पंजाब के जालंधर जिले में एक छोटा सा गांव है, खंभरा। आध्यात्मिक कल्याण समाज नामक एक गैर सरकारी संगठन का मुख्यालय खंभरा में है। इस गैर सरकारी संगठन का नेतृत्व वर्षा रानी करती हैं और इनके अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारियों में बलवीर कौर और पियारा शामिल हैं।
आध्यात्मिक कल्याण समाज संगठन की जानकारी
यह गैर सरकारी संगठन, विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए, FCRA) के तहत पंजीकृत है। 2017-18 में भारत के बाहर से योगदान के रूप में इसे 1,70,76,206.07 रुपए प्राप्त हुए थे। । 2018-19 में इसे प्राप्त कुल विदेशी योगदान राशी थी 2,84,27,339.00 रुपए। अर्थार्थ दो साल की अवधि में इसे भारत के बाहर से लगभग 4.5 करोड़ रुपए मिले । 2019-2020 के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन फिर ये करोड़ों में ही होने की संभावना है।
यदि आप एफसीआरए रिटर्न्स देखें तो आप पाएंगे कि दान करने वालों में से अधिकांश लोग पंजाबी हैं जिनमें से कुछ इसाई नाम और अन्य विशिष्ट पंजाबी नाम वाले हैं। 2017-18 में 253 ऐसे दानकर्ता थे जिन्होंने 20,000/- रुपए से ऊपर का दान दिया था। 2018-19 में दान देने वालों की संख्या 506 हो गई यानी बिल्कुल दोगुनी। विदेशों में रहने वाले पंजाबियों का, जालंधर के एक गैर सरकारी संगठन को निधिकरण करना कोई अजीब या निराली बात नहीं है। वास्तव में अधिकांश पंजाबी सेवा को धर्म का सार मानते हैं। तो निश्चित रूप से ये संगठन कुछ महान काम कर रहा होगा….
अगर गूगल पर इस गैर सरकारी संगठन का नाम ढूँढें तो आपको इसके बारे में बहुत कुछ नहीं मिलेगा।एक गैर सरकारी संगठन को विदेशी दान में करोड़ों पाने वाले और शायद स्थानीय दान में उससे भी बहुत अधिक मिलने के हिसाब से इनका इंटरनेट पर पदचिन्ह मानो नगण्य है। एक एकल यूट्यूब वीडियो है जिसमें दिखाया गया है कि इसने गरीब महिलाओं को पचास सिलाई मशीनें और कुछ राशन वितरित किया है। वीडियो बताता है कि इसने खंब्रा चर्च और राष्ट्रीय मसीही संघ के साथ मिलकर ऐसा किया है। इस गैर सरकारी संगठन की गतिविधियों के बारे में और कुछ पता नहीं है।
अंकुर नरूला का चर्च: जहां इस गैरसरकारी संगठन के पैसे का उपयोग किया जाता है
जैसा कि एफआरसीए के फॉर्म में उल्लेखित है, दान के माध्यम से प्राप्त धन का अंतिम उद्देश्य शैक्षिक, सामाजिक और धार्मिक है। 2017-18 का रिटर्न फॉर्म बताता है कि इस गैरसरकारी संगठन ने लगभग 1.4 करोड़ रुपए की संपत्ति बनाई है। 2018-19 का रिटर्न फॉर्म दिखाता है कि 1.67 करोड़ विदेशी धन का उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया गया था, लगभग 53 लाख धार्मिक उद्देश्यों के लिए और बाकी 62 लाख सामाजिक उद्देश्यों के लिए खर्च किया गया था। इतनी खर्च की गई राशि को कहीं ना कहीं तो परिणाम दर्शाना चाहिए।
यदि हम इन के प्रमुख अधिकारियों वर्षा रानी, बलवीर कौर और पियारा के बारे में थोड़ी खोजबीन करें तो इस रहस्य को हल करने में सक्षम हो सकते हैं। अंकुर नरूला के साथ इस नाम की एक सरल गूगल खोज बताएगी कि तीनों इसके चर्च में पादरी हैं और इसाई धर्म में धर्मांतरण को सक्रिय रुप से बढ़ावा देते हैं। वर्षा रानी, अंकुर नरूला मंत्रालय समाज की उपाध्यक्ष हैं। बलवीर कौर, जो खुद को ‘पैगंबर’ कहती हैं, रोशनी की किरण मंत्रालय चलाती हैं जो अंकुर नरूला का एक और मुख पृष्ठ है, और जो यूट्यूब पर मसीह परिवार चैनल में नियमित रूप से दिखाया जाता है। इस वीडियो के विवरण में, जिसे नीचे दिखाया गया है, आप देख सकते हैं कि ये दोनों कैसे आपस में जुड़े हुए हैं।
पियारा या पादरी पियारा लाल, जैसा कि वह अब जाने जाते हैं, गोस्पेल फॉर नेशंस, दिआलपुर चलाते हैं। अंकुर नरूला के लिए यह एक और आवरण मुख है। आप इस वीडियो का विवरण देख सकते हैं कि वह अंकुर नरूला के सहयोगी हैं जैसे की अन्य इस सूची में उल्लेखित हैं।
मूल रूप से अंकुर नरूला संगठनों का एक मकड़जाल चलाता है जिसमें सभी का लक्ष्य पंजाब के हिंदुओं और सिक्खों को ईसाई धर्म में धर्मांतरण करना है। इन गतिविधियों में उपयोग किए जा रहे धन को उनके कार्यक्रमों में खुले तौर पर देखा जा सकता है।
दूसरी ओर, अंकुर नरूला ने अपने सोशल मीडिया पर यह दावा किया कि उन्होंने 2018 में कई संपत्तियां खरीदी थीं। उन्होंने एक कॉलेज की इमारत खरीदी और द क्राइस्ट बाइबल कॉलेज भी खोला। जाहिर है यहां बहुत पैसा खर्च किया गया था। यदि आध्यात्मिक कल्याण सोसायटी के खाते की लेखापरीक्षा की जाए तो शायद हमें पूरी सच्चाई पता चलेगी।
अंकुर नरूला को अवैध विदेशी चंदा
यहां एक साधारण सवाल उठता है। एक संगठन, जिसका इंटरनेट पर व्यवहारिक रूप से कोई पदचिन्ह नहीं है, विदेशों से करोड़ों रुपए आकर्षित करने का प्रबंधन कैसे करता है? अब यह दान किसी एक संगठन द्वारा नहीं बल्कि सैकड़ों लोगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें दान देने से पहले संगठन की गतिविधियों के बारे में तो ज़रूर पता होगा ।
कृपया याद रखें कि आध्यात्मिक कल्याण समाज नामक गैर सरकारी संगठन के पास दान लेने के लिए एक साधारण ब्लॉग या वेबसाइट भी नहीं है। जाहिर है, दान कहीं और किया जा रहा है। यदि नहीं, तो सैकड़ों लोग जादूई रूप से संगठन के सही खाते के विवरण को कैसे जानेंगे?
यहां अंकुर नरूला संगठन के मीडिया हथियारों की भूमिका आती है। अंकुर नरूला और उनके अनुचर, विभिन्न सामाजिक मीडिया चैनलों के माध्यम से उनकी गतिविधियों को प्रचारित करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अंकुर नरूला मंत्रालयों के नाम से उनके यूट्यूब चैनल के चार लाख से अधिक ग्राहक हैं। इसे अनुग्रह टीवी के नाम से भी जाना जाता है। वह सक्रिय रूप से चैनल और चैनल की वेबसाइट पर दान मांगता है। यह ध्यान देने की बात है कि अंकुर नरूला के पास औपचारिक रूप से कोई एफसीआरए नहीं होने के बावजूद वह विदेशी दान या “चढ़ावा” मांगता है! यह स्पष्ट रूप से कानून के खिलाफ है।
यह तो जांच एजेंसियों के लिए जांच का विषय है कि वह विदेशों से प्राप्त धन का निर्देशन कहां कर रहा है। हालांकि, आध्यात्मिक कल्याण समाज संगठन एकमात्र मार्ग नहीं हो सकता जिसके माध्यम से वह धन प्राप्त कर रहा हो। वह विभिन्न अन्य गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से और हवाला मार्ग के माध्यम से भी पैसा प्राप्त कर रहा होगा। वह अपने अनुयायियों को व्हाट्सएप नंबर के माध्यम से जानकारी दे रहा होगा। कृपया ध्यान दें, कि औपचारिक रूप से कागजों पर अंकुर नरूला का आध्यात्मिक कल्याण समाज संगठन से कोई लेना-देना नहीं है इसलिए वहां से पैसा प्राप्त करना उसके लिए गैर कानूनी है। विशेष रुप से इसलिए क्योंकि उसका संगठन एफसीआरए के तहत पंजीकृत नहीं है। वह भारत के बाहर से कोई भी दान नहीं ले सकता
इसका प्रभाव
मज़हबी रूपांतरण गतिविधियों में धन स्पंदित करने का प्रभाव पंजाब में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जैसा कि हमने पहले भी एक उल्लेख में लिखा था, पंजाब अब 10% ईसाई है। अंकुर नरूला ने 2008 में तीन अनुयायियों के साथ इसकी शुरुआत की थी। 2018 तक उनके डेढ़ लाख अनुयायी थे और उनके अपने शब्दों में उनके अनुयाई हर साल दोगुना बढ़ रहे थे। यदि हम संख्या को बढ़ाते हैं तो 2020 तक उनके लगभग तीन – चार लाख सदस्य होंगे। कृपया ध्यान दें कि 2011 की जनगणना में पंजाब की पूरी ईसाई आबादी 3,48,230 बताई गई थी!
2016 में ईसाई नेता इमानुल रहमत मसीह ने कहा – “वास्तव में हमारी आबादी राज्य में 7 – 10 % है लेकिन नवीनतम जनगणना में हमें 1% से भी कम दिखाया गया है।” उन्होंने विधानसभा में ईसाई समुदाय के प्रतिनिधित्व और धर्मांतरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आसान तरीकों की मांग की। यह बस समय की बात है कि जब राजनीतिक दल पंजाब में एक और तरह का तुष्टिकरण शुरू कर देंगे। कई मामलों में यह पहले ही शुरू हो चुका है।
निष्कर्ष
सरकार ने हाल ही में एफसीआरए में संशोधन किया है और यह कुछ हद तक इन गैर सरकारी संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगा सकती है जो कि रूपांतरण कारखानों के लिए एक मुख पृष्ठ हैं। यह संभावना है कि हवाला लेनदेन बढ़ेगा और असामाजिक तत्व कुछ खामियों का पता लगाएंगे, जो अभी भी बने हुए हैं, और उनका शोषण करेंगे। यह महत्वपूर्ण है कि संबंधित जांच एजेंसियां ऐसे व्यक्तियों के खातों का एक पूर्ण जांच करें ताकि इन लोगों के दिलों में कानून का डर डाला जा सके।
संपादन – ट्विटर उपयोगकर्ता @by2kaafi, जो नियमित रूप से एफसीआरए संबंधित मुद्दों पर ट्वीट करते हैं, को अंकुर नरूला, वर्षा रानी,आध्यात्मिक कल्याण समाज संगठन और उनकी रूपांतरण गतिविधियों के बीच संबंध का और प्रमाण मिला है। इस फेसबुक पोस्ट में अंकुर कहते हैं कि आध्यात्मिक कल्याण समाज संगठन उनकी मां द्वारा चलाया जाता है। फोटो में चेक पर भी ध्यान दें, इसमें वर्षा के हस्ताक्षर हैं और गैर सरकारी संगठन का नाम भी है। नरूला ने जाहिर तौर पर यह चेक एक सामूहिक बलात्कार पीड़ित लड़की के पिता को दिया जो एक ईसाई परिवार से हैं। उन्होंने पोस्ट में खुद को “मैन ऑफ गॉड” होने की घोषणा की है।
(रागिनी विवेक कुमार द्वारा इस अंग्रेजी लेख का हिंदी अनुवाद)
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