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Wednesday, October 16, 2024

भाजपा के तमिल क्षत्रप अन्नामलाई ने बताई हिन्दू विरोधी द्रविड़ दुष्प्रचार की प्याज की परतों की सच्चाई

तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी के.अन्नामलाई द्रमुक और द्रविड़ संगठनों के लिए दुःस्वप्न प्रमाणित हो रहे हैं। वह द्रविड़ विचारधारा के ढोंग को प्रकट कर रहे हैं चाहे वह छद्म सामाजिक न्याय हो, समानता हो, महिला सशक्तिकरण हो या विकास हो। हिन्दू द्वेष से भरा द्रविड़ मॉडल मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवियों की सहायता से और दुष्प्रचार के माध्यम से पड़ोसी राज्यों और उत्तर भारत में जड़ें जमाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन भाजपा के तमिल क्षत्रप अन्नामलाई ने कुछ ही समय में अपनी वाकपटुता और दक्षता से इस पूरे दुष्प्रचार की हवा निकाल दी है।

द्रमुक एवं प्याज की कई परतें

द्रमुक के दुष्प्रचार को जनता के सामने स्पष्ट करने का अन्नामलाई कोई भी अवसर नहीं छोड़ते हैं, उन्होंने कई बार बताया है कि कैसे द्रमुक नेता हिंदू विरोधी, ब्राह्मण विरोधी और विकास विरोधी प्रचार को सफलतापूर्वक लोगों तक पहुंचाते हैं । उन्होंने प्याज को एक रूपक के रूप में उपयोग करके बताया कि कैसे द्रमुक और करूणानिधि का परिवार अपनी छवि और सावधानीपूर्वक गढ़े गए झूठ की रक्षा के लिए प्याज की विभिन्न परतों से घिरा हुआ है। उन्होंने कहा कि पहली परत मीडिया है, जहाँ बिके हुए पत्रकार और तथाकथित बुद्धिजीवियों का उपयोग अपने छद्म प्रचार को चलाने के लिए किया जाता है।

अन्नामलाई बताते हैं कि इसके पश्चात दूसरी परत में पार्टी के प्रवक्ता और सोशल मीडिया पर उनकी ट्रोल आर्मी आती है। अन्नामलाई ने इसे ‘हमले की परत’ करार दिया जो प्रतिद्वंद्वी को स्तब्ध करने के लिए जाति, धर्म और अन्य पहचानों का दुरुपयोग करती है। यह लोग प्रतिद्वंदियों पर अश्लील भाषा का प्रयोग कर किसी भी विषय पर सभ्य बहस करने के प्रयासों को विफल कर देते हैं। उनका कहना है कि इस परत को बनाने के लिए अलग-अलग जातियों और धर्मों के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को बड़ी ही सावधानी से चुना जाता है।

हमने कुछ ही दिनों पहले द्रमुक नेता ए. राजा के अत्यंत आपत्तिजनक वक्तव्य को सुना था, जिसमे उन्होंने जानबूझकर मनु स्मृति को गलत तरीके से उद्धृत करके हिंदुओं को बदनाम करने का प्रयास किया था। हालांकि भाजपा और आरएसएस के सदस्यों ने उनके कथन का कठोरता से खंडन किया था, और उनके विरुद्ध पीसीआर एक्ट के अंतर्गत मामला भी दर्ज किया गया था।

तीसरी परत मंत्रियों, पार्टी सदस्यों की आड़ में जमींदारों से बनती है। पहली दो परतें, करुणानिधि परिवार और उसके निकट सहयोगी, इन लोगों के माध्यम से पैसे लूटते हैं और उन्हें कानून या जनता का सामना करने से बचाते हैं। वहीं तीसरी परत पहले परिवार के व्यावसायिक हितों की रक्षा करती है और उन पर किये गए राजनीतिक और निजी हमलों का सामना करती है।

अन्नामलाई के अनुसार चौथी परत विस्तारित परिवार है जो परिवार की रक्षा करता है और राजनीतिक सांठगांठ करता है । वहीं पांचवी परत में द्रमुक ‘नेता’ और उनका परिवार अर्थात ‘गोपालपुरम’ होता है, जिसका इस पूरे तंत्र पर नियंत्रण होता है, और यह करूणानिधि का परिवार ही है, जिसके नेतृत्व में द्रमुक पार्टियां एयर अन्य सहयोगी दल मिल कर कार्य करते हैं । यह एक बहुत ही उपयुक्त वर्णन है द्रमुक के छद्म प्रचार तंत्र का, और इस यह भी पता चलता है कि तमिलनाडु में हिन्दू विरोधी पारिस्थितिक तंत्र कैसे काम करता है, और कैसे द्रविड़ कड़गम जनता की सोच समझ पर नियंत्रण बनाये रखती है।

द्रविड़ आंदोलन की ब्रिटिश शासन के प्रति अगाध निष्ठा

अन्नामलाई ने एक ऐसी तंत्रिका को छुआ है, जिसे तमिलनाडु की राजनीति के इतने वर्षों तक किसी ने छूने की हिम्मत नहीं की थी। उन्होंने द्रमुक और उसके कुलीन क्लब के अंग्रेजों के साथ जुड़ाव के बारे में बात की, जब पार्टी को जस्टिस पार्टी के रूप में जाना जाता था। वित्त मंत्री पीटीआर पलानीवेल त्यागराजन पीटी राजन के पोते हैं, जो ब्रिटिश शासन के दौरान राष्ट्रपति परिषद के प्रमुख थे और जस्टिस पार्टी के संस्थापकों में से एक थे।

अधिकांश लोग इन तथ्यों से अवगत नहीं हैं, और अन्नामलाई ने इन्हीं जानकारियों को बताते हुए द्रमुक नेतृत्व से प्रश्न किया एवं जैसे जमकर प्रहार किया कि क्या “आपके पूर्वजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी को समर्थन और प्यार नहीं दिया था? क्या ईस्ट इंडिया कंपनी और जस्टिस पार्टी के बीच कोई संबंध नहीं है जो आपका मातृ संगठन है?

उन्होंने कहा, ‘आपने 1947 में क्या कहा था? क्या आपने यह नहीं कहा था कि स्वतंत्रता की कोई आवश्यकता नहीं है? तमिलनाडु के लोग आपकी पार्टी और ब्रिटिश सरकार के बीच संबंधों को जानते हैं। जब जस्टिस पार्टी की स्थापना हुई और द्रविड़ कड़गम का गठन हुआ, तब से क्या आपका ब्रिटिश सरकार से कोई सम्बन्ध नहीं था? उस समय यह ब्रिटिश साम्राज्य था और आपके नेताओं ने अंग्रेजों से कहा था कि कृपया भारत को स्वतंत्रता ना दें।

अन्नामलाई ने द्रमुक की बखिया उधेड़ते हुए कहा कि, हम अपने दम पर बॉल-पिन भी नहीं बना सकते थे। वहीं आप ब्रिटिश सरकार से विनती कर रहे थे कि अगर आप हमें स्वतंत्रता देते हैं, तो कृपया इंग्लैंड से तमिलनाडु पर शासन करें’। जब द्रमुक के लोग अपना इतिहास छिपाते हैं और बेशर्मी से 2022 में खुद को कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में चित्रित करने की कोशिश करते हैं, तो तथ्यों का खंडन करना भी हमारा उत्तरदायित्व है।

अन्नामलाई ने द्रविड़वादियों के छद्म स्वाभिमान को प्रकट किया

अन्नामलाई यहीं नहीं रुके, उन्होंने बताया कि द्रविड़ कड़गम ने शैव मठ के प्रमुख तिरुवावादुथुरई अधिनम को पालकी पर ले जाने की सदियों पुरानी प्रथा को रोकने का प्रयत्न किया था, और यह प्रचार किया था कि यह प्रथा मानवाधिकारों के विरुद्ध है। अन्नामलाई ने आश्वासन दिया था कि आवश्यकता पड़ने पर वह स्वयं इस पालकी को लेकर चलेंगे। उन्होंने द्रमुक के मंत्रियों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वह लोग उदयनिधि स्टालिन की चापलूसी करने के लिए उनके द्वारा अभिनीत फिल्मों का गुणगान करते हैं, ताकि उन्हें द्रमुक पार्टी में अच्छा स्थान मिल जाए।

उन्होंने प्रश्न उठाया कि उनकी विचारधारा उन लोगों को क्या लाभ और सम्मान दे सकती है, जो शैव मठ की पूजा करते हैं और पालकी उठाते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह (शैव) सिद्धंथम 2000, 3000 साल से तमिल भूमि में है। यह आपकी ‘नई विचारधारा’ आने से पहले से यहां रहा है।

अन्नामलाई द्रमुक का सामना उसी के पैंतरों से कर रहे हैं:

एक विरोध प्रदर्शन में बोलते हुए अन्नामलाई ने ए राजा को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि वह हिंदुओं का अपमान करते हैं और अन्य लोगो को भी भड़काते हैं । उन्होंने राजा को हिंदुओं का दुरुपयोग करवाकर राज्य में बिजली की दरों में वृद्धि और बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की द्रमुक की योजना को जनता के सामने रखा। राजा ने कहा था कि वह अपने गुरु ईवी रामासामी उर्फ पेरियार का अनुसरण करते हैं और उनके लिखे साहित्य से बातें उद्धृत करते हैं।

अन्नामलाई ने इसे उद्धृत किया और रोचक बात यही है कि अन्नामलाई ने उसे एकदम उसी तरीके से कहा जैसा  ए राजा और यहां तक ​​कि पेरियार भी कहते थे, “मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं..यह पहले से ही लिखा है”। पेरियार उर्फ ईवी रामासामी हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में असत्य भाषण करते हुए शूद्र महिलाओं को ब्राह्मणों की वेश्या बताते थे। सब कुछ कहने के बाद वह कहते, “नान सोल्लाला..आपदी दैन एलुथी इरुकु (Nan sollala..apdi than eluthi iruku)” जिसका अर्थ है, “मैं ऐसा नहीं कह रहा (अपने मन से) ..यह तो सब पहले ही लिखा हुआ है”। अन्नामलाई का यह तरीका बहुत शानदार है जिसमें वह द्रमुक पर उसी के संस्थापक की शैली से आक्रमण कर रहे हैं, एवं यह सही भी प्रतीत होता है क्योंकि अंतत: द्रविड़ विचारधारा हिंदुओं के साथ अभी तक यही करती आई है।

English to Hindi- Manish Sharma

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