नागरिकता संशोधन अधिनियम में यह बार बार पाकिस्तानी हिन्दुओं पर बात की गयी और पाकिस्तानी हिन्दुओं का मामला रह रह कर उठता रहता है। हालांकि वह लोग दिल्ली में रह रहे हैं, परन्तु जहां वह रह रहे हैं, वहां उनकी स्थिति के विषय में बार बार सूचनाएं आती रहती हैं कि वह कैसी स्थिति में रह रहे हैं। कैसी उनकी स्थिति है, और हर बार ही अधिकांश निराशाजनक उत्तर मिलते हैं।
18 अगस्त को ही दिल्ली महिला आयोग ने मजनू का टीला में रह रहे हिन्दू शरणार्थी शिविर का दौरा किया। यहाँ पर रह रही महिलाओं की स्थिति जांचने के लिए यह दौरा था। आयोग यह अध्ययन करने के लिए गया था कि वहां पर पाकिस्तानी हिन्दू महिलाएं कैसे रह रही हैं। डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा “मैं इन हिंदू शरणार्थियों से मजनू का टीला में मिली हूं। वे सबसे दयनीय परिस्थितियों में जी रहे हैं। उनके पास कच्चे घर हैं जिनमें मानसून के दौरान रहना और भी मुश्किल हो जाता है। अक्सर उनके घरों में सांप बिच्छू घुस जाते हैं। शौचालय नहीं होने के कारण उन्हें खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ता है।
आयोग ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगा, जिससे पुनर्वास के आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
जहां एक ओर अभी पाकिस्तानी हिन्दुओं की स्थिति यह है तो वहीं तीन ही दिन पहले अर्थात 17 अगस्त को केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया कि भारत ने हमेशा ही उनका स्वागत किया है, जिन्होनें भारत में शरण मांगी है। एक महत्वपूर्ण निर्णय में रोहिंग्या शरणार्थियों को ईदडब्ल्यूएस फ्लैट्स में बसाया जाएगा। उन्हें मूलभूत सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और हर समय दिल्ली पुलिस की सुरक्षा दी जाएगी!
इस ट्वीट के बाद बवाल मच गया। क्योंकि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इस कदम का विरोध होने लगा। यहाँ तक कि पार्टी के भीतर भी विरोध हुआ। यूएन की दृष्टि में हिन्दू शरणार्थी लग रहा हैं ही नहीं, वह कभी भी हिन्दू शरणार्थियों की बात नहीं करता है। क्या संयुक्त राष्ट्र की दृष्टि में हिन्दू शरणार्थी हैं भी या नहीं, यह प्रश्न इस बात से उभर कर आया जब ग्रैमी अवार्ड विजेता रिकी राज ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत में रह रहे शरणार्थियों के साथ भारत के राष्ट्रगान का वीडियो साझा किया। इसमें भारत में रह रहे कई देशों के शरणार्थी थे, परन्तु दुर्भाग्य से उनमें एक भी वह शरणार्थी नहीं था, जो विश्व में सर्वाधिक प्रताड़ित है। और वह है हिन्दू!
यह वीडियो संस्कृति मंत्रालय ने भी ट्वीट किया था। क्या एक प्रश्न पूछा नहीं जाना चाहिए कि जब आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा था, तब हिन्दुओं को विमर्श से ही बाहर करने का यह कैसा छल किया जा रहा है? क्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश से आए हुए शरणार्थियों को नहीं इनमें सम्मिलित किया जाना चाहिए? क्या उनकी पीड़ा को विश्व के विमर्श से ही बाहर धकेल देने का यह कोई षड्यंत्र है?
यह प्रश्न तो उठेगा ही और उठा भी! परन्तु 15 अगस्त को इस पीड़ा के बाद हरदीप पुरी का वह ट्वीट तो जैसे पूरे देश के जले पर नमक छिडक गया। आखिर ऐसा कैसे हुआ? हरदीप पुरी के ट्वीट के बाद जैसे ही विरोध होना आरम्भ हुआ, वैसे ही सरकार कुछ बैकफुट पर आई और आनन फानन में एक स्पष्टीकरण गृह मंत्रालय से जारी किया गया।
इसमें था कि अवैध रोहिंग्याओं को किसी भी प्रकार से कोई भी आवास नहीं प्रदान किया गया है और न ही ऐसी कोई योजना है।
गृह मंत्रालय से यह कहा गया कि रोहिंग्या अवैध विदेशियों के सम्बन्ध में मीडिया के कुछ वर्गों में यह समाचार आया कि उन्हें ईडब्ल्यूएस फ़्लैट दिए जाएंगे, यह पूरी तरह से गलत है। उन्हें तब तक डिटेंशनसेंटर में ही क़ानून के अनुसार रखा जाएगा।
परन्तु तब तक पीड़ा का विस्तार हो चुका था। यह पीड़ा बहुत व्यापक थी, ऐसी पीड़ा जिसने पाकिस्तान से आए हिन्दुओं का सीना चीर दिया। उनके हृदय में ऐसी तीखी पीर हुई, जिसके विषय में उन्होंने कभी कल्पना ही नहीं की थी।
उन्हें ऐसा लगा जैसे उनकी पीठ में किसी ने खंजर घोंप दिया हो। और वह सहज प्रश्न कर बैठे कि “अगर पाकिस्तान से हिन्दू शरणार्थी, जो पूरे देश में इधर उधर रह रहे हैं, वह भी मुसलमान बन जाएं, तो क्या केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी उन्हें आवास देंगे?” यह प्रश्न किया था जय आहूजा ने जो गैर सरकरी संगठन Nimittekam का संचालन करते हैं, जो भारत में पाकिस्तान से आने वाले हिन्दू एवं सिख परिवारों के लिए आवास के लिए समर्पित हैं।
उन्होंने फर्स्टपोस्ट के साथ बात करते हुए कहा कि उन्हें यह विश्वास नहीं हो पा रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ है और क्यों किया गया है? पाकिस्तान और बंगलादेश से आगे हुए न जाने कितने हिन्दू कुत्तों की तरह जोधपुर, जयपुर और दिल्ली में रह रहे हैं और यह सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों को घर दे रही है। अगर हम भी मुस्लिम बन जाएं तो क्या आप हमें घर देंगे?”
वहीं वर्ष 2014 में पाकिस्तान से जान बचाकर भारत आए भागचंद भील की व्यथा इन शब्दों से व्यक्त हो रही थी कि “अब हमें पाकिस्तान के लोग ताना मारते हैं कि तुम लोग वहां पर घर की तलाश में गए थे मगर तुम लोग टेंट और कैम्प में रह रहे हो! और हमारे पास कोई उत्तर नहीं होता!”
भागचंद भील की पीड़ा इस पूरे विश्व के हिन्दुओं की पीड़ा है कि हम विमर्श में क्यों नहीं हैं? हालांकि गृह मंत्रालय का ट्वीट और हरदीप पुरी का ट्वीट दोनों ही इस समय twitter पर हैं!
It’s a crime against humanity.