दिल्ली में आम आदमी पार्टी दिल्ली एमसीडी में अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रही है। उसका यह कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने जो भ्रष्टाचार किए हैं, उनसे आम जनता त्रस्त है और वह चाहती है कि एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी की ही सरकार आए। यही कारण है कि जब सरकार तीनों निगमों के एकीकरण का बिल लाई थी तो आम आदमी पार्टी ने यह कहते हुए विरोध किया था कि भारतीय जनता पार्टी डरी हुई है।
यह तो बात है कुछ दिन पुरानी। परन्तु ईमानदारी का दावा करने वाली पार्टी के एक नेता जो कुछ दिन पहले विवेक अग्निहोत्री को इस बात के लिए कोस रहे थे कि विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म का प्रयोग कश्मीरी पंडितों की पीड़ा दिखाने के लिए कम और पैसे कमाने के लिए अधिक किया। इसलिए उन्हें फ्री में दिखानी चाहिए। दीपक मदान दीपू नामक नेता ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा था कि
“यदि कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म उनकी मदद के लिए बनाई गई हैं तो उससे होने वाली सारी कमाई कश्मीरी पंडितों के परिवारों को दी जाए वरना यह माना जाएगा की फिल्म बनाकर उनकी भावनाओं से पैसा कमाना ही उद्देश्य था 1991 से कभी उनकी भावनाओं से वोट कमाए जा रहे हैं और कभी नोट”
तो अब उसी नेता ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लाइव वीडियो किया था जिसमें लिखा था
“मंत्री सतेंद्र जैन के घर के बहार खड़ा हूँ अनशन पे।
मेरे 1 कऱोड 15 लाख वापिस दो जो MCD टिकट के लिए थे।“
भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने यह दोनों ही तस्वीरें साझा कीं,
इस पर लोगों ने कहा कि यह व्यक्ति स्वयं में अच्छा व्यक्ति नहीं है।
प्रश्न व्यक्ति के अच्छा या बुरा होने का नहीं है। प्रश्न है उस कथित ईमानदारी के नाटक का, जिसे बार-बार इस पार्टी के नेता करते हैं कि वह सबसे ईमानदार हैं।
वह ईमानदार हैं, वह लोकतान्त्रिक हैं, तो फिर “अरविन्द केजरीवाल” की आलोचना पर पंजाब पुलिस क्यों भेजी जा रही है?
भारत में कथित वामपंथी लेखकों ने अरविन्द केजरीवाल को लोकतंत्र का नया मसीहा कहकर घोषित किया था। परन्तु अरविन्द केजरीवाल बार-बार यह रोना किया करते थे कि दिल्ली में उनके पास पुलिस नहीं है। जब से पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत हुई है, तबसे उन्होंने अपने हर राजनीतिक विरोधी को पुलिस के माध्यम से प्रताड़ित करने का प्रयास कर रहे हैं।
पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता तजेंदर पाल बग्गा एवं नवीन जिंदल के घरों में पुलिस भेजने के बाद अब उन्होंने अपने ही साथी रहे कुमार विश्वास के घर पर पुलिस भेज दी है। कल कुमार विश्वास ने ट्वीट किया कि सुबह सुबह उनके घर पर पंजाब पुलिस पहुँची थी। उन्होंने यह भी कहा कि एक दिन अरविन्द केजरीवाल पंजाब को भी धोखा देगा।
पाठकों को स्मरण होगा कि कैसे अरविन्द केजरीवाल पर कुमार विश्वास ने आरोप लगाए थे कि वह अलगाववादियों की मदद लेते हैं, परन्तु यह भी पाठकों को स्मरण होगा कि कैसे उस समय भी कपिल मिश्रा ही थे जिन्होनें कुमार विश्वास की भी पोल खोलते हुए कहा था कि उन्हें भी यह सब पहले से पता था।
कपिल मिश्रा ने अपना पांच वर्ष पहले का पात्र जारी करते हुए कहा था कि केजरीवाल का खालिस्तानी कनेक्शन है। कपिल मिश्रा ने उस समय भी पूछा था कि
इसमें से कौन सी बात है जो आपको पता नहीं, फिर भी आप चुप हो। पंजाब के फ़ार्म हाउसेस में दारू, लडकियों और पैसों का जो खेल हुआ, वो आपसे छिपा है क्या?”
मजे की बात यह है कि कपिल मिश्रा ने जो यह पत्र भेजा था, उसमें भी सत्येन्द्र जैन की फर्जी कंपनियों की बात की गयी है और नगर निगम चुनाव में गड़बड़ियाँ भी हैं, और कपिल मिश्रा ने फिर से कुमार विश्वास से यह भी प्रश्न किया था कि आखिर क्यों आप चुप हैं?”
शायद बाद में कुमार विश्वास की अंतरात्मा जागी और उन्होंने अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ यह कहा था कि उनके खालिस्तानियों के साथ सम्बन्ध हैं:
अब उनसे पंजाब पुलिस की ओर से यह कहा जा रहा है कि उन्होंने अरविन्द केजरीवाल पर खालिस्तानी होने के आरोप लगाए थे, तो इस सम्बन्ध में पंजाब पुलिस को सबूत देकर जांच में सहयोग करें। वहीं कुमार विश्वास के बाद अलका लाम्बा के घर पर भी नोटिस लगा दिया गया है और उन्हें भी हाजिर होने के लिए कहा है। अलका लाम्बा ने कहा है कि वह जाएंगी और डरेंगी नहीं:
वहीं इस मामले में अरविन्द केजरीवाल के पूर्व साथी आशुतोष का कहना है कि बदले की राजनीति ने देश का कबाड़ा किया है
प्रश्न यह है कि जो पार्टी मात्र आरोपों की राजनीति करके ही देश की राजनीति में आई है, वह स्वयं पर लगे आरोपों पर इतना बिफर क्यों रही है? क्या यह बात सत्य नहीं है कि दूसरों पर आरोप लगाकर अरविन्द केजरीवाल ने क्षमा भी मांगी है? उन्होंने अकाली नेता बिक्रम मजीठिया, नितिन गडकरी और कपिल सिब्बल तीनों से माफी माँगी थी?
क्या सेना के पराक्रम और शौर्य अर्थात सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्होंने सेना का अपमान नहीं किया था?
क्या हर किसी पर आरोप लगाने वाली पार्टी के नेता अपनी आलोचना सुनने का धैर्य नहीं रखते हैं? लोग तो प्रश्न करेंगे ही कि क्या यही लोकतंत्र है? या फिर क्या इसीलिए अरविन्द केजरीवाल को पुलिस चाहिए थी? या फिर जैसे उस नेता का सवा करोड़ लेकर उसके अनुसार सतेन्द्र जैन मुकर गए हैं, तो क्या ऐसे ही समाज सेवा होगी? जनता प्रश्न पूछ रही है, जिसका उत्तर राजनीतिक दाँव पेच से दूर रहकर देना ही होगा!