HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
22.4 C
Sringeri
Saturday, June 3, 2023

मोदी विरोधी, सीएए विरोधी यशवंत सिन्हा बने साझे विपक्ष के राष्ट्रपति प्रत्याशी, तो एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू बनी प्रत्याशी

महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक के मध्य एक और महत्वपूर्ण समाचार आया है और वह यह कि सभी विपक्षी दलों की ओर से यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी घोषित किया गया है। यह नाम अत्यंत चौंकाने वाला ही है क्योंकि यशवंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी में रह चुके हैं एवं अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में वह वित्त मंत्री भी रहे थे। तो वहीं रात होते-होते एनडीए की ओर से भी द्रौपदी मुर्मू का नाम घोषित कर दिया गया!

परन्तु मोदी सरकार के आने के बाद वह धीरे धीरे मोदी विरोधी होते गए थे। वह हजारीबाग़ से सांसद रहे थे, परन्तु वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्हें सीपीआई के भुवनेश्वर मेहता के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इन दिनों उनके पुत्र जयंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वहां से सांसद हैं और उन्होंने twitter पर अपील जारी की है कि उनके पिता को विपक्ष ने राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया है। और लोग उन्हें फोन करके उनसे कई प्रश्न पूछ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह अनुरोध करते हैं कि इसे पारिवारिक मामला न बनाया जाए, और उन्हें एक पुत्र के रूप में न देखा जाए। उन्होंने कहा कि मैं एक भाजपा कार्यकर्ता हूँ और हजारीबाग से सांसद हूँ। मैं अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरी तरह से समझता हूँ और उनका निर्वहन करूंगा।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम का भी विरोध किया था

यशवंत सिन्हा ने प्रधामंत्री मोदी द्वारा लिए गए कई निर्णयों के साथ साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम अर्थात सीएए का भी विरोध किया था एवं यह कहा था कि इसे धर्म के आधार पर करने की आवश्यकता क्या है? उन्होंने हालांकि तब तक भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी थी, परन्तु यह शायद ही किसी कि यह आभास होगा कि वह इस सीमा तक जा सकते हैं। फिर भी उन्होंने विपक्ष के साथ मिलकर इस बात पर बल दिया था कि आखिर इसमें धर्म की सीमा को क्यों सम्मिलित किया गया!

उन्होंने उत्तर प्रदेश में सीएए आन्दोलन में हुई हिंसा को दबाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जो कदम उठाए थे, उनकी भी निंदा की थी और कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह के बयान दे रहे हैं, वो कैसी भाषा है। बेहद अशांत माहौल है।

उन्होंने वर्ष 2013 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुखरता से विरोध किया था और इन्हीं आरोपों के चलते नितिन गडकरी को भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। जब यशवंत सिन्हा ने यह कदम उठाया था, तभी पार्टी की ओर से विरोध के स्वर आए थे कि गैर भाजपा पृष्ठभूमि के नेता को इतना आगे क्यों बढ़ाया गया?

इतना ही नहीं यशवंत सिन्हा सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग भी करने लगे थे, एवं भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करने वाले आम लोगों तक को अपशब्द कहने लगे थे। कल जैसे ही यह घोषणा हुई, लोगों ने उनके अपशब्द वाले ट्वीट साझा करने आरम्भ कर दिए।

यूजर्स ने कहा कि यशवंत सिन्हा के कुछ और ट्वीट्स:

कुछ यूजर्स ने उनका अपशब्द कहता हुआ वीडियो भी साझा किया

वहीं इस बात पर भी लोगों ने कांग्रेस का उपहास किया कि उन्होंने एक पूर्व भाजपा नेता और समाजवादी विचारों वाले नेता को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी चुना।

एनडीए द्वारा “द्रौपदी मुर्मू” को प्रत्याशी घोषित किया गया

जहाँ दिन में साझे विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना प्रत्याशी घोषित किया तो वहीं रात को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी घोषित किया। द्रौपदी मुर्मू के प्रत्याशी घोषित होते ही स्थिति बदल गयी है क्योंकि बीजू जनता दल के नवीन पटनायक ने अपना समर्थन द्रौपदी मुर्मू को दे दिया है।

उन्होंने ट्वीट किया कि

उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी घोषित करते हुए ट्वीट किया था कि निर्धनता और कठिनाई झेल चुके लाखों लोगों को श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के जीवन से शक्ति प्राप्त होगी। नीतिगत मामलों के प्रति उनकी समझ से हमारे देश को लाभ होगा!

भारतीय जनता पार्टी ने उनका परिचय पोस्ट किया:

https://twitter.com/BJP4India/status/1539299560446521344

वहीं आज द्रौपदी मुर्मू ने ओड़िशा में रायरंगपुर जगन्नाथ मंदिर में महादेव की पूजा के साथ आशीर्वाद माँगा।

उन्होंने प्रार्थना से पूर्व मंदिर में सफाई भी की

जहाँ एक ओर द्रौपदी मुर्मू की जीत को निश्चित माना जा रहा है तो वहीं यशवंत सिन्हा को कितना समर्थन मिलेगा यह अभी भविष्य के गर्भ में है। यशवंत सिन्हाका नाम तक सामने आया था जब शरद पवार, फारुक अब्दुल्ला, और फिर गोपाल कृष्ण गांधी ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था।

द्रौपदी मुर्मू का नाम वर्ष 2017 में भी सामने आया था, परन्तु उस समय रामनाथ कोविंद के नाम पर सहमति बनी थी। यशवंत सिन्हा की छवि जहां मात्र मोदी विरोध तक सीमित है और इसी कारण वह विपक्ष के प्रत्याशी चुने गए हैं, तो वहीं द्रौपदी मुर्मू के पास वनवासी छवि, के साथ ही झारखंड में राज्यपाल होने का, विधायक होने का एवं कई मंत्रालय सम्हालने की भी छवि भी है।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.