ऑस्ट्रेलिया से आज समाचार आया कि भारतीय विद्यार्थी विशाल जूद को रिहा कर दिया गया है। विशाल जूद का अपराध मात्र इतना था कि उसने किसान आन्दोलन जब अपने चरम पर था, उस समय ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानियों का विरोध किया था और इसी बात पर भारत का विरोध कर रहे खालिस्तानी समर्थकों ने विशाल जूद पर हिंसा एवं जातीय भेदभाव का आरोप लगाते हुए नकली केस दर्ज करा दिया था।
विशाल जूद की रिहाई का समाचार स्वयं उनकी वकील ने साझा किया और ऑस्ट्रेलिया टुडे के अनुसार वह भारत के लिए उड़ान भर चुके हैं।
विशाल जूद ही ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थकों का शिकार बने हों, ऐसा नहीं है। ऐसा लग रहा है जैसे एक बड़ा वर्ग हिन्दुओं के विरोध में खड़ा हो गया है। ऑस्ट्रेलियाटुडे के अनुसार खालिस्तानियों ने सिडनी में हिन्दू नेता योगेश खट्टर पर भी हमला किया। ऐसा क्यों किया गया, यह एक प्रश्न था।
दरअसल योगेश खट्टर भी विशाल जूद की तरह खालिस्तानियों के षड्यंत्र का शिकार बनने जा रहे थे। आरोप है कि न्यू साउथ वेल्स में आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष योगेश खट्टर के व्यापार पर सिडनी के उत्तरी मीड में उनके व्यापारिक संस्थान पर खालिस्तानी तत्वों ने आक्रमण किया। ऑस्ट्रेलिया टुडे से बात करते हुए श्री खट्टर ने बताया कि “मैं आम तौर पर अपनी शॉप पर देर रात तक काम करता हूँ। पर कल मैं कुछ जल्दी चला गया था, तो ऐसा लगता है जैसे हमलावरों को मैं नहीं मिला, तो उन्होंने हमारे वाहनों को नष्ट कर दिया।”
परन्तु कोई हिन्दू नेता पर आक्रमण क्यों करेगा?
इस प्रश्न का उत्तर भी विशाल जूद की घटना के साथ जुड़ा है। जब हिंसक खालिस्तानी तत्वों ने सिडनी में अपने प्रोपोगैंडा का विरोध करने पर कई अंतर्राष्ट्रीय भारतीय विद्यार्थियों पर हमला कर दिया था और जब विशाल जूद जेल चले गए थे तो योगेश खट्टर ही वह थे, जिन्होनें विशाल जूद की सहायता उनकी कानूनी लड़ाई लड़ने में की थी।
योगेश खट्टर ने खालिस्तानियों के पूरे षड्यंत्र के विषय में बताते हुए कहा कि बुधवार 13 अक्टूबर को उनके पास एनएसडब्ल्यू पुलिस मल्टीकल्चरल लियाज़न अधिकारी से एक कॉल आई, जिसमें उनसे एक ऐसे वीडियो के बारे में बात की गयी, जो सोशल मीडिया पर घूम रहा था। उन्होंने किसी भी ऐसे वीडियो के प्रति जानकारी होने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि मुझे यह तो पता था कि हमारी कम्युनिटी में क्या हो रहा है, पर यदि वह और शेष हिन्दू नेता वीडियो के बारे में नहीं जानते थे, तो यह निश्चित ही हिन्दू समुदाय को नीचा दिखाने के लिए बनाया गया था।
योगेश खट्टर के अनुसार उस वीडियो में विशाल जूद के रिहा होने पर एक विजय रैली निकालने की योजना थी और उसमें सम्पर्क नंबर उनका दे दिया गया था। जबकि उन्हें इस वीडियो के विषय में तनिक भी पता नहीं था।
योगेश खट्टर का कहना है कि यह खालिस्तानी तत्व बहुत चालाक हैं। वह अपने घृणा से भरे हुए एजेंडा को फ़ैलाने के लिए योजना बनाते हैं, प्लाट करते हैं और फिर उसे अपने शातिर दिमाग से लागू करते हैं। फिर उन्होंने अपने वकील से सलाह ली और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि कोई उनकी फोटो और फोन नंबर को गलत रूप से प्रयोग कर रहा है।
परन्तु मामले में अभी और मोड़ आने थे। योगेश खट्टर को यह आशंका थी कि चरमपंथी खालिस्तानी गैंग उन्हें शारीरिक हानि पहुंचाने के लिए निशाना बना सकता है।
एक हिन्दू समुदाय के कार्यकर्त्ता रमेश सिंह (परिवर्तित नाम) ने बताया कि अगर वह लोग योगेश खट्टर को खोज पाने में सफल हो जाते और फिर उन पर और उनके संस्थान पर हमला करते तो दो समुदाय के बीच दूरी बढ़ाने की उनकी चाल सफल हो जाती।
हालांकि योगेश खट्टर को पुलिस की ओर से आश्वासन दिया गया है कि उनके संस्थान के क्षेत्र में पुलिस की गश्त बढ़ा दी जाएगी, फिर भी रमेश सिंह का कहना है कि जब तक पुलिस उन खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाती हैं, तब तक समुदाय सुरक्षित नहीं अनुभव कर पाएगा।
भारत में भी दोबारा पैदा हो रहा है आतंक
ऐसा नहीं है कि केवल ऑस्ट्रेलिया में या फिर बाहर ही यह तत्व ऐसी हिंसा फैला रहे हैं, खालिस्तानी तत्व भारत में भी हिंसा बढ़ा रहे हैं। लखीमपुरखीरी में हुई लिंचिंग का मामला अभी तक ठंडा हुआ भी नहीं था कि आज सिंघु बॉर्डर पर एक और युवक की यह आरोप लगाते हुए लिंचिंग कर हत्या कर दी गयी कि उसने गुरु ग्रन्थ साहिब के साथ बेअदबी की!
मगर क्या बेअदबी की, यह कोई नहीं बता रहा? उसे क्यों मारा? क्या कोई भी व्यक्ति ऐसे स्थान पर जहां पर हजारों की संख्या में आन्दोलनकारी बैठे हों, इस भाव के साथ आ सकता है कि वह गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी कर सकता है और वह भी वह व्यक्ति जो खुद वहां उनका सेवादार है? मीडिया सूत्रों के अनुसार लखबीर निहंगों के सेवादार के रूप में काम करता था।
यह हत्या अत्यंत ही डराने वाली है और किसान आन्दोलन का असली चेहरा बताती है। हालांकि औपचारिकता निभाते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने खुद को इस से अलग कर लिया है, परन्तु संयुक्त किसान मोर्चा को यह उत्तर देना ही होगा कि वह निहंग सिख किसका समर्थन करने के लिए वहां पर उपस्थित हैं?
वहाँ ऑस्ट्रेलिया में यही तत्व विशाल जूद, और योगेश खट्टर को निशाना बना रहे हैं, तो यहाँ पर कभी शुभम मिश्रा को तो अब लखबीर सिंह को!