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Sunday, June 11, 2023

केतकी चिताले को मिली जमानत, वाम-इस्लामिस्ट फेमिनिज्म की चुप्पी पर तमाचा है!

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक युवा अभिनेत्री को मात्र इसलिए 40 दिनों तक जेल में रखा जाए, कि उसने एक ऐसी पोस्ट साझा कर दी, जिसमें कथित रूप से उस प्रांत के कद्दावर नेता का नाम या अपमान है? और इस पर आजादी गैंग, ढपली गैंग, आदि आदि सब चुप रहें। यदि महिला कथित दक्षिण पंथ की रही होती या फिर वह ऐसी रही होती जिसका राजनीतिक रुझान रहा होता, तो यह समझा जा सकता था, कि वाम और इस्लामी फेमिनिस्ट केतकी का साथ नहीं देतीं, परन्तु ऐसा कुछ बहुत स्पष्ट न होने पर भी केतकी के पक्ष में उस पूरी लॉबी का एक भी समर्थन वाला ट्वीट नहीं आया, जिसने आफरीन के समर्थन में जमीं आसमान एक कर दिया था।

आफरीन के राजनीतिक मजहबी विचार सभी को पता है और जो घर उत्तर प्रदेश ने ढहाया था, वह आफरीन का नहीं था, बल्कि आफरीन के घरवालों का था, जिन पर अतिक्रमण का आरोप था। जावेद नागरिकता संशोधन अधिनियम के भी विरोध में था और आफरीन भी स्वयं को मुस्लिम पहचान बताती हैं। परन्तु केतकी चिताले ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।

केतकी चिताले की पूरी फेसबुक प्रोफाइल पर ऐसा ऐसा कोई पोस्ट नहीं दिखा जो यह प्रमाणित कर सके कि वह किसी राजनीतिक विचार या हिंदुत्व आदि को प्रदर्शित करती है, फिर भी उसके पक्ष में आजादी गैंग के कोई लोग नहीं आए! क्योंकि उनके लिए आजादी का अर्थ मात्र अपने ही विचारों की आजादी आदि है। उनके लिए यह तनिक भी महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई निष्पक्ष व्यक्ति किसी कथित सेक्युलर व्यक्ति की हिंसा का शिकार हुआ है, तो वह उस निष्पक्ष व्यक्ति के पक्ष में खड़े हों जाएं!

केतली को मात्र एक पोस्ट साझा करने के लिए आरोप में हिरासत में लिया गया था। आरोप था कि उस में शरद पवार के लिए अपशब्द कहे गए हैं।

जबकि इसमें पवार का नाम तक नहीं था। हाँ, इस मामले में कथित कुलीन फेमिनिस्ट इसलिए नहीं बीच में पड़ीं क्योंकि इसमें ब्राह्मणों के सामर्थ्य की बात की गयी थी, तो वह ब्राह्मण की बात कैसे कर सकती थीं? और चूंकि शरद पवार पर कथित रूप से टिप्पणी थी, तो ऐसे में वह कैसे कुछ कह सकती थीं? यदि किसी भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद आदि के व्यक्ति ने कुछ किया होता तो वह बोलतीं!

परन्तु किसी कथित सेक्युलर नेता के विरुद्ध, वह कैसे मुंह खोल सकती थीं!

पूरे चालीस दिन तक केतकी जेल में रहीं! केतकी ने न ही देश विरोधी बात कही थी, न ही न्यायालय पर टिप्पणी की थी और न ही पुलिस या व्यवस्था पर और न ही धर्म पर! जब फेमिनिस्ट नुपुर शर्मा के विरुद्ध सिर काटे जाने के फरमानों के विरोध में नहीं आई थीं, तो यह अनुमान लगाया था था कि वह मजहब से सम्बंधित बातें हैं, इसलिए कुछ नहीं कहा, परन्तु केतकी? उसने तो मजहब के विरोध में कुछ नहीं कहा था!

संभवतया उस पूरी ब्रिगेड को  ऐसा लगा था कि वह लोग आक्रोश नहीं जताएंगी तो कोई अभियान नहीं चलाया जाएगा!

परन्तु अभियान चलाया गया। केतकी को मात्र एक पोस्ट साझा करने पर महाराष्ट्र सरकार ने हिरासत में डाल दिया था, इसके विरोध में सोशल मीडिया उठ खड़ा हुआ। मीडिया में भी प्रश्न उठाए गए कि क्या किसी नेता पर अप्रत्यक्ष कुछ साझा करना इतना बड़ा अपराध है कि व्यक्ति को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में ही नहीं लिया जाए बल्कि उसे जमानत भी न मिले!

और उसके विरुद्ध एक दो नहीं बल्कि पूरी 22 एफआईआर दर्ज हों! न्यायालय ने पुलिस को उच्चतम न्यायालय द्वारा बताए गए दिशानिर्देशों का पालन न करने पर फटकार भी लगाई!

केतकी चिताले के जमानत पर आने पर आनन्द रंगनाथन ने कहा कि चालीस दिनों के बाद भी केतकी की मुस्कान का जबाव नहीं!

यूजर्स ने उन बॉलीवुड सितारों के ट्वीट साझा किए, जिन्होनें उद्धव ठाकरे के पक्ष में ट्वीट किये थे और लिखा कि इस पूरे गैंग ने एक भी शब्द केतकी के पक्ष में नहीं लिखे थे:

केतकी की मुस्कान वास्तव में अचरज में डालने वाली है और एक यूजर ने यह लिखा कि केतकी ने 40 दिन जेल में काटे और अपना मुकदमा बहुत ही वीरता और सही तरीके से लदा, और जब वह बाहर आई तो उसके चेहरे पर मुस्कान ने यह बताया कि हमारी नई पीढ़ी कितनी मजबूत है!

केतकी के विषय में बात न करके एक बड़े वर्ग को ऐसा अनुभव हुआ था कि यदि वह नहीं बोलेंगे तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में कोई बात नहीं करेगा? यदि वह सेक्युलरिज्म के नाम पर एक पार्टी विशेष के विरोध को ही विरोध मान बैठे हैं, तो प्रदेश में जहाँ पर वह दल विशेष विपक्ष में है और कथित सेक्युलर दल सत्ता में हैं, तो उस दल द्वारा किए गए अत्याचारों पर आवाज कौन उठाएगा?

वह पूरा वर्ग स्वयं को ठेकेदार मानकर बैठा था, उसने आज मुंह की खाई है!

एक यूजर ने स्वरा, ऋचा चड्ढा, साक्षी जोशी आदि को टैग करते हुए प्रश्न भी किया कि केतकी के पक्ष में आपमें से किसी ने आवाज क्यों नहीं उठाई?

परन्तु वामपंथी और इस्लामिस्ट फेमिनिस्ट इस बात का उत्तर नहीं देंगे क्योंकि उनके पास उत्तर देने के लिए कुछ नहीं हैं, मात्र कुछ कुतर्क हैं, और वह कुतर्क कब तक चलेंगे यह देखना होगा!

केतकी का खुली हवा में सांस लेना, इस पूरे गैंग के मुंह पर एक तमाचे से बढ़कर कुछ नहीं है!

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