमर्श होना चाहिए जो लिव इन और महिलाओं की हत्या से जुड़े हुए हैं!