टी-20 विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया के हाथों जैसे ही पाकिस्तान का सफर समाप्त हुआ, वैसे ही सोशल मीडिया पर मीम्स की भरमार हो गयी। लोग जमकर पाकित्स्तानी टीम को ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तक को ट्रोल करने लगे। इस ट्रोलिंग में कांग्रेस की वह नेता भी सम्मिलित थीं, जिन्होनें भारत की टीम की हार को भाजपा और भाजपाइयों के साथ जोड़ दिया था।
हालांकि बाद में उन्होंने यह कहा था कि यह ट्वीट पाकिस्तान और भारत के मैच को लेकर नहीं था। फिर भी कल राधिका खेरा को कई लोगों ने घेरा:
कई लोगों ने इस बात पर भी मीम्स बनाए, कि यह अब किसकी हार है, क्रिकेट की, या इस्लाम की? या ईसाइयत की जीत है?
अफगानिस्तान और बलूचिस्तान में भी पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया के साथ मिली हार पर जश्न मनाया गया। अफगानिस्तान के पत्रकार हबीब खान ने कई ऐसे ट्वीट किए:
हबीब खान ने लिखा कि सभी अफगानिस्तानियों का ऑस्ट्रेलिया या फिर उस टीम को सपोर्ट है, जो पाकिस्तान को हराएगी। और यही पाकिस्तानी हमलावरों के खिलाफ अफगानियों की घृणा को बताता है:
बलूचिस्तान की खुशी पर भाजपा के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने लिखा कि पहाड़ हैं राई हैं,अफ़ग़ानी और बलूच अपने भाई हैं
भारत पर जीत को इस्लाम की जीत बताने वाले शेख रशीद अहमद पर भी लोगों ने प्रश्न उठाए। मेजर सुरेंदर पुनिया ने लिखा,
चिचा,आज क़ौम क्या कर रही है ?
हिन्दुस्तान की हार को आप इस्लाम की जीत बता रहे थे।।आज आपको टीम हार गई है तो क्या आज इस्लाम की हार हुई है ?
मंत्री होकर भी इतनी बकलोली कैसे कर लेते हो चिचा ??
परन्तु इस हार के बाद हसन अली पर पाकिस्तान का गुस्सा फूट रहा है। हालांकि भारत में कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्हें शिया होने के नाते घेरा जा रहा है, पर पाकिस्तानियों के अनुसार ऐसा नहीं है। हसन अली शिया नहीं हैं। परन्तु उनके instagram पेज पर उन्हें कोसा जा रहा है:
यूजर्स ने स्क्रीनशॉट भी साझा किये:
यूजर्स ने अपने अपने क्षेत्र में पटाखों के भी दृश्य भी साझा किये:
कई यूजर्स ने उस डायलॉग पर भी प्रश्न उठाए, जो भारत पर जीत के बाद कहा गया था, अर्थात कुफ्र टूट गया!
वहीं कुछ ऐसे भी थे, जो यह बात कर रहे थे कि आज नमाज क्यों काम नहीं आई? पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कोच मैथ्यू हेडन, जो खुद ऑस्ट्रेलिया से है, उन्होंने पाकिस्तान की टीम की जीत को अल्लाह और नमाज के प्रति समर्पण के कारण बताया था।
कल जिस प्रकार से भारत की प्रतिक्रिया पाकिस्तान टीम की हार पर आई, वह स्वाभाविक ही थी क्योंकि पाठकों को याद होगा कि जब पाकिस्तान के टीम ने भारत की टीम को हराया था तो उसे कुफ्र टूटना, इस्लाम की जीत और नमाज के कारण हुई जीत बताया था। भारत के कई मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में पटाखे छोड़े गए थे और जब उस पर विवाद हुआ तो यह बताया गया था कि उस दिन करवाचौथ था, इसलिए यह पटाखे हिन्दुओं ने ही छोड़े थे।
और जब यह झूठ भी काम नहीं आया था तो शमी की झूठी ट्रोलिंग कराई गयी और उसके बहाने हिन्दुओं को असहिष्णु सिद्ध करने का फिर से प्रयास किया गया था। खेल भावना को तार तार करते हुए भारत पर जीत को न जाने क्या क्या बता दिया था।
कश्मीर में कैसे सरकारी कॉलेज में पाकिस्तान द्वारा भारतीय टीम को हराने के बाद जश्न मना था, सभी ने देखा था और कैसे हिन्दू विद्यार्थियों को निशाना बनाया था, यह सभी ने देखा था। इस पर भी कई यूज़र्स ने प्रश्न किए:
भारत पर पाकिस्तानी टीम की जीत को इस्लाम की जीत बताने पर लोग तंज कस रहे हैं:
यह बात सत्य है कि कुछ लोग अब कहेंगे कि खेल भावना रहनी चाहिए, या खेल को खेल की तरह देखा जाना चाहिए। परन्तु प्रश्न यही है कि क्या पाकिस्तान की भारत पर जीत को खेल भावना के साथ देखा गया था या फिर इस्लाम की जीत के रूप में?
वकार यूनुस ने नमाज को ही सबसे महत्वपूर्ण लम्हा बता दिया था और उस पर भारत की ओर से हर्ष भोगले जैसे लोगों ने जैसे रिरियाते हुए कहा था कि कम से कम वकार युनुस को ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। जो हर्ष भोगले, पाकिस्तान टीम की भारतीय टीम पर जीत को इस्लाम की जीत बताने पर कुछ नहीं बोले थे, कल पाकिस्तान के नागरिकों के आंसू पर ट्वीट कर बैठे
कि वह जानते हैं कि खेल कभी कभी क्रूर हो सकता है, पर वह बच्चों को रोते नहीं देख सकते!
इस पर लोगों ने पूछा कि क्या उन्होंने यह 24 अक्टूबर को भी कहा था?
विश्व कप में भारत और पाकिस्तान दोनों की यात्रा कल समाप्त हो गयी है,परन्तु यह बात सही है कि दोनों ही देशों में खेल भावना से इतर ही खेल को देखा जाता रहेगा क्योंकि पाकिस्तान ने भारत को जो घाव दिए हैं, वह अपनी नफरत वाली मानसिकता के चलते ही दिए हैं।