इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर का अपना स्थान है। जर्मनी की नेक्स्वेफ़ उन कम्पनीयों में से है जो कि सेमीकंडक्टर में इस्तेमाल होने वाले मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन बेफर्स बनाती है। रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (आरएनईएसएल) नेक्स्वेफ़ में 218 करोड़ का निवेश करेगी, जिससे फोटोवोल्टिक निर्माण में भारत को वैश्विक लीडर के तौर पर स्थापित होने में सहायता मिलेगी। अब तो किसी परियोजना की समयबद्ध पूर्णता को लेकर भी हमारे देश की कंपनियों की दुनिया में ख्याति होने लगी है।
‘टाटा -पॉवर’ के द्वारा हाल ही में राजस्थान के जेत्सर में मात्र 15 महीने में 160 मेघवाट सोलर –परियोजना को पूर्ण करके इस का प्रमाण दिया है। इस सयंत्र से 3,87,00,0000 यूनिट बिजली पैदा होने की आशा है। इलेक्ट्रिक – वाहन और सौर-परियोजना में बैटरी कि अहम भूमिका होती है।
गौरव की बात ये है कि यूरोप की अक्षय उर्जा कंपनी एरेन नें भारत की स्टार्टअप कंपनी प्रवेग पर भरोसा दिखाते हुए बैटरी निर्माण का उसे आर्डर दिया है। बताया जाता है इस कंपनी के द्वारा विकसित बैटरी की दुनिया में सर्वाधिक सघन-क्षमता है।
रूस-उक्रेन युद्ध जैसा कोई हादसा न भी हो, तो भी आयात पर हमारी अत्यधिक निर्भरता के कारण डीज़ल –पेट्रोल– गैस की आपूर्ती सदा चुनौती से कम नहीं है। लेकिन इनके विकल्पों पर सरकार नें भी कमर कस रखी है। ऊपर दर्शाए गए आंकड़े यह समझने के लिए काफी हैं।
सरकार द्वारा उठाये गए कदमों का परिणाम है कि पिछले सात सालों में सौर ऊर्जा उत्पादन 17 गुना बढ़ा है, इससे प्राप्त विद्युत-क्षमता 45 हजार मेगावाट हो गयी है। यही कारण है कि इसी अवधि में वन और वृक्षों के क्षेत्रफल में 13, 031 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई। सरकार चाहती है कि वर्ष 2040 तक देश में बिजली उत्पादन क्षमता का कुल 40 प्रतिशत अक्षय-ऊर्जा (सौर,पवन आदि) से होने लग जाए। आगे चलकर बड़े भवनों की छत पर जल्दी ही अक्षय ऊर्जा के स्त्रोतों के प्रावधानों को अनिवार्य किया जा सकता है। साथ ही जो कंपनियां अपनी ऊर्जा खपत में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ायेगी, उन्हें वित्तीय सुविधाओं में लाभ मिलेगा।
सम्पूर्ण सोलर एनर्जी कंपनी बननें की दिशा में आगे बढ़ते हुए रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (आरएनईएसएल) ने 77.1 करोड़ डॉलर में चाइना नेशनल ब्लू स्टार से आरईसी सोलर को खरीद लिया है। इस कंपनी के दो सयंत्र नॉर्वे में हैं, जहां सौर ग्रेड पोलिसिलिकान निर्मित होता है। और सिंगापुर स्थित सयंत्र में पीवी सेल्स व माडुयुल बनते हैं। इस कदम से जामनगर स्थित धीरुभाई अम्बानी ग्रीन एनर्जी गीगा काम्प्लेक्स में एक लाख मेघावाट क्षमता का सोलर पार्क के निर्माण में आवश्यक तकनीक प्राप्त हो सकेगी।